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التشبيهات من اشعار اهل الاندلس
By ابن الكتانى. 2001
الفصول المفيدة في الواو المزيدة
By صلاح الدين أبو سعيد الشافعي. 2001
ديوان ابن رشيق القيرواني الأزدي
By ابن رشيق القيرواني الأزدي. 2001
اللباب في علل البناء والإعراب
By أبو البقاء العكبري. 2001
مختصر أذكر فيه من أصول النحو ما تمس الحاجة إليه ومن علل كل باب ما يعرفك أكثر فروعه المرتبة عليه…
وقد بذلت الوسع في إيجاز ألفاظه وإيضاح معانيه وصحة أقسامه وإحكام مبانيه ومن الله سبحانه أستمد الإعانة على تحقيق ما ضمنت وإياه أسأل الإصابة فيما أبنتबर्नार्ड Levine के सर्वश्रेष्ठ
By Bernard Levine, Shyama Singh. 2017
बर्नार्ड Levine के शब्दों से प्रेरित है, प्रोत्साहित किया है और समर्पित पाठकों केहजारों के लिए खुशी लाया । आप…
इसके लिए कहा है, आपके द्वारा वोट दिया,यहां पहली बार के लिए है बर्नार्ड Levine बहुत बेहतरीन प्रेरणादायक क्लासिक्सका संग्रह है ।الجنى الداني في حروف المعاني
By ابن أُمّ قَاسِم المرادي. 2001
فن التحرير العربي ضوابطه وأنماطه
By محمد صالح الشنطي. 2001
अब्राहम, इसहाक और याकूब के भगवान
By गेब्रियल एग्बो. 2020
परमेश्वर की वाचा के वादे विफल नहीं होते। यह पुस्तक आपको अपने जीवन के लिए भगवान के सभी वादों को…
प्राप्त करने में मदद करने के लिए लिखी गई है। यह व्यक्तिगत सावधानी के साथ एक विस्तृत और विस्तृत अध्ययन है, जिसमें ईश्वर की क्षमता और इच्छा है कि वह हमारे प्रति अपने सभी शब्दों का प्रदर्शन कर सके। उन्होंने कहा कि वह उन्हें पारित करने के लिए लाने के लिए उनके शब्दों पर देखता है।Bhavna Se Sudhare Janmo Janam: भावना से सुधरे जन्मोंजन्म
By Dada Bhagwan. 2016
९ कलमे, परम पूज्य दादा भगवान द्वारा दी गई अमूल्य भेट है| यह कलमे संसार के सभी शास्त्रों के ज्ञान…
को निचोडकर बनायीं हुई है जो भीतर से हमारे भावो में फेरबदल करती है और हमें एक आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा देती है| अक्सर लोग यह सोचते है कि, इस जीवन में उन्होंने किसीके साथ कुछ भी बुरा व्यवहार नहीं किया फिर भी क्यों उन्हें इतने सारे दुःख और तकलीफों का सामना करना पड़ता है| इसका जवाब देते हुए दादाजी बताते है कि, यह अभी का जो कुछ भी हो रहा है, वह तो सिर्फ परिणाम है, हमारे पिछले जन्मों में किये गए भावो का| और अभी हम जो भी नए भाव करेंगे उसका फल हमें आने वाले जन्मों में भुगतना रहेगा| यह ९ कलमे, हमें हमारे भीतर के भावो को बदलने में सहायरूप है जिससे हम अभी आनेवाली परेशानियों का सामना कर सके और अगले जन्मों के लिए कोई भी नयी परेशानियाँ खड़ी ना करे| हज़ारो लोगो को यह कलमे हर दिन बोलने से फायदा हुआ है| आप भी जान सकते है इस अभूतपूर्व विज्ञान को इस पुस्तक द्वारा|Aptavani Shreni 14 (Bhaag-2): आप्तवाणी श्रेणी १४ (भाग-२)
By Dada Bhagwan. 2016
इस आप्तवाणी में परम पूज्य दादाश्री द्वारा अनुभव किए गए आत्मा के गुणधर्मो और उसके स्वभाव का वर्णन है। थ्योरिटिकल…
तो है पर प्रेक्टिकली वे खुद उन गुणों का उपयोग कैसे कर पाए, उसका वर्णन है। उनके वर्तन में वह आ चुका था और हमें भी इनका उपयोग करके आत्मा में आ जाने की अद्भुत समझ दे पाए। और उन गुणों का उपयोग करके सांसारिक परिस्थितियों में वीतरागता कैसे रखी जा सकती है, वे बातें सिद्ध स्तुति के चेप्टर में हमें प्राप्त होती हैं । लौकिक मान्यताओं के सामने वास्तविक्ता क्या है और मान्यताओं की विविध दशाओं में ऐसे गुणों व स्वभाव का उपयोग कैसे किया जा सकता है, ज्ञानी पुरुष में ऐसे गुण व स्वभाव यथार्थ रूप से कैसे बरतते हैं और उससे भी आगे तीर्थंकर भगवंतो को सर्वोतम दशा में कैसा रहता होगा, ये सारी बातें जो दादाश्री के श्रीमुख से निकली हैं, वे सब यहाँ समाविष्ट हुई हैं।जादुवाद के मुंह पर तमाचा
By Gabriel Agbo, Sameer Kumar. 2018
यह किताब जादुवाद, झूठे धर्म और अनजाने में इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले क्रिया कलापों के प्रति…
आम इंसान को आगाह करती है | यह हमें बताती है की किस तरह और किस वक्त हम ईश्वर में ध्यान लगाकर अपने आस पास की राक्षसी शक्तियों को हरा सकते हैं|Vivekananda
By Romain Rolland, S. H Vatsyayam, Raghuvir Sahay. 2011
Romain Rolland was strongly influenced by the Vedanta philosophy of India, primarily through the works of Swami Vivekananda. He gives…
a brief sketch of the lives of Ramkrishna and Vivekananda and introduces the vedanta philosophy to the readers. Readers also know the life and journeys of Swami Vivekananda.Aptavani Shreni-14 (Bhaag-3): आप्तवाणी-श्रेणी-१४ (भाग -३)
By Dada Bhagwan. 2016
आप्तवाणी -14 भाग -3 में प्रकाशित प्रश्नोतरी सत्संग में, परम पूज्य दादाश्री ने आत्मज्ञान से लेकर केवलज्ञान दशा तक पहुँचने…
के लिए सारी समझ खुली कर दी हैं। खंड-1 में आत्मा के स्वरूप रियली, रिलेटिवली, संसार व्यवहार में हर एक जगह पर, कर्म बाँधते समय, कर्मफल भुगतते समय और खुद मूल रूप से कौन है, उसी तरह अस्तित्व के स्वरूप जो ज्ञानी पुरुष के श्रीमुख से निकले हैं, उनका विस्तारपूर्वक स्पष्टीकरण प्राप्त होता है। प्रतिष्ठित आत्मा, व्यवहार आत्मा, पावर चेतन, मिश्रचेतन, निश्चेतन चेतन और मिकेनिकल चेतन की ज्ञानी की दृष्टि में जो यथार्थ समझ है, वह शब्दों के माध्यम से परम पूज्य दादाश्री की वाणी द्वारा प्राप्त होती है। खंड-2 में ज्ञान के स्वरूप की समझ, स्वरूप के अज्ञान से लेकर केवलज्ञान तक के सभी प्रकार उसके अलावा ज्ञान-दर्शन के विविध प्रकारो की विस्तृत समझ प्राप्त होती है। अज्ञान में कुमति, कुश्रुत, कुअवधि एवम ज्ञान में श्रुतज्ञान, मतिज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्यव ज्ञान और केवलज्ञान, इस तरह पाँच भाग और दर्शन में चक्षु दर्शन, अचक्षु दर्शन, अवधि दर्शन और केवल दर्शन वगैरह का आध्यात्मिक स्पष्टीकरण प्राप्त होता है।