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Att Överleva Schizofreni
By Richard Carlson, Berenice Arrieta Cort s. 2018
Richard Carlson Jr. diagnostiserades med paranoid schizofreni när han var tjugo år gammal. Hans sjukdom först manifesterade när han var…
en ung ungdom. Modern psykiatri misslyckades starkt Richard för över ett decennium. Därefter förstod han, efter en incident som involverade polisen, att hans diagnos var riktig och började äntligen den långa processen att återhämta sig. Över tio år senare förbättras hans liv väsentligt. Under sin behandling återhämtade sig också Richard från depression, tvångssyndrom och slöhet. Låt inte vad som hände med Richard hända dig, en nära anhörig, eller en patient som arbetar med allvarlig psykisk sjukdom. Alltid vara ärliga med varandra, och med din psykiater.नारीवादी कैसे बनें: अधिकारों और समानता के लिए संघर्ष हेतु महिलाओं की मार्गदर्शिका
By लॉरेन एलेक्सा. 2020
पुस्तक के बारे में – -क्या आप कभी अपने लिंग की वजह से हिंसा,घृणा,उत्पीड़न या पीड़ा के शिकार हुए हैं…
? -नारीवादी होने या नारीवादी आदर्शों पर चलने का मतलब है उन चीजों के बारे में संघर्ष करना जो मायने रखती हैं । -यदि आप अपने अधिकारों के लिए संघर्ष के बारे में और जानना चाहते हैं और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष में सहायता करना चाहते हैं तो यह मार्गदर्शिका आपके लिए है । -जानिये कि एक नारीवादी कैसे बनें -जानिये कि अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कैसे करें -जानिये कि समानता और समान वेतन के लिए संघर्ष कैसे करें -और भी बहुत कुछ जानिये कि जहां आपकी बहुत अधिक ज़रुरत है वहां मनुष्यता की सहायता कर आप इतिहास में सही पक्ष के साथ किस तरह खड़े हो सकते हैं। अस्वीकृति इस पुस्तक की विषयवस्तु की सटीकता, पूर्णता और औचित्य के बारे में यह लेखक और, या अधिकारों के स्�Vartaman Tirthankar Shree Simandhar Swami: वर्तमान तीर्थकर श्री सीमंधर स्वामी
By Dada Bhagwan. 2016
इस काल में इस क्षेत्र से सीधे मोक्ष पाना संभव नहीं है, ऐसा शास्त्रों में कहा गया हैं। लेकिन लंबे…
अरसे से, महाविदेह क्षेत्र में श्री सीमंधर स्वामी के दर्शन से मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खुला ही हैं। लेकिन परम पूज्य दादाश्री उसी मार्ग से मुमुक्षुओं को मोक्ष पहुँचानें में निमित्त हैं और इसकी प्राप्ति का विश्वास, मुमुक्षुओं को निश्चय से होता ही है। इस काल में, इस क्षेत्र में वर्तमान तीर्थंकर नहीं हैं। लेकिन महाविदेह क्षेत्र में वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी विराजमान हैं। वे भरत क्षेत्र के मोक्षार्थी जीवों के लिए मोक्ष के परम निमित्त हैं। ज्ञानीपुरुष ने खुद उस मार्ग से प्राप्ति की और औरों को वह मार्ग दिखाया है। प्रत्यक्ष प्रकट तीर्थंकर की पहचान होना, उनके प्रति भक्ति जगाना और दिन-रात उनका अनुसंधान करके, अंत में, उनके प्रत्यक्ष दर्शन पाकर, केवलज्ञान को प्राप्त करना, यही मोक्ष की प्रथम और अंतिम पगडंडी है। ऐसा ज्ञानियों ने कहा हैं। श्री सीमंधर स्वामी की आराधना, जितनी ज़्यादा से ज़्यादा होगी, उतना उनके साथ अनुसंधान विशेष रहेगा। इससे उनके प्रति ऋणानुबंध प्रगाढ़ होगा। अंत में परम अवगाढ़ दशा तक पहुँचकर उनके चरणकमलों में ही स्थान प्राप्ति की मोहर लगती है।Prem: प्रेम
By Dada Bhagwan. 2016
सच्चा प्रेम हम किसे कहते है? सच्चा प्रेम तो वह होता है जो कभी भी कम या ज़्यादा ना हो…
और हमेशा एक जैसा बना रहे| हमें लगता है कि हमें हमारे आसपास के सभी लोगो पर बहुत प्रेम है पर जब भी वह हमारे कहे अनुसार कुछ नहीं करते तो हम तुरंत ही बहुत गुस्सा हो जाते है| पूज्य दादाभगवान इसे प्रेम नहीं कहते| वह कहते है कि यह सब तो सिर्फ एक भ्रान्ति ही है| सच्चा प्रेम तो वह होता है जिसमें किसी भी प्रकार कि अपेक्षा नहीं होती और जो सबके साथ हर समय और हर परिस्तिथि में एक जैसा बना रहता है| ऐसा सच्चा प्रेम तो बस एक ज्ञानी ही कर सकते है जिन्हें लोगो में कोई भी भेदभाव मालूम नहीं होता और इसलिए उनका व्यवहार सबके साथ बहुत ही स्नेहपूर्ण होता है| फिर भी हम थोड़ी कोशिश करे तो, ऐसा प्रेम कुछ अंश तक हमारे अंदर भी जगा सकते है| यह सब कैसे संभव है, यह जानने के लिए अवश्य पढ़े यह किताब और अपने जीवन को ‘प्रेममय’बनाइये|Paiso Ka Vyavhaar (Granth): पैसों का व्यवहार (ग्रंथ)
By Dada Bhagwan. 2016
हमारे जीवन में पैसों का अपना महत्व है। यह संसार पैसों और जायदाद को सबसे महत्वपूर्ण चीज मानता है। कुछ…
भी करने के लिए पैसा ज़रूरी है इसलिए लोगों को पैसों के प्रति अधिक प्रेम है। इसी कारण दुनिया में चारों और नैतिक या अनैतिक तरीके से अधिक से अधिक पैसा प्राप्त करने की लड़ाइयाँ हो रही हैं। पैसों और जायदाद के असमान बंटवारे को लेकर लोग परेशान हैं। इस भयंकर कलयुग में पैसों के बारे में नैतिक और ईमानदार रहना बहुत मुश्किल है ज्ञानी पुरुष परम पूज्य दादा भगवान ने पैसों की दुनिया को जैसा देखा है, वैसी दुनिया से संबंधित पैसे दान और पैसों के उपयोग से संबंधित खुद के विचार रखे हैं। उनके बताए अनुसार पैसे पिछले जन्मों के पुण्य का फल है जब आप औरों की मदद करते हैं तब आपके पास धन संपत्ति आती है, उसके बिना नहीं। जिन्हें दूसरों के साथ बांटने की इच्छा है उन्हें धन संपत्ति प्राप्त होती है। चार प्रकार के दान हैं - अन्न दान औषध दान, ज्ञान दान और अभय दान। पैसों के विज्ञान का विज्ञान नहीं समझने के कारण पैसों के लिए लोभ उत्पन्न हुआ है जिसके कारण जन्म के बाद जन्म होते रहते हैं। अतः इस पुस्तक को पढ़ें समझें और पैसों से संबंधित आध्यात्मिक विचार ग्रहण करें।Nijdosh Darshan se Nirdosh!: निजदोष दर्शन से... निर्दोष!
By Dada Bhagwan. 2016
परम पूज्य दादाश्री का ज्ञान लेने के बाद, आप अपने भीतर की सभी क्रियाओं को देख सकेंगे और विश्लेषण कर…
सकेंगे। यह समझ, पूर्ण ज्ञान अवस्था में पहुँचने की शुरूआत है। ज्ञान के प्रकाश में आप बिना राग द्वेष के, अपने अच्छे व बुरे विचारों के प्रवाह को देख पाएँगे। आपको अच्छा या बुरा देखने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि विचार परसत्ता है। तो सवाल यह है कि ज्ञानी दुनिया को किस रूप में देखतें हैं ? ज्ञानी जगत् को निर्दोष देखते हैं। ज्ञानी यह जानते हैं कि जगत की सभी क्रियाएँ पहले के किए हुए चार्ज का डिस्चार्ज हैं। वे यह जानते हैं कि जगत निर्दोष है। नौकरी में सेठ के साथ कोई झगड़ा या अपमान, केवल आपके पूर्व चार्ज का डिस्चार्ज ही है। सेठ तो केवल निमित्त है। पूरा जगत् निर्दोष है। जो कुछ परेशानियाँ हमें होती हैं, वह मूलतः हमारी ही गलतियों के परिणाम स्वरूप होती हैं। वे हमारे ही ब्लंडर्स व मिस्टेक्स हैं। ज्ञानी की कृपा से सभी भूलें मिट जाती हैं। आत्म ज्ञान रहित मनुष्य को अपनी भूले न दिखकर केवल औरों की ही गलतियाँ दिखतीं हैं। निजदोष दर्शन पर परम पूज्य दादाश्री की समझ, तरीके, और उसे जीवन में उतारने की चाबियाँ इस किताब में संकलित की गई हैं। ज्ञान लेने के बाद आप अपनी मन, वचन, काया का पक्ष लेना बंद कर देते हैं और निष्पक्षता से अपनी गलतियाँ खुद को ही दिखने लगती हैं, तथा आंतरिक शांति की शुरूआत हो जाती है।Klesh Rahit Jeevan: क्लेश रहित जीवन
By Dada Bhagwan. 2016
क्या आप जीवन में उठनेवाले विभिन्न क्लेशों से थक चुके हो ? क्या आप हैरान हो कि नित्य नए क्लेश…
कहाँ से उत्पन्न हो जाते हैं ? क्लेश रहित जीवन के लिए आपको केवल पक्का निश्चय करना है कि आप लोगों के साथ सारा व्यवहार समभाव से निपटाओगे। यह चिंता नहीं करनी कि आप इसमें सफल होंगे या नहीं। केवल दृढ निश्चय करना है। फिर आज या कल, जीवन में शांति आकर ही रहेगी। हो सकता है कि इसमें कुछ साल भी लग जाएँ। क्योंकि आपके बहुत चीकने कर्म हैं। यदि बीवी-बच्चों के साथ बहुत उलझे हुए कर्म हों तो निकाल करने में अधिक समय लग जाता है। करीबी लोगों के साथ उलझने क्रमशः ही समाप्त होती हैं। यदि आप एक बार समभाव से निकाल करने का दृढ निश्चय कर लेंगे तो आपके सभी क्लेशों का अंत आएगा। चिकने कर्मों का निकाल करते वक्त आपको अत्यंत जागृत रहना होगा। साँप चाहे कितना भी छोटा हो, आपको सावधानी रहते हुए आगे बढ़ना होगा। अगर आपने लापरवाही और सुस्ती दिखाई तो इन मामलों को सुलझाने में असफल होंगे। व्यवहार में सभी के साथ समभाव से निकाल करने के दृढ़ निश्चय के बाद, यदि कोई आपको कटु वाणी बोल दे और आपकी भी कटु वाणी निकल जाए, तो आपके बाहरी व्यवहार का कोई महत्व नहीं, क्योकि आपकी घृणा समाप्त हो चुकी है। और आपने समभाव से निकाल का दृढ़ निश्चय कर रखा है। घृणा अहंकार का भाव है और वाणी शरीर का भाव है। अगर आपने समभाव से निकाल करने का दृढ़ निश्चय किया है, तो आप अवश्य सफल होंगे तथा आपके सभी कर्म भी समाप्त होंगे। आज अगर आप किसी का लोन नहीं चुका पाते, तो भविष्य में ज़रूर चुकता कर पाएँगे। आपके ऋण दाता आपसे आखिरकर आपसे उगाही कर ही लेंगे। “प्रतिशोध के सभी भावनाओं से मुक्त होने के लिए आपको परम पूज्य दादाश्री के पास आकर ज्ञान ले लेना चाहिए। मैं आपको इसी जीवन में प्रतिशोध की सभी भावनाओं से मुक्त होने का रास्ता दिखाऊँगGuru Shishya: गुरु शिष्य
By Dada Bhagwan. 2016
लौकिक जगत् में बाप-बेटा, माँ-बेटी, पति-पत्नी, वगैरह संबंध होते हैं। उनमें गुरु-शिष्य भी एक नाजुक संबंध है। गुरु को समर्पित…
होने के बाद पूरी ज़िंदगी उसके प्रति ही वफादार होकर, परम विनय तक पहुँचकर, गुरु की आज्ञा के अनुसार साधना करके, सिद्धि प्राप्त करनी होती है। लेकिन सच्चे गुरु के लक्षण और सच्चे शिष्य के लक्षण कैसे होते हैं ? उसका सुंदर विवेचन इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है। गुरुजनों के लिए इस जगत् में विविध मान्यताएँ प्रवर्तमान है। तब ऐसे काल में यथार्थ गुरु बनाने के लिए लोग उलझन में पड़ जाते हैं। यहाँ पर ऐसी ही उलझनों के समाधान दादाश्री ने प्रश्नकर्ताओं को दिए है। सामान्य समझ से गुरु, सदगुरु और ज्ञानीपुरुष –तीनों को एक साथ मिला दिया जाता है। जब कि परम पूज्य दादाश्री ने इन तीनों के बीच का एक्ज़ेक्ट स्पष्टीकरण किया है। गुरु और शिष्य –दोनों ही कल्याण के मार्ग पर आगे चल सके, उसके लिए तमाम दृष्टीकोणों से गुरु-शिष्य के सभी संबंधों की समझ, लघुतम फिर भी अभेद, ऐसे ग़ज़ब के ज्ञानी की वाणी यहाँ संकलित की गई है।