
Lekin Phir Bhi (Kavya - Sangrah): लेकिन फिर भी
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Résumé
"लेकिन फिर भी" राजेश आसूदाणी 'रक़ीब' का काव्य-संग्रह है, जो गहन भावनात्मक और दार्शनिक विषयों पर आधारित है। इस संग्रह की कविताएँ मानवीय अनुभवों की जटिलताओं को व्यक्त करती हैं, जिसमें व्यक्तिगत भावनाओं से लेकर ब्रह्मांडीय चिंतन तक की झलक… मिलती है। आसूदाणी की रचनाएँ प्रेम, वियोग, अस्तित्व की पीड़ा और सामाजिक मुद्दों को छूती हैं, और पारंपरिक ग़ज़ल शैली को आधुनिक संदर्भों में प्रस्तुत करती हैं। संग्रह का प्रमुख विषय जीवन में अंतर्विरोधों की उपस्थिति को दर्शाता है, जैसा कि पंक्तियों में व्यक्त किया गया है, "ख़ूब नमी है लेकिन फिर भी आग लगी है लेकिन फिर भी"। यह काव्य यात्रा मानवीय भावनाओं और विचारों की गहराई में उतरकर, जीवन के अनिश्चित पहलुओं में व्याप्त पीड़ा, आशा और धैर्य को उकेरती है।