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डायबिटीज खत्म करने के लिए जरूरी गाइड, वजन कम करना और स्वस्थ जीवनशैली
By Adidas Wilson. 2020
मधुमेह इंसुलिन के अपर्याप्त स्राव, इंसुलिन के दूषित स्राव के कारण या तब होता है जब रक्त कोशिकाएँ इंसुलिन का…
प्रभावी या उपयुक्त उपभोग कर पाने में असफल होती हैं| यह अंतिम स्थिति इंसुलिन प्रतिरोध का कारण होती है, इसलिए टाइप 2 मधुमेह होता है| टाइप 1 मधुमेह में मुख्य समस्या इंसुलिन की पूरी तरह से कमी होती है| टाइप 2 मधुमेह में अन्य स्थिति बीटा कोशिकाओं में तेजी से कमी आना है, जो आगे बढ़ी हुई रक्त शर्करा में योगदान करती है| ग्लूकोज एक सरल शर्करा है जो समान्यतः खाद्य पदार्थों में पायी जाती है| यह शरीर कोशिकाओं को उपयुक्त कार्य करने में सहायता करती है| ग्लूकोज छोटी आंत से रक्त धारा में शोषित किया जाता है, जहां कार्बोहाइड्रेट पचाया जाता है| एक बार रक्त धारा में, ग्लूकोज शरीर कोशिकाओं में लिया जाता है और वहाँ उनका उपयोग किया जाता है| इंसुलिन रक्त कोशिकाओं में ग्लूकोज के शोष�क्षारीय आहार कुक बुक
By Adidas Wilson. 2020
पीएच स्केल के माध्यम से आपके शरीर में अम्लीय और क्षारीय स्तर का संकेत मिलता है। आपके रक्त में क्षारीय…
स्तर को आदर्श रूप से 7.35 - 7.45 के पीएच रेंज के बीच या उसके आस-पास बनाए रखना चाहिए। 7.35 की सीमा में, आपका शरीर अत्यधिक अम्लीय है और कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त है। अत्यधिक अम्लीय खाद्य पदार्थों का सेवन एसिड के स्तर को विनियमित करके हड्डियों के जमाव से कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और सोडियम जैसे खनिजों का उत्पादन करता है। सबसे अच्छी पुस्तकों में से एक जो आपको अमेज़ॅन पर मिलेगी। महान स्वास्थ्य ज्ञान के साथ शुरू होता है, यह पुस्तक एसिड के स्तर को कम करने और वजन घटाने की यात्रा में किसी की मदद करने में मदद करेगी।Godan: गोदान
By Premchand. 1936
मुंशी प्रेमचंद ने जो कुछ भी लिखा है, वह आम आदमी की व्यथा कथा है, चाहे वह ग्रामीण हो या…
शहरी। गांवों की अव्यवस्था, किसान की तड़प, ग्रामीण समाज की विसंगतियां, अंधविश्वास, उत्पीड़न और पीड़ा की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करता है - गोदान। मुंशी प्रेमचंद की चिर-परिचित शैली का जीता-जागता उदाहरण है गोदान, जो जमीन से जुड़ी हकीकतों को बेनकाब करता है। विश्व की सर्वाधिक भाषाओं में अनुवाद होकर बिकने का गौरव केवल गोदान को ही प्राप्त है। ‘गोदान’ का सर्वाधिक प्रमाणिक संस्करण एक संपूर्ण उपन्यास।Mata Pita Aur Bachcho Ka Vyavhar (Sanxipt): माता-पिता और बच्चो का व्यवहार (संक्षिप्त)
By Dada Bhagwan. 2016
बच्चों की सही परवरिश में माँ-बाप का बहुत बड़ा हाथ होता है| बच्चों के साथ हमेशा प्रेमपूर्वक व्यवहार ही करना…
चाहिए ताकि उन्हें अच्छे संस्कार प्राप्त हो| माँ-बाप बच्चों का व्यवहार सदैव मित्राचारी का होना चाहिए| यदि माँ-बाप बच्चों के साथ डाट कर या मार कर व्यवहार करेंगे तो बच्चे निश्चित ही उनका कहा नहीं मानेंगे और गलत रास्ते पर चढ जाएँगे| माँ-बाप के उच्च संस्कार ही घर में आनंद और शान्ति का माहौल खड़ा कर सकते है| माता पिता का कर्तव्य है कि वह बच्चों की मनोस्थिति को जानकार उसके अनुसार उनके साथ वर्तन करे| आज के ज़माने में टीनएजर्स को संभालना अत्यंत मुश्किल हो गया है| किस तरह से माँ-बाप उनके साथ व्यवहार करे ताकि उन्हें अच्छे संस्कार मिले और वह किसी गलत रास्ते पर ना चले, इस बात कि पूरी समझ हमें इस पुस्तक में मिलती है जिसमें दादाजी ने हमें माँ-बाप बच्चों के सम्बन्ध सुधारने के लिए बहुत सारी चाबियाँ दी है|Gaban
By Premchand. 1936
Gaban is a novel about the love of ornaments and its bad consequences. In Gaban, Premchand captures the spirit of…
the times without going into the details of political struggle. The depiction of Jalpas reincarnation as a new and changed character makes this novel one of the best in Indian Literature.Gaban: गबन
By Munshi Premchand. 1987
गबन इस किताब का लेखन मुंशी प्रेमचंद इन्होने किया है और साहित्यगार प्रकाशन ने किताब हिंदी भाषा मे प्रकाशित किया…
है । सामाजिक परिवेश को दर्शाता प्रेमचंद का श्रेष्ठ उपन्यास हिंदी के महानतम साहित्यकारों की सूची हमेशा ही मुंशी प्रेमचंद के नाम के बिना अधूरी रहेगी । इस साहित्य सम्राट द्वारा लिखे गए उपन्यास ग़बन को उनकी सबसे लोकप्रिय रचनाओं में से एक माना जाता है । यह रामनाथ नाम के एक युवक की कहानी है जो नैतिक रूप से कभी स्थिर न रह पाने के कारण जीवन के सभी निर्णयों में कमज़ोर साबित हुआ । अपनी सुन्दर पत्नी जालपा की आभूषणों की चाह को पूरा करने के लिए, उसके व्यक्तिगत और आर्थिक दोनों पक्ष बिगड़ने लगते हैं और वह मुसीबतों में फंसता चला जाता है । इस उपन्यास के माध्यम से प्रेमचंद समाज के मध्यवर्ग का सजीव दर्पण प्रस्तुत करते हैं जो क्षणभंगुर दिखावट के लिए बहुत से स्वांग भरता है । इस कहानी में पाप-सम्मत समाज की असलियत भी दर्शाई गयी हैं, जिसमें सब कुछ है - चोरी, रिश्वतखोरी, झूठ, फ़रेब, हेरा-फेरी, विधवाओं की दुर्दशा और ग़बन । कहानी में प्रेमचंद ने समझौता-परस्त और महत्वकांशा से पूर्ण मनोवृति तथा पुलिस के चरित्र को बेबाकी से प्रस्तुत करते हुए कथा को जीवंत बना दिया है । यहाँ पारिवारिक जीवन का मनोविज्ञानिक चित्र भी है तथा नारी की आभूषणप्रियता और पुरुष का आत्मदर्शन भी । मध्यवर्गीय समाज की दुर्बलताओं को पति-पत्नी के जीवन में चरितार्थ करते हुए स्वाभाविक और यथार्थ कथा रची गयी है ।Nirmala
By Munshi Premchand. 1925
Nirmala a novel by Premchand is based on the background of pre-independence. It narrates the tragic story of a young…
and vulnerable girl, named Nirmala. Severly torn by poverty, parents of Nirmala could not afford to pay the amount of dowry and she was married to an elderly widower, who had sons of Nirmala`s age. The nature as well as the circumstances bring the step son of widower closer. But the old man gets to know of the affair before anything could happen. The young man dies and brings a lot of inconveniences to Nirmala. The novel deals about the life and activities of Nirmala. Nirmala as a protagonist and as a victim conveys a sensitive issue, which communicates a sense of tragedy rather than moral disapproval. In a sense we can say that with Nirmala we can see a feminist inclination of Indian writing