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sushant Test
By Sushant Bankar. 2020
Bhauteek Bhugol Ke Mul Sinddhant Class 11th S.C.E.R.T Raipur Chhattisgarh Board: भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत 11 वीं कक्षा एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर छत्तीस
By Raipur, C. G., Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2019
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत 11 वीं कक्षा का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने पुस्तक हिंदी…
भाषा में प्रकाशित किया गया है। इस किताब में कुल छः ईकाई दि गयी है, और उसमें पंधरह अध्याय दिए है । यह पुस्तक, ज्ञानवर्धक, ज्ञानोपयोगी एवं उपलब्धि स्तर की वृद्धि में सहायक सिद्ध होगी, यद्यपि संवर्धन एवं परिष्करण की सम्भावनाएँ सदैव भविष्य के लिए संचित रहती हैं, यह किताब में स्पष्टिकरण किया है।Pratinidhi Kahaniyan-Rangeya Raghav
By Rangeya Raghav. 2020
प्रस्तुत संकलन में जिन दस कहानियों को प्रस्तुत किया है वे हैं :‘पंच परमेश्वर’, ‘नारी का विक्षोभ’,‘देवदासी’, ‘तबेले का धुँधलका’,‘ऊँट…
की करवट’, ‘भय’, ‘जाति और पेशा’,‘गदल’, ‘बिल और दाना’ तथा ‘कुत्ते की दुम और शैतान : नए टेकनीक्स’।Pratinidhi Kahaniyan-Hrishikesh Sulabh
By Hrishikesh Sulabh. 2020
''अपनी कहानियों पर बात करना मेरे लिए कठिन काम है। बहुत हद तक अप्रिय भी। लिखी जा चुकी और प्रकाशित…
हो चुकी कहानियों से अक्सरहाँ मैं पीछा छुड़ाकर भाग निकलता हूँ, पर मुझे लगता है कि यह मेरा भ्रम ही है। मेरी कहानियों के कुछ पात्र लगातार मेरा पीछा करते हैं और अपनी छवि बदलकर, किसी लिखी जा रही नई कहानी में घुसने की बार-बार कोशिशें करते हैं। कई बार तो घुस भी आते हैं और मैं उन्हें न रोक पाने की अपनी विवशता पर हाथ मलते रह जाता हूँ। जैसे, 'वधस्थल से छलाँगÓ का रामप्रकाश तिवारी, जो 'यह गम विरले बूझे' या 'काबर झील का पाखी' जैसी कहानियों में घुस आया। मैंने अपनी कहानियों में प्रवेश के लिए किसी एक रास्ते का चुनाव नहीं किया। हर कहानी में प्रवेश के लिए मेरी राह बदल जाती है। कभी किसी पात्र की बाँह पकड़कर प्रवेश करता हूँ, तो कभी कोई घटना या व्यवहार या स्मृति या विचार कहानी के भीतर पैठने के लिए मेरी राहों की निर्मिति करते हैं। हमेशा एक अनिश्चय और अनिर्णय की स्थिति बनी रहती है। हर बार नई कहानी शुरू करने से पहले मेरा मन थरथर काँपता है। शायद यही कारण है कि बहुत कम कहानियाँ लिख सका हूँ। मेरे कुछ मित्रों का मानना है कि कहानी और नाटक लिखने के बीच आवाजाही के कारण मेरी कहानियों पर आलोचकों की नज़र नहीं पड़ी। पर यह सच है कि नाटक और कहानी के बीच मेरी यह आवाजाही मुझे बहुत प्रिय है। हर बार नौसिखुए की तरह अथ से आरम्भ करना मुझे पुनर्नवा करता है। मैं यह करते रहना चाहता हूँ।'' —भूमिका सेPratinidhi Kahaniyan-Rajkaml Chaudhry
By Rajkamal Choudhary. 2020
प्रस्तुत संकलन की कहानियाँ रोटी, सेक्स एवं सुरक्षा के जटिल व्याकरण से जूझते आम जनजीवन की त्रासदी की कथा कहती…
हैं । राजकमल की मैथिली कहानियों के पात्र जहाँ सामाजिक मान्यताओं के व्यूह में फँसकर भी अपनी परंपराओं के मानदण्ड में परहेज से रहते हैं वहाँ इनकी हिन्दी कहानियों के पात्र महानगरीय जीवन के कशमकश में टूट-बिखर जाते हैं । यौन विकृतियाँ इनकी मैथिली एवं हिन्दी-दोनों भाषाओं की कहानियों का प्रमुख विषय है और दोनों जगह यह अर्थतंत्र द्वारा ही संचालित होती हैं । ये कहानियाँ कहानीकार की गहन जीवनानुभूति और तीक्ष्णतम अभिव्यक्ति का सबूत पेश करती हैं । राजकमल की कहानियाँ न केवल विषय के स्तर पर, बल्कि भाषा एवं शिल्प की अन्यान्य प्रविधियों के स्तर पर भी एक चुनौती है जो कई मायने में सराहनीय भी है और ग्रहणीय भी । इनकी कहानियों का सबसे बड़ा सच है कि जहाँ से इनकी कहानी खत्म होती है, उसकी असली शुरुआत वहीं से होती है ।Pratinidhi Kahaniyan-Amarkant
By अमरकांत. 2020
अमरकांत की कहानियों में मध्यवर्ग, विशेषकर निम्न-मध्यवर्ग के जीवनानुभवों और जिजीविषाओं का बेहद प्रभावशाली और अन्तरंग चित्रण मिलता है !…
अक्सर सपाट-से नजर आनेवाले कथ्यों में भी वे अपने जिवंत मानवीय संस्पर्श के कारण अनोखी आभा पैदा कर देते हैं ! सहज-सरल रूपबंधवाली ये कहानियां जिंदगी की जटिलताओं को जिस तरह समेटे रहती हैं, कभी-कभी उससे चकित रह जाना पड़ता है ! लेकिन यह अमरकांत की ख़ास शैली है ! अमरकांत के व्यक्तित्व की तरह उनकी भाषा में भी एक ख़ास किस्म की फक्कड़ता है ! लोक-जीवन के मुहावरों और देशज शब्दों के प्रयोग से उनकी भाषा में माटी का सहज स्पर्श तथा ऐसी सोंधी गंध रच-बस जाती है जो पाठकों को किसी छदम उदात्तता से परे, बहुत ही निजी लोक में, ले जाती है ! उनमे छिपे हुए व्यंग्य से सामान्य स्थितियाँ भी बेहद अर्थव्यंजक हो उठती हैं ! अमरकांत के विभिन्न कहानी-संग्रहों में चरित्रों का विशाल फलक ‘जिन्दगी और जोंक’से लेकर ‘मित्र मिलन’ तक फैला हुआ है ! उन्ही संग्रहों की लगभग सब चर्चित कहानियां एक जगह एकत्र होने के कारण इस संकलन की उपादेयता निश्चित रूप से काफी बढ़ गई है !Pratinidhi Kahaniyan-Shekhar Joshi
By Shekhar Joshi. 2020
शेखर जोशी की कहानियों में शिल्प और संवेदना के अंतर्संबंधो की सुरम्य रचना के साथ जीवन और समाज के सहज…
उन्नयन एवं परिवर्तनकारी दृष्टि के प्रति दायित्वबोध साफ़ दृष्टिगोचर होता है ! कथात्मक गठन में भाषा के सूक्ष्म उपयोग का उन जैसा आधुनिक बोध हिन्दी कहानी में अपरिचित है ! अत्यन्त सहज और ठंडी भाषा के माध्यम से ए कहानियाँ हमारे समक्ष जिस यथार्थ का उद्घाटन करती हैं, उसके पीछे समकालीन जन-जीवन की बहुविध विडम्बनाओं को महसूस किया जा सकता है ! सपनों की वास्तविकता से अपरिचित बच्चों की ख़ुशी हो या बिरादरी की दलदल में फँसे व्यक्ति की मनोदशा-लेखकीय दृष्टि उन्हें एक अर्थ-गाम्भीर्य से भर देती है ! उसके पास आदर्शवादी निर्णय हैं तो उनके सामने खड़ा कठोर और भयावह यथार्थ भी है ! वस्तुतः शेखर जोशी की ये कहानियाँ बिना किसी शोर-शराबे के हमारी सोच के विभिन्न स्तरों को स्पर्श और झंकृत करनेवाले रचनात्मक गुणों से परिपूर्ण हैं !Pratinidhi Kahaniyan-Mithileshwar
By Mithileshwar. 2020
जाने-माने कथाकार मिथिलेश्वर हिन्दी कथा-साहित्य में एक अलग महत्त्व रखते हैं । प्रेमचंद और रेणु के बाद हिन्दी कहानी से…
जिस गाँव को निष्कासित कर दिया गया था, अपनी कहानियों में मिथिलेश्वर ने उसी की प्रतिष्ठा की है । दूसरे शब्दों में, वे ग्रामीण यथार्थ के महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं और उन्होंने आज की कहानी को संघर्षशील जीवन-दृष्टि तथा रचनात्मक सहजता के साथ पुन: सामाजिक बनाने का कार्य किया है । इस संग्रह में शामिल उनकी प्राय: सभी कहानियाँ बहुचर्चित रही हैं । ये सभी कहानियाँ वर्तमान ग्रामीण जीवन के विभिन्न अन्तर्विरोधों को उद्घाटित करती हैं, जिससे पता चलता है कि आजादी के बाद ग्रामीण यथार्थ किस हद तक भयावह और जटिल हुआ है । बदलने के नाम पर गरीब के शोषण के तरीके बदले हैं और विकास के नाम पर उनमें शहर और उसकी बहुविध विकृतियां पहुँची हैं । निस्सन्देह इन कहानियों में लेखक ने जिन जीवन-स्थितियों और पात्रों का चित्रण किया है, वे हमारी जानकारी में कुछ बुनियादी इजाफा करते हैं और उनकी निराडंबर भाषा-शैली इन कहानियों को और अधिक सार्थक बनाती हैं ।Pratinidhi Kahaniyan-Jogendra Paul
By Jogendra Paul. 2020
पहली बार मैं जब जोगेंद्र पाल से मिला तो वो ठीक अपनी शक्ल, किरदार और आदतों के एतवार से एक…
मालदार जौहरी नजर आया | बाद में मुझे मालूम हुआ कि मेरा कयास ज्यादा गलत भी न था | वो जौहरी तो जरूर है, लेकिन हीरे-जवाहरात का नहीं; अफसानों का - और मालदार भी लेकिन अपनी कला में | - कृष्ण चंदर | एक परिचय : धरती का काल उर्दू कथा-साहित्य में जोगेंद्र पाल अपने रचनात्मक अनुभव के लिए नए-नए महाद्वीप खोजनेवाले कथाकार हैं-चंद उन कथाकारों में से एक जिन्होंने अपनी आँखे बाहर की और खोल राखी हैं और जो अपने दिल के रोने की आवाज पर भी कान धरते हैं...| - डॉ. अनवर सदीद औरक | लाहौर जोगेंद्र पाल के यहाँ कहानी बयान नहीं होती, बल्कि सामने जिंदगी के स्टेज पर घटित होती है | उनके चरित्र उस स्टेज से निकलकर हमारे हवास के इतने करीब आ जाते हैं कि हमें अपने वजूद में उनकी साँसों का उतार-चढाव महसूस होता है...| - डॉ. कमर रईस | जोगेंद्र अपल : फेन और शख्सियत जोगेंद्र पाल ने मुर्दा लफ्जों को नई जिंदगी अता करने की तख्लीकी (रचनात्मक) कोशिश की है ; उनमें आदम बू पैदा की है | उनकी रचनातमक भाषा जानने की जुबान नहीं, जीने की जुबान है | - निजाम सिद्दीकीPratinidhi Kahaniyan-Geetanjali Shree
By गीतांजलि श्री. 2020
यह गीतांजलि श्री की कहानियों का प्रतिनिधि संचयन है। गीतांजलि की लगभग हर कहानी अपनी टोन की कहानी है और…
विचलन उनके यहाँ गभग नहीं के बराबर है और यह बात अपने आपमें आश्चर्यजनक है क्योंकि बड़े-से-बड़े लेखक कई बार बाहरी दबावों और वक़्ती ज़रूरतों के चलते अपनी मूल टोन से विचिलत हुए हैं। यह अच्छी बात है कि गीतांजलि श्री ने अपनी लगभग हर कहानी में अपनी सिग्नेचर ट्यून को बरकरार रखा है। लेकिन सवाल यह है कि गीतांजलि कीकहानियों की यह मूल टोन आखिर है क्या? एक अजीब तरह का फक्कड़पन, एक अजीब तरह की दार्शनिकता, एक अजीब तरह की भाषा और एक अजीब तरह की रवानी। लेकिन ये सारी अजीबियतें ही उनके कथाकार को एक व्यक्तित्व प्रदान करती हैं। यहाँ यह कहना ज़रूरी है कि यह सब परम्परा से हटकर है और परम्परा में समाहित भी।Pratinidhi Kahaniyan-Akhilesh
By Akhilesh. 2020
अखिलेश की कहानियाँ बातूनी कहानियाँ हैं . .गजब का बतरस है उनमें । वे अपने पाठकों से जमकर बातें करती…
हैं अपने सबसे प्यारे दोस्त की तरह गलबहियाँ लेकर वे आपको आगे और. आगे ले जाती हैं और उनमें उस तरहकी सभी बातें होती हैं जो दो दोस्तों के बीच घट सकती हैं । (कोई चाहे तो इसे कहानीपन भी कह सकता है ।) यही वजह है कि बेहद गम्भीर विषयों पर लिखते हुए भी अखिलेश की कहानियाँ . जबर्दस्ती की गम्भीरता कभी नहीं झड़ती हैं । पढ़ते हुए कई बार एक मुस्कान-सी ओठों पर आने को ही होती है । क्योंकि उनके यहाँ कोई बौद्धिक आतंक, सूचना का कोई घटाटोप या किसी और तरह का बेमतलब का जंजाल चक्कर नहीं काटता कि पाठक कहीं' और ही फँसकर रह जाए. । इन कहानियों की एक और खूबी येह भी है कि ये कहानियाँ पाठक से ही नहीं बात करती चलती बल्कि खुद उनके भीतर भी कई तरह के समानान्तर संवाद चलते रहते हैं 1 वे खुद भी अपने चरित्रों से बतियाते चलते हैं, उनके भीतर चल रही उठा- पटक को .अपने अखिलेशियन अन्दाज में' सामने लाते हुए । क्या है ये अखिलेशियन अन्दाज ! उसकी पहली पहचान यह है कि वह बिना मतलब गम्भीरता का ढोंग नहीं करते बल्कि उनकी कहानियाँ अपने पाठकों को भी थोपी हुई गम्भीरता से दूर ले जानेवाली कहानियाँ हैं. । उनकी कहानियों का गद्य मासूमियत वाले अर्थों में हँसमुख ? नहीं है बल्कि चुहल- भरा, शरारती पर साथ ही बेधनेवाला गद्य है ।FHD-02 हिंदी में आधार पाठ्यक्रम (खंड 3: साहित्य : विविध विधाएँ) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय…
ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में छह इकाइयाँ शामिल हैं। प्रत्येक विधा के परिचय हेतु एक संपूर्ण इकाई दी गई है, जिससे एक विशिष्ट विधा की अंर्तरचना और विशिष्टता को आप समझ सकेंगे। प्रत्येक इकाई साहित्य की विशिष्ट विधा की स्वतंत्र लेखन शैली को समझाने में आपकी सहायता करेगी। उदहारण के लिए इकाई-18 में आप 'संस्मरण' लेखन का उद्देश्य, उसकी विशिष्टता, संरचना, भाषा, शिल्प आदि का परिचय प्राप्त कर सकेंगे। प्रत्येक इकाई में विविध विधा में उपलब्ध प्रसिद्ध लेखकों की महत्वपूर्ण रचनाओं का मूलपाठ जोड़ दिया गया है।FHD - 02 Hindi Me Aadhar Pathyakram - Khand 2 Lekhan Kaushal - IGNOU: FHD 02 हिंदी में आधार पाठ्यक्रम - खंड 2: लेखन कौशल - इग्नू
By Indira Vishvavidyalaya. 2018
FHD-02 हिंदी में आधार पाठ्यक्रम (खंड 2: लेखन कौशल) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी…
भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में हम कुल छह इकाइयाँ दे रहे हैं। इकाई 7 प्रभावी लेखन से संबंधित है। इसमें हमने प्रभावी लेखन की अवधारणा के विषय में चर्चा की है तथा साथ ही विषयवस्तु एवं शिल्प के उन प्रमुख पक्षों की जानकारी भी दी है जिनसे लेखन प्रभावी हो सकता है। इकाई 8 पुनःरचना की तैयारी से संबद्ध है इसमें रचना की तैयारी से पहले तथा रचना करते समय ध्यान देन योग्य बातों की चर्चा की गई है। रचना में शीर्षक का क्या महत्व है यह भी बताया गया है। इकाई 9 पुनःरचना से संबंधित है। इसमें संक्षेपण, भाव पल्लवन, रिपोर्ट लेखन आदि की जानकारी दी गई है। परीक्षा की तैयारी करते समय पाठ्यसामग्री का अध्ययन करके उसमें से महत्वपूर्ण बिन्दुओं के किस प्रकार नोट्स लिए जाते हैं, इसकी जानकारी नोट्स लेखन के अन्तर्गत दी गई है। इकाई 10,11 एवं 12 रचना के प्रमुख प्रकारों से संबंद्ध है। वर्णनात्मक लेखन में किसी व्यक्ति वस्तु दृश्य या घटना का चित्रण वर्णनों द्वारा किस प्रकार किया जाता है, इसकी जानकारी इस इकाई में दी गई है।FHD-02 हिंदी में आधार पाठ्यक्रम (खंड 4: लिखित सम्प्रेषण) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी…
भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में हम कुल छह इकाइयाँ दे रहे हैं। पहली इकाई में औपचारिक पत्र लेखन पर विचार किया गया है। दूसरी इकाई में संचार माध्यमों के लिए लेखन पर विचार किया गया है। तीसरी इकाई में कार्यालयी लेखन पर विचार किया गया है। खंड की चौथी इकाई में सर्जनात्मक लेखन की भाषा पर विचार किया गया है। खंड की पाँचवी इकाई में ऐसी साहित्यिक विधाओं की भाषा पर विचार किया है जिन्हें वैयक्तिक लेखन की श्रेणी में गिना जा सकता है। छठी इकाई का संबंध भाषण के लिए लेखन से है। तात्पर्य यह है कि ऐसा लेखन जिसका उपयोग बाद में बोलने के लिए किया जाएगा। उदाहरण के लिए रेडियो या टी वी समाचार, रेडियो वार्ता, भाषण और संवाद लेखन।BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 4: राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणाली) - इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी…
राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड में भारतीय राजनीति और सार्वजनिक प्रशासन व कार्यनीतियों की प्रकृति और संरचना के बारे में चर्चा की गई है। इस खंड में 4 इकाइयाँ हैं, जिनमें भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताओं, भारत में लोकतंत्र की प्रकृति, प्रशासनिक संरचना और प्रक्रियाओं तथा शासन के मुद्दों व कार्यनीतियों का वर्णन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य राजनीतिक और प्रशासनिक संस्थाओं की मूल कार्यप्रणाली की जाँच करना है।BSHF-101 मानविकी और सामाजिक विज्ञान में आधार पाठ्यक्रम (खंड 7: समसामयिक मुद्दे और चुनौतियाँ) - इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी…
राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । इस खंड की पाँच इकाइयाँ हैं, इन खण्ड में कुछ "समसामयिक मुद्दे और चुनौतियाँ" पर विचार किया गया है। खण्ड में मानव सुरक्षा, शिक्षा और जागरूकता, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, शान्ति और संघर्ष तथा पर्यावरण से सम्बद्ध समाज विज्ञान में उभरते हुए कुछ मुद्दों से परिचित किया है। इन इकाइयों में कुछ मुख्य प्रश्नों, चिन्ताओं, और वाद-विवादों पर चर्चा करने का प्रयास किया है।FHD-02 हिंदी में आधार पाठ्यक्रम (खंड 1: भाषा और सम्प्रेषण) – इग्नू यह किताब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने…
हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है । हिंदी में आधार पाठ्यक्रम-02 (एफ.एच.डी.02) का यह पहला खंड है इस खंड में छह इकाइयाँ हैं । इस खंड में भाषा और सम्प्रेषण पर विचार किया गया है। सम्प्रेषण के क्रम में हम भाषा का विभिन्न स्तरों पर उपयोग करते हैं। सम्प्रेषण मुख्य रूप से बोलकर और लिखकर किया जाता है। इसके अलावा हम अपने शारीरिक अंगों के माध्यम से भी अपने भावों को प्रकट करते हैं। इसे उच्चरित भाषा, लिखित भाषा और आंगिक भाषा के नाम से जाना जाता है। इन तीनों भाषिक अभिव्यक्तियों पर हमने अलग अलग इकाइयों में विचार किया है।Rasayan Bhag 1 class 11 - S.C.E.R.T Raipur - Chhattisgarh Board: रसायन (भाग 1) कक्षा 11 - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़ बोर्ड
By Raipur, C. G., Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2017
रसायन (भाग-1) कक्षा 11 वीं का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित…
किया गया है, इस पुस्तक में रसायन विज्ञान की मूल अवधारणाओं, परमाणु की संरचना, गुणधर्मों में आवर्तिता, रासायनिक आबंधन तथा विभिन्न प्रकार की अभिक्रियाओं से अवगत किया गया है। इस पाठ्यपुस्तक में सात अध्यायों का विवरण किया गया है।Bhautiki Bhag 2 class 11 - S.C.E.R.T Raipur - Chhattisgarh Board: भौतिकी भाग-2 कक्षा 11 - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़ बोर्ड
By Raipur, C. G., Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2017
भौतिकी भाग-2 कक्षा 11 वी का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित…
किया गया है, इस पाठपुस्तक में सात अध्याय दिये गये है, भौतिकी की विशेष प्रकृति, धारणाओं की समझ के अलावा कुछ परिपाटियों का ज्ञान, आधारभूत गणितीय साधन, महत्त्वपूर्ण भौतिक स्थिरांकों के आंकिक मान, सूक्ष्म स्तर से गैलेक्सीन स्तर के परिसर तक उपयोगी मात्रकों की प्रणाली की अपेक्षा करती है। विद्यार्थियों की सहायता के लिए हमने पुस्तक के अंत में परिशिष्ट A1 से A9 के रूप में आवश्यक साधन एवं डाटाबेस दिए हैं। अतिरिक्त जानकारी या किसी अध्याय विशेष में वर्णित विषय के उपयोग के लिए कुछ अध्यायों के अंत में भी कुछ परिशिष्ट दिए गए हैं।Ramayana
By Om Book International. 2006
The Ramayana is a crucial part of Indian literature and is the story of Lord Rama's journey. The events that…
are described in the Ramayana are supposed to have been a part of our history and tell us about the importance of relationships and the duties that come with it.