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Ge Inspiration Till Din Dag
By Ulrike Maria, Ann Kapborg. 2014
Citat och frågor. En särskild tanke för varje dag, av den inspirerande metafysikläraren ULRIKE. Att Leva bättre med ett riktigt…
tankesätt, för alla som söker.Det finns tusentals affirmationer på Internet numera, de ljuder av sanning och godhet och är absolut ett steg i rätt riktning. De betyder dock inte något om du bara läser dem och inte aktivt tillämpar dem. Ditt liv kommer inte att förändras såvida du inte använder dessa nya och förbättrade tankar varje dag. Att lära om att leva ett bättre liv är om tillämpning och inte om anförande av sanning. Oavsett hur ofta du upprepar affirmationerna kommer de inte att manifesteras om du inte agerar utifrån dem.Trovärdighet och Förståelse kommer från erfarenhet och från att ha bevisat för oss själva att Lagarna fungerar och hur de fungerar. Det krävs engagemang för att finna Sanningen. "Sök och ni skall finna" - "knacka på och dörren ska öppnas"...ja, det kräver en stark längtan efter att förstå Livets arbete och det krävs kärlek till att lära och lära ut samt nyfikenhet.Vi är alla elever och lärare. Vi lär av varandra. Vi ser i den andre vad vi beundrar eller vad vi föraktar, beroende på vad vi ännu behöver lära oss. Det är nödvändigt att känna till denna sanning och att använda detta värdefulla verktyg för självförbättring.Kom ihåg:"Låt din stjärna lysa klart! Släpp taget om alla begränsningar, tvivel och rädslor. Träd in i en värld där allt är möjligt. Det här är ditt sanna tillstånd, ditt spirituella arv. Omfamna denna födslorätt och älska med hela ditt hjärta."Healing: fortfarande barnens bröd
By Gilbert Adimora. 2018
En sammanfattning av valda bibeltexter med fördjupade förklaringar. Författaren har sammanfattat utvalda delar ur bibeltext för att skapa en bok…
att bedja utifrån för att underlätta och hela smärta och sjukdom. Han ger hänvisningar till bibeltext som han sedan kommenterar.Krodh: क्रोध
By Dada Bhagwan. 2016
हमें क्रोध क्यों आता है? क्रोध आने के कुछ कारण यह है - जब कोई भी कार्य हमारी इच्छानुसार नहीं…
होता या हमें यह लगे कि सामनेवाला व्यक्ति हमारी बात नहीं समझ रहा या फिर किसी बात पर किसी के साथ मनमुटाव हो तब| लेकिन क्रोध आने का कोई भी निश्चित कारण नहीं होता| कई बार हमारी समझ से हमें यह लगता है कि, हम जो भी सोच रहे है या जो कुछ भी कर रहे है वह सब सही ही है| पर, उस वक्त यदि कोई दूसरा व्यक्ति आकार हमें गलत साबित करे तो हम अपना आपा खो बैठते है और उसपर अत्यंत क्रोधित हो जाते है| क्रोध करने से ना सिर्फ सामनेवाला व्यक्ति दुखी होता है पर हमें भी उतना ही दुःख होता है| कई किस्सों में यह देखा गया है कि जिससे हम सबसे अधिक प्यार करते है, उसपर ही सबसे ज्यादा गुस्सा भी करते हैं| इस तरह बिना सोचा समझे गुस्सा करने से कई बार हमारे संबंधो में भी काफी तनाव पैदा हो जाता है जिसका फल अच्छा नहीं होता| किस प्रकार हम अपने क्रोध पर काबू पा सकते है या किसी और क्रोधित व्यक्ति के साथ कैसा बर्ताव करे ताकि हमारे औरों से प्रेमपूर्वक सम्बन्ध बने रहे, इन प्रश्नों का हल पाने के लिए आगे पढ़े|Mi Kon Aahe?: मी कोण आहे?
By Dada Bhagwan. 2016
केवळ जीवन जगणे हे जीवन नाही. जीवन जगण्याचे काही ध्येय, काही लक्ष्य तर असेल ना ! जीवनात काही उच्य लक्ष्य…
प्राप्त करायचे ध्येय असायला हवे. जीवनाचे खरे ध्येय "मी कोण आहे" ह्या प्रश्नाचे उत्तर जाणून घेणे हे आहे. मागच्या अनंत जन्मांचा हा अनुत्तरित प्रश्न आहे. ज्ञानीपुरुष परमपूज्य दादाश्रींनी मूळ प्रश्न "मी कोण आहे?" ह्याचे सहज उत्तर सांगितले आहे. ह्या पुस्तकात, मी कोण आहे? मी कोण नाही? स्वतः कोण आहे? माझे काय आहे? माझे काय नाही? बंधन काय आहे? मोक्ष काय आहे? ह्या जगात भगवान आहेत का? ह्या जगताचा 'कर्ता' कोण आहे? भगवान 'कर्ता' आहेत का नाहीत? भागवानांचे खरे स्वरूप काय आहे? 'कर्त्या'चे खरे स्वरूप काय आहे? जग कोण चालवतो? मायेचे स्वरूप काय आहे? जे आपण बघतो आणि जाणतो ते भ्रम आहे की सत्य आहे? व्यावहारिक ज्ञान तुम्हाला मुक्त करू शकते का? ह्या सर्व प्रश्नांची दादाश्रींनी अचूक (अॅाक्युरेट) उत्तरे दिली आहेत.Samajpurvak prapt Brahmcharya (Sankshipt): समजपूर्वक प्राप्त ब्रह्मचर्य (संक्षिप्त)
By Dada Bhagwan. 2016
ब्रह्मचर्य व्रत भगवान महावीरांनी दिलेल्या पाच महाव्रतांपैकी एक व्रत आहे. मोक्ष प्राप्तीसाठी ब्रह्मचर्य व्रत पाळावे लागते. अशी समज खूप लोकांना…
आहे.परंतु हा विषयभोग कशाप्रकारे चुकीचा आहे? किंवा त्यातून आपली सुटका कशी होऊ शकते? हे सर्व लोकांना माहित नाही. विषय हे आपल्या पाच इंद्रियांपैकी कोणत्याही इंद्रियाला आवडत नाही. डोळ्यांना पाहायला आवडत नाही. नाकाने सुंघायला आवडत नाही. जिभेने चाखायला आवडत नाही. पण तरी खरे ज्ञान नसल्यामुळे लोकं विषय विकारातच निरंतर बुडलेले असतात. कारण त्यांना त्याच्या जोखिमांची जाणीवच नाही. आपल्या हक्काच्या साथीसोबतच्या विषय भोगातही अगणित सूक्ष्म जीवांचा नाश होतो. आणि बिनहक्काच्या विषय भोगाचा परिणाम तर नर्क गतिच आहे. या पुस्तकाद्वारे आपल्याला ब्रह्मचर्य म्हणजे काय? त्याचे फायदे कोणते? ब्रह्मचर्य कसे पाळावे? विकारांपासून मुक्ति कशी मिळवावी? वगैरे सर्व प्रश्नांची उत्तरे मिळतील.Daan: दान
By Dada Bhagwan. 2016
दान का अर्थ होता है किसीको कुछ देना| यह दान पैसों के रूप में हो सकता है, खाने के रूप…
में या सिर्फ किसी को खुश करने हेतु हो सकता है| दान देने से हमें खुशी मिलती है क्योंकि हमें लगता है कि हमने कुछ अच्छा काम किया है| दान करने से बहुत सारे फायदे होते है| जिसका विस्तारित वर्णन दादाश्री ने अपनी किताब ‘दान’ में किया है|इस किताब में दादाजी हमें यह भी बताते है कि किसे दान दे,क्या दान करना चाहिए, दान कितने प्रकार के होते है,दान करने के क्या फायदे है इत्यादि| दान करने से हम सिर्फ सामने वाले की मदद नहीं कर रहे पर खुद भी बहुत सारी खुशियाँ पाते है|दान का महत्व हमारे जीवन में क्या है, यह अधिक जानने के लिए, यह किताब ज़रूर पढ़े|Seva Paropkar: सेवा-परोपकार
By Dada Bhagwan. 2016
सेवा का मुख्य उद्देश्य है कि मन-वचन-काया से दूसरों की मदद करना| जो व्यक्ति खुद के आराम और सुविधाओं के…
आगे औरो की ज़रूरतों को रखता है वह जीवन में कभी भी दुखी नहीं होता| मनुष्य जीवन का ध्येय, दूसरों की सेवा करना ही होना चाहिए| परम पूज्य दादाभगवान ने यह लक्ष्य हमेशा अपने जीवन में सबसे ऊपर रखा कि, जो कोई भी व्यक्ति उन्हें मिले, उसे कभी भी निराश होकर जाना ना पड़े| दादाजी निरंतर यही खोज में रहते थे कि, किस प्रकार लोग अपने दुखों से मुक्त हो और मोक्ष मार्ग में आगे बढे| उन्होंने अपनी सुख सुबिधाओं की परवाह किये बगैर ज़्यादा से ज़्यादा लोगो का भला हो ऐसी ही इच्छा जीवनभर रखी| पूज्य दादाश्री का मानना था कि आत्म-साक्षात्कार, मोक्ष प्राप्त करने का आसान तरीका था पर जिसे वह नहीं मिलता हैं, उसने सेवा का मार्ग ही अपनाना चाहिए| किस प्रकार लोगो की सेवा कर सुख की प्राप्ति करे, यह विस्तृत रूप से जानने के लिए यह किताब ज़रूर पढ़े|Adjust Everywhere: एडजेस्ट एव्हरीव्हेअर
By Dada Bhagwan. 2016
जर गटारातून दुर्गंध आला तर आपण त्याच्याशी भांडतो का? ह्याच प्रमाणे ही भांडखोर माणसे ही दुर्गंध पसरवतात. तर आपण त्यांना…
काय म्हणायला जावे? जे दुर्गंध पसरवतात ते सर्व गटारा सारखे, व जे सुगंध पसरवतात ते सर्व बागे सारखे. ज्यांच्या-ज्यांच्या पासून दुर्गंध येतो ते सर्व म्हणतात "तुम्ही आमच्याशी वीतराग (राग-द्वेषा पासून मुक्त) रहा". आपण जीवनात अनेक वेळा पारिस्थितीशी जुळवून घेतो. उदाहरणार्थ पावसात आपण छत्री घेऊन जातो. अभ्यास पसंत असो वा नसो, करावाच लागतो. ह्या सगळ्याशी अॅडजस्टमेंट करावी लागते. तरीही जेंव्हा नकारात्मक लोकांशी संबध येताच संघर्ष (बेबनाव) होतो. असे का होते? परम पूज्य दादाश्रींनी खुलासा केला आहे की "अॅडजस्ट एव्हरिव्हेअर" ही अशी गुरुकिल्ली (मास्टर की) आहे जी तुमचा संसार सुखी बनवेल. हे सरळ सूत्र तुमचा संसार बदलून टाकेल ! अधिक जाणून घेण्यासाठी पुढे वाचा...Klesh rahit jivan: क्लेश रहित जीवन
By Dada Bhagwan. 2016
क्या आप जीवन में उठनेवाले क्लेशों से थक चुके हो और हैरान हो कि नए क्लेश कहाँ से उत्पन्न हो…
जाते हैं ? क्लेश रहित जीवन के लिए आपको केवल पक्का निश्चय करना है कि आप लोगों के साथ सारा व्यवहार समभाव से निपटाओगे बिना सफलता की चिंता किये बिगैर | फिर एक दिन जीवन में शांति आकर ही रहेगी। यदि बीवी-बच्चों के साथ बहुत उलझे हुए कर्म हों तो निकाल करने में अधिक समय लग जाता है। करीबी लोगों के साथ उलझने क्रमशः ही समाप्त होती हैं। चिकने कर्मों का निकाल करते वक्त आपको अत्यंत जागृत रहना होगा। अगर आपने लापरवाही और सुस्ती दिखाई तो इन मामलों को सुलझाने में असफल होंगे। यदि कोई आपको कटु वाणी बोल दे और आपकी भी कटु वाणी निकल जाए, तो आपके बाहरी व्यवहार का कोई महत्व नहीं, क्योंकि आपकी घृणा समाप्त हो चुकी है और आपने समभाव से निकाल का दृढ़ निश्चय कर रखा है। “प्रतिशोध के सभी भावनाओं से मुक्त होने के लिए आपको परम पूज्य दादाश्री के पास आकर ज्ञान ले लेना चाहिए। मैं आपको इसी जीवन में प्रतिशोध की सभी भावनाओं से मुक्त होने का रास्ता दिखाऊँगा। जीवन से थके हुए लोग मृत्यु क्यों ढूँढते हैं? ऐसा इसलिए क्योंकि वे जीवन के तनाव का सामना नहीं कर पाते। इतने अधिक दबाव में आप कितने दिन जीवित रह सकते हो ? कीड़े-मकोडों की तरह, आज का मनुष्य निरंतर संताप में है। मनुष्य का जीवन मिलने के बाद किसी को कोई दुःख क्यों हो? सारा संसार संताप में है और जो संताप में नहीं है, वे काल्पनिक सुखों में खोए हुए हैं। इन दोनों छोरों के बीच संसार झूल रहा हैं। आत्मज्ञानी होने के बाद, आप सभी कल्पनाओं और वेदनाओं से मुक्त हो जाओगे।’’ दादाश्री की इस पुस्तक में क्लेश रहित जीवन जीने की चाबियाँ और समझ दी गई हैं।Sangharsh Tala: संघर्ष टाळा
By Dada Bhagwan. 2016
दैनंदिन जीवनात संघर्षाचे निराकरण करण्याची गरज सर्वांना समजते. आपण संघर्षामुळे आपले सर्वकाही बिघडवून टाकतो. हे योग्य नाही. रस्त्यावर लोक वाहतुकीच्या…
नियमांचे काटेकोरपणे पालन करतात. लोक मनमानी करत नाहीत कारण तसे केल्याने टक्कर होऊन मरून जातील. टकरेमध्ये जोखीम आहे. त्याचप्रमाणे व्यावहारिक जीवनात संघर्ष टाळायचे आहेत. असे केल्याने जीवन क्लेशरहित होईल व मोक्ष प्राप्ती होईल. जीवनात ही क्लेशाचे कारण म्हणजे जीवनाच्या नियमांची अपूर्ण समज हे होय. जीवनाचे नियम समजण्याबाबतीत आपल्यात मूलभूत कमतरता आहे. ज्या व्यक्ति कडून आपण हे नियम समजून घेतो, त्या व्यक्तीस हया नियमांची ह्यांची सखोल समज असायला हवी. ह्या पुस्तकाद्वारे तुम्हाला समजेल की संघर्ष का होतो. संघर्षाचे काय काय प्रकार आहेत, आणि संघर्ष कसा टाळावा की ज्यामुळे जीवन क्लेशरहित होईल. ह्या पुस्तकाचा उद्देश म्हणजे तुमचे जीवन शांति आणि उल्हासाने भरणे हा आहे, तसेच मोक्ष मार्गावर तुमचे पाऊल मजबूत करणे हा आहे.