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Asie (histoire), Politique et gouvernement, Essais et documents généraux
Audio avec voix de synthèse
मध्यकालीन भारत राजनीति, समाज और संस्कृति यह पुस्तक इतिहास के काल का वर्णन प्रस्तुत करती है, प्रस्तुत पुस्तक में विस्तार…
से इन अंतरों का पता लगाने की कोशिश किए बगैर आठवीं सदी से सत्रहवीं सदी की समाप्ति तक भारत के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों के अभ्युदय के अध्ययन का प्रयास किया गया है । इन सभी पहलुओं को एक खंड में समायोजित करना कठिन काम था । इस कार्य के पीछे ध्येय यह रहा है कि पिछले चार दशकों में इतिहासकारों द्वारा मध्यकालीन भारतीय इतिहास को एक नई दिशा देने के प्रयासों को एक जगह लाने से इसके प्रति आम लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी । साथ ही, मध्यकालीन भारत में राज्य की प्रकृति, लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता और उस अवधि में आर्थिक विकास की प्रवृत्ति को लेकर हाल में उठे विवादों को सही परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकेगा । इस पुस्तक में यह दर्शाया गया है कि बड़े साम्राज्यों के अभ्युदय और फिर छोटे खंडों में विभाजन और एकीकरण का मतलब हमेशा आर्थिक निष्क्रियता और सांस्कृतिक ह्रास ही नहीं रहा है, भारतीय इतिहास के मध्यकाल की तुलना अकसर तुर्क और मुगल शासनकाल से की जाती है जिसका अर्थ है सामाजिक कारकों की जगह राजनीतिक कारकों को प्राथमिकता देना । यह अवधारणा इस मान्यता पर भी आधारित है कि पिछली कई सदियों के दौरान भारतीय समाज में बहुत थोड़ा बदलाव आया है । इतिहासकारों ने भारत में जनजातीय समाज के क्षेत्रीय राज्यों में तब्दील होने का मूल्यांकन किया है ।
Vishwa Bhugol - Ranchi University, N.P.U: विश्व भूगोल - राँची यूनिवर्सिटी, एन.पी.यू.
Par Majid Husain. 2007
Braille (abrégé), Braille électronique (abrégé), DAISY Audio (CD), DAISY Audio (Téléchargement Direct), DAISY Audio (Zip), DAISY texte (Téléchargement direct), DAISY texte (Zip), Word (Zip), ePub (Zip)
Asie (histoire)
Audio avec voix de synthèse, Braille automatisé
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) द्वारा तैयार किये गये स्नातक (graduate) तथा स्नात्कोत्तर (post-graduate) पाठ्यक्रमों (syllabus) में भी संसार…
के महाद्वीपों तथा देशों के भूगोल को कोई स्थान नहीं दिया गया है। इसके विपरीत, संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) की प्रारंभिक (prelims) परीक्षा के पाठ्यक्रम में संसार तथा प्रत्येक महाद्वीप के मुख्य देशों के भूगोल का विशेष स्थान है जिसके लिये लगभग 30 प्रतिशत अंक रखे गये हैं। भारत के विभिन्न राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं में भी कुछ ऐसी ही स्थिति हैं। इन प्रारंभिक परीक्षाओं में उम्मीदवारों (candidates) की सामर्थ्यता की बारीकी के साथ परीक्षण के लिये प्रायोगिक (application), विश्लेषणात्मक (analytical), संलिष्ठ (synthetic) तथा तुलनात्मक (comparison) प्रकार के प्रश्न भूगोल के विद्वानों द्वारा तैयार किये जाते हैं। इस प्रकार के जटिल प्रश्नों का सविश्वास क्रमबद्ध सही उत्तर देने के लिये संसार के विभिन्न देशों के भूगोल का गहन अध्ययन अत्यावश्यक है। यह केवल एक संयोग है कि संसार के भूगोल पर अभी तक एक भी पुस्तक ऐसी नहीं लिखी गई जिसमें संसार के सभी महाद्वीपों, प्रदेशों तथा देशों की भौतिक तथा सांस्कृतिक विशेषताओं पर क्रमबद्ध तथा सुव्यवस्थित चर्चा की गई हो, जिससे कि विद्यार्थियों तथा प्रशासनिक परीक्षा के उम्मीदवारों की समस्याओं का समाधान निकल सके। इस पृष्ठभूमि में प्रस्तुत पुस्तक की योजना 1999 में तैयार की गई थी ताकि प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वाले विद्यार्थियों की समस्याओं का किसी सीमा तक निवारण हो सके।