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By संजीव वर्मा. 2014
यूपीएससी पाठ्यक्रम के नए पैटर्न के आधार पर पूरी तरह से संशोधित और अद्यतन संस्करण - अब 4 व्यापक खंडों…
में संरचित- ए। घरेलू अर्थव्यवस्था, बी। बाहरी क्षेत्र- बाहर की ओर, सी। ग्लोबल इकोनॉमी और आउटलुक और डी। इंडियन इकोनॉमी रिविजिटेड, आउटलुक और चुनौतियां। पुस्तक आर्थिक मुद्दे को महान वैचारिक स्पष्टता के साथ रेखांकित करने और आवेदन के हिस्से में लाने और वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता का प्रयास है। नई पीढ़ी के छात्रों को अर्थव्यवस्था को सही परिप्रेक्ष्य में समझने का प्रयास। निम्नलिखित अध्यायों में अर्थव्यवस्था में भारत सरकार द्वारा शुरू की जा रही नई अवधारणाओं, नीतियों और कार्यान्वयन को अद्यतन करने और जोड़ने के दौरान सीखने की आसानी को ध्यान में रखा गया है: 1. मुख्य विशेषताएं: नया भारत 2. गरीबी और सामाजिक क्षेत्र 3. सरकार फाइनेंसिंग और बैंकिंग 4. विदेश व्यापार नीति ... कुछ का नाम दिया जाना है निम्नलिखित वर्गों को नए संस्करण में डाला गया है: 1. भारतीय अर्थव्यवस्था तारकीय प्रदर्शन 2. भारत की अर्थव्यवस्था भर में फैले JAM 3. माल और सेवा कर: एक प्रगतिशील कर व्यवस्था 4 निति आयोग: द प्रीमियर पॉलिसी थिंक टैंक 5. स्टार्टअप इंडिया: विंग्स टू द स्काई ऊपर 6. डिमॉनेटाइजेशन पॉलिसी: काले धन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक को कुछ ही समय में अवधारणा (ओं) को सीखने और समझने की सुविधा के लिए आरेखों के साथ समृद्ध किया गया है।By Rajiv Sikri, Chinmay Dharkhan. 2014
पुस्तक एक रणनीतिक और नीति-उन्मुख दृष्टिकोण से भारत की वर्तमान और बढ़ती विदेशी नीति चुनौतियों की जांच करती है। यह…
देश के विदेश नीति निर्माण को निर्धारित करने वाले दीर्घकालिक कारकों और रुझानों का विश्लेषण करता है। यदि यह जटिल और तेजी से विकसित होने वाली 21 वीं सदी की दुनिया में एक प्रमुख खिलाड़ी बनना है, तो लेखक भारत के दृष्टिकोण का पुन: मूल्यांकन करने का आग्रह करता है।By Dada Bhagwan. 2016
इस काल में इस क्षेत्र से सीधे मोक्ष पाना संभव नहीं है, ऐसा शास्त्रों में कहा गया हैं। लेकिन लंबे…
अरसे से, महाविदेह क्षेत्र में श्री सीमंधर स्वामी के दर्शन से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खुला ही हैं। लेकिन परम पूज्य दादाश्री उसी मार्ग से मुमुक्षुओं को मोक्ष पहुँचानें में निमित्त हैं और इसकी प्राप्ति का विश्वास, मुमुक्षुओं को निश्चय से होता ही है। इस काल में, इस क्षेत्र में वर्तमान तीर्थंकर नहीं हैं। लेकिन महाविदेह क्षेत्र में वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी विराजमान हैं। वे भरत क्षेत्र के मोक्षार्थी जीवों के लिए मोक्ष के परम निमित्त हैं। ज्ञानीपुरुष ने खुद उस मार्ग से प्राप्ति की और औरों को वह मार्ग दिखाया है। प्रत्यक्ष प्रकट तीर्थंकर की पहचान होना, उनके प्रति भक्ति जगाना और दिन-रात उनका अनुसंधान करके, अंत में, उनके प्रत्यक्ष दर्शन पाकर, केवलज्ञान को प्राप्त करना, यही मोक्ष की प्रथम और अंतिम पगडंडी है। ऐसा ज्ञानियों ने कहा हैं। श्री सीमंधर स्वामी की आराधना, जितनी ज़्यादा से ज़्यादा होगी, उतना उनके साथ अनुसंधान विशेष रहेगा। इससे उनके प्रति ऋणानुबंध प्रगाढ़ होगा। अंत में परम अवगाढ़ दशा तक पहुँचकर उनके चरणकमलों में ही स्थान प्राप्ति की मोहर लगती है।By Dada Bhagwan. 2016
सच्चा प्रेम हम किसे कहते है? सच्चा प्रेम तो वह होता है जो कभी भी कम या ज़्यादा ना हो…
और हमेशा एक जैसा बना रहे| हमें लगता है कि हमें हमारे आसपास के सभी लोगो पर बहुत प्रेम है पर जब भी वह हमारे कहे अनुसार कुछ नहीं करते तो हम तुरंत ही बहुत गुस्सा हो जाते है| पूज्य दादाभगवान इसे प्रेम नहीं कहते| वह कहते है कि यह सब तो सिर्फ एक भ्रान्ति ही है| सच्चा प्रेम तो वह होता है जिसमें किसी भी प्रकार कि अपेक्षा नहीं होती और जो सबके साथ हर समय और हर परिस्तिथि में एक जैसा बना रहता है| ऐसा सच्चा प्रेम तो बस एक ज्ञानी ही कर सकते है जिन्हें लोगो में कोई भी भेदभाव मालूम नहीं होता और इसलिए उनका व्यवहार सबके साथ बहुत ही स्नेहपूर्ण होता है| फिर भी हम थोड़ी कोशिश करे तो, ऐसा प्रेम कुछ अंश तक हमारे अंदर भी जगा सकते है| यह सब कैसे संभव है, यह जानने के लिए अवश्य पढ़े यह किताब और अपने जीवन को ‘प्रेममय’बनाइये|By Dada Bhagwan. 2016
हमारे जीवन में पैसों का अपना महत्व है। यह संसार पैसों और जायदाद को सबसे महत्वपूर्ण चीज मानता है। कुछ…
भी करने के लिए पैसा ज़रूरी है इसलिए लोगों को पैसों के प्रति अधिक प्रेम है। इसी कारण दुनिया में चारों और नैतिक या अनैतिक तरीके से अधिक से अधिक पैसा प्राप्त करने की लड़ाइयाँ हो रही हैं। पैसों और जायदाद के असमान बंटवारे को लेकर लोग परेशान हैं। इस भयंकर कलयुग में पैसों के बारे में नैतिक और ईमानदार रहना बहुत मुश्किल है ज्ञानी पुरुष परम पूज्य दादा भगवान ने पैसों की दुनिया को जैसा देखा है, वैसी दुनिया से संबंधित पैसे दान और पैसों के उपयोग से संबंधित खुद के विचार रखे हैं। उनके बताए अनुसार पैसे पिछले जन्मों के पुण्य का फल है जब आप औरों की मदद करते हैं तब आपके पास धन संपत्ति आती है, उसके बिना नहीं। जिन्हें दूसरों के साथ बांटने की इच्छा है उन्हें धन संपत्ति प्राप्त होती है। चार प्रकार के दान हैं - अन्न दान औषध दान, ज्ञान दान और अभय दान। पैसों के विज्ञान का विज्ञान नहीं समझने के कारण पैसों के लिए लोभ उत्पन्न हुआ है जिसके कारण जन्म के बाद जन्म होते रहते हैं। अतः इस पुस्तक को पढ़ें समझें और पैसों से संबंधित आध्यात्मिक विचार ग्रहण करें।By Dada Bhagwan. 2016
परम पूज्य दादाश्री का ज्ञान लेने के बाद, आप अपने भीतर की सभी क्रियाओं को देख सकेंगे और विश्लेषण कर…
सकेंगे। यह समझ, पूर्ण ज्ञान अवस्था में पहुँचने की शुरूआत है। ज्ञान के प्रकाश में आप बिना राग द्वेष के, अपने अच्छे व बुरे विचारों के प्रवाह को देख पाएँगे। आपको अच्छा या बुरा देखने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि विचार परसत्ता है। तो सवाल यह है कि ज्ञानी दुनिया को किस रूप में देखतें हैं ? ज्ञानी जगत् को निर्दोष देखते हैं। ज्ञानी यह जानते हैं कि जगत की सभी क्रियाएँ पहले के किए हुए चार्ज का डिस्चार्ज हैं। वे यह जानते हैं कि जगत निर्दोष है। नौकरी में सेठ के साथ कोई झगड़ा या अपमान, केवल आपके पूर्व चार्ज का डिस्चार्ज ही है। सेठ तो केवल निमित्त है। पूरा जगत् निर्दोष है। जो कुछ परेशानियाँ हमें होती हैं, वह मूलतः हमारी ही गलतियों के परिणाम स्वरूप होती हैं। वे हमारे ही ब्लंडर्स व मिस्टेक्स हैं। ज्ञानी की कृपा से सभी भूलें मिट जाती हैं। आत्म ज्ञान रहित मनुष्य को अपनी भूले न दिखकर केवल औरों की ही गलतियाँ दिखतीं हैं। निजदोष दर्शन पर परम पूज्य दादाश्री की समझ, तरीके, और उसे जीवन में उतारने की चाबियाँ इस किताब में संकलित की गई हैं। ज्ञान लेने के बाद आप अपनी मन, वचन, काया का पक्ष लेना बंद कर देते हैं और निष्पक्षता से अपनी गलतियाँ खुद को ही दिखने लगती हैं, तथा आंतरिक शांति की शुरूआत हो जाती है।By Dada Bhagwan. 2016
क्या आप जीवन में उठनेवाले विभिन्न क्लेशों से थक चुके हो ? क्या आप हैरान हो कि नित्य नए क्लेश…
कहाँ से उत्पन्न हो जाते हैं ? क्लेश रहित जीवन के लिए आपको केवल पक्का निश्चय करना है कि आप लोगों के साथ सारा व्यवहार समभाव से निपटाओगे। यह चिंता नहीं करनी कि आप इसमें सफल होंगे या नहीं। केवल दृढ निश्चय करना है। फिर आज या कल, जीवन में शांति आकर ही रहेगी। हो सकता है कि इसमें कुछ साल भी लग जाएँ। क्योंकि आपके बहुत चीकने कर्म हैं। यदि बीवी-बच्चों के साथ बहुत उलझे हुए कर्म हों तो निकाल करने में अधिक समय लग जाता है। करीबी लोगों के साथ उलझने क्रमशः ही समाप्त होती हैं। यदि आप एक बार समभाव से निकाल करने का दृढ निश्चय कर लेंगे तो आपके सभी क्लेशों का अंत आएगा। चिकने कर्मों का निकाल करते वक्त आपको अत्यंत जागृत रहना होगा। साँप चाहे कितना भी छोटा हो, आपको सावधानी रहते हुए आगे बढ़ना होगा। अगर आपने लापरवाही और सुस्ती दिखाई तो इन मामलों को सुलझाने में असफल होंगे। व्यवहार में सभी के साथ समभाव से निकाल करने के दृढ़ निश्चय के बाद, यदि कोई आपको कटु वाणी बोल दे और आपकी भी कटु वाणी निकल जाए, तो आपके बाहरी व्यवहार का कोई महत्व नहीं, क्योकि आपकी घृणा समाप्त हो चुकी है। और आपने समभाव से निकाल का दृढ़ निश्चय कर रखा है। घृणा अहंकार का भाव है और वाणी शरीर का भाव है। अगर आपने समभाव से निकाल करने का दृढ़ निश्चय किया है, तो आप अवश्य सफल होंगे तथा आपके सभी कर्म भी समाप्त होंगे। आज अगर आप किसी का लोन नहीं चुका पाते, तो भविष्य में ज़रूर चुकता कर पाएँगे। आपके ऋण दाता आपसे आखिरकर आपसे उगाही कर ही लेंगे। “प्रतिशोध के सभी भावनाओं से मुक्त होने के लिए आपको परम पूज्य दादाश्री के पास आकर ज्ञान ले लेना चाहिए। मैं आपको इसी जीवन में प्रतिशोध की सभी भावनाओं से मुक्त होने का रास्ता दिखाऊँगBy Dada Bhagwan. 2016
लौकिक जगत् में बाप-बेटा, माँ-बेटी, पति-पत्नी, वगैरह संबंध होते हैं। उनमें गुरु-शिष्य भी एक नाजुक संबंध है। गुरु को समर्पित…
होने के बाद पूरी ज़िंदगी उसके प्रति ही वफादार होकर, परम विनय तक पहुँचकर, गुरु की आज्ञा के अनुसार साधना करके, सिद्धि प्राप्त करनी होती है। लेकिन सच्चे गुरु के लक्षण और सच्चे शिष्य के लक्षण कैसे होते हैं ? उसका सुंदर विवेचन इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है। गुरुजनों के लिए इस जगत् में विविध मान्यताएँ प्रवर्तमान है। तब ऐसे काल में यथार्थ गुरु बनाने के लिए लोग उलझन में पड़ जाते हैं। यहाँ पर ऐसी ही उलझनों के समाधान दादाश्री ने प्रश्नकर्ताओं को दिए है। सामान्य समझ से गुरु, सदगुरु और ज्ञानीपुरुष –तीनों को एक साथ मिला दिया जाता है। जब कि परम पूज्य दादाश्री ने इन तीनों के बीच का एक्ज़ेक्ट स्पष्टीकरण किया है। गुरु और शिष्य –दोनों ही कल्याण के मार्ग पर आगे चल सके, उसके लिए तमाम दृष्टीकोणों से गुरु-शिष्य के सभी संबंधों की समझ, लघुतम फिर भी अभेद, ऐसे ग़ज़ब के ज्ञानी की वाणी यहाँ संकलित की गई है।By William Shakespeare, Divakar Prasad Vidyarthi. 2011
One of the most horrific tragedies written by Shakespeare. The play grabs and holds us in hypnosis. Iago sets traps…
like an spider and Othello steadily becomes his prey. Othello kills his wife and then kills himself after finding that he was at fault.By Nitin Sindhania. 2014
Nitin Singhania holds a Bachelor’s and Master’s Degree in Economics from Presidency College, Kolkata. He is also a Chartered Accountant…
and Company Secretary. He worked in Coal India Ltd before joining the Indian Administrative Services (IAS) in 2013 in the West Bengal cadre. He has a deep interest and expertise in Indian Art and Culture and is known for guiding students in this area. Presently he is posted as Sub-Divisional Officer in Purba Bardhaman district of West Bengal. Earlier, he has worked as the Assistant Secretary, Ministry of Home Affairs, Government of India and as Assistant Collector in Burdwan, West Bengal. His bestselling title Indian Art and Culture is a favourite among students preparing for the Civil Services Examination.By माजिद हुसेन. 2014
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने वर्ष 2013 में सिविल सेवा मुख्य परीक्षा हेतु अपने परीक्षा पैटर्न और पाठ्यक्रम को…
पुनरीक्षित किया था। वर्ष 2011 में प्रारंभिक परीक्षा के आकार और पैटर्न में भी परिवर्तन किया गया था। पुनरीक्षित पाठ्यक्रम और विद्यार्थियों से प्राप्त उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के आलोक में “भारत एवं विश्व का भूगोल” पुस्तक को विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी प्रकाशनों से प्राप्त नवीनतम आंकड़ों और सूचनाओं को ध्यानपूर्वक सम्मिलित कर पुनरीक्षित और अद्यतन किया गया है। इस पुनरीक्षित संस्करण में भूगोल, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तथा आपदा प्रबंधन के लगभग सभी विषयों को शामिल किया गया है, जोकि प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन पत्र—II, III और —IV में निर्धारित हैं।By नेशनल पेपरबैक्स, ओम् गाबा. 2014
भारतीय राजनीति-चिंतन की परंपरा पश्चिमी परंपरा से भी पुरानी है, और इसमें बहुत सारे ओजस्वी विचार भरे हैं। परंतु इसके…
अध्ययन को यथोचित महत्त्व नहीं मिल पाया है। देखा जाए तो आधुनिक युग में पश्चिमी सभ्यता के अभ्युदय के कारण साधारणतः पाश्चात्य राजनीति-चिंतन को ही भूमंडलीय बौद्धिक परंपरा के प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत किया गया है; भारतीय राजनीति-चिंतन को छिटपुट अध्ययन का विषय बना कर छोड़ दिया गया है। वस्तुतः भारतीय चिंतन की प्राचीन, मध्ययुगीन और आधुनिक धाराओं में राजनीति की बहुत सारी समस्याओं पर इतने सुलझे हुए विचार व्यक्त किए गए हैं जो भूमंडलीय बौद्धिक परंपरा का महत्त्वपूर्ण अंग बनने की क्षमता रखते हैं, परंतु मुख्यतः हमारी उदासीनता के कारण इस क्षमता को सार्थक करने का विशेष प्रयत्न नहीं हुआ है। ‘भारतीय राजनीति-विचारक’ का प्रस्तुत संस्करण पिछले सब संस्करणों का उन्नत रूप है। आशा है, इस रूप में प्रस्तुत कृति अपने पाठक-वर्ग को न केवल भारतीय राजनीति-चिंतन की समृद्ध परंपरा से परिचित कराएगी बल्कि उन्हें मानव-समाज की समस्याओं के बारे में स्वयं चिंतन करने की प्रेरणा देगी।