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By Dada Bhagwan. 2016
हमारे जीवन में पैसों का अपना महत्व है। यह संसार पैसों और जायदाद को सबसे महत्वपूर्ण चीज मानता है। कुछ…
भी करने के लिए पैसा ज़रूरी है इसलिए लोगों को पैसों के प्रति अधिक प्रेम है। इसी कारण दुनिया में चारों और नैतिक या अनैतिक तरीके से अधिक से अधिक पैसा प्राप्त करने की लड़ाइयाँ हो रही हैं। पैसों और जायदाद के असमान बंटवारे को लेकर लोग परेशान हैं। इस भयंकर कलयुग में पैसों के बारे में नैतिक और ईमानदार रहना बहुत मुश्किल है ज्ञानी पुरुष परम पूज्य दादा भगवान ने पैसों की दुनिया को जैसा देखा है, वैसी दुनिया से संबंधित पैसे दान और पैसों के उपयोग से संबंधित खुद के विचार रखे हैं। उनके बताए अनुसार पैसे पिछले जन्मों के पुण्य का फल है जब आप औरों की मदद करते हैं तब आपके पास धन संपत्ति आती है, उसके बिना नहीं। जिन्हें दूसरों के साथ बांटने की इच्छा है उन्हें धन संपत्ति प्राप्त होती है। चार प्रकार के दान हैं - अन्न दान औषध दान, ज्ञान दान और अभय दान। पैसों के विज्ञान का विज्ञान नहीं समझने के कारण पैसों के लिए लोभ उत्पन्न हुआ है जिसके कारण जन्म के बाद जन्म होते रहते हैं। अतः इस पुस्तक को पढ़ें समझें और पैसों से संबंधित आध्यात्मिक विचार ग्रहण करें।By Dada Bhagwan. 2016
परम पूज्य दादाश्री का ज्ञान लेने के बाद, आप अपने भीतर की सभी क्रियाओं को देख सकेंगे और विश्लेषण कर…
सकेंगे। यह समझ, पूर्ण ज्ञान अवस्था में पहुँचने की शुरूआत है। ज्ञान के प्रकाश में आप बिना राग द्वेष के, अपने अच्छे व बुरे विचारों के प्रवाह को देख पाएँगे। आपको अच्छा या बुरा देखने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि विचार परसत्ता है। तो सवाल यह है कि ज्ञानी दुनिया को किस रूप में देखतें हैं ? ज्ञानी जगत् को निर्दोष देखते हैं। ज्ञानी यह जानते हैं कि जगत की सभी क्रियाएँ पहले के किए हुए चार्ज का डिस्चार्ज हैं। वे यह जानते हैं कि जगत निर्दोष है। नौकरी में सेठ के साथ कोई झगड़ा या अपमान, केवल आपके पूर्व चार्ज का डिस्चार्ज ही है। सेठ तो केवल निमित्त है। पूरा जगत् निर्दोष है। जो कुछ परेशानियाँ हमें होती हैं, वह मूलतः हमारी ही गलतियों के परिणाम स्वरूप होती हैं। वे हमारे ही ब्लंडर्स व मिस्टेक्स हैं। ज्ञानी की कृपा से सभी भूलें मिट जाती हैं। आत्म ज्ञान रहित मनुष्य को अपनी भूले न दिखकर केवल औरों की ही गलतियाँ दिखतीं हैं। निजदोष दर्शन पर परम पूज्य दादाश्री की समझ, तरीके, और उसे जीवन में उतारने की चाबियाँ इस किताब में संकलित की गई हैं। ज्ञान लेने के बाद आप अपनी मन, वचन, काया का पक्ष लेना बंद कर देते हैं और निष्पक्षता से अपनी गलतियाँ खुद को ही दिखने लगती हैं, तथा आंतरिक शांति की शुरूआत हो जाती है।By Dada Bhagwan. 2016
क्या आप जीवन में उठनेवाले विभिन्न क्लेशों से थक चुके हो ? क्या आप हैरान हो कि नित्य नए क्लेश…
कहाँ से उत्पन्न हो जाते हैं ? क्लेश रहित जीवन के लिए आपको केवल पक्का निश्चय करना है कि आप लोगों के साथ सारा व्यवहार समभाव से निपटाओगे। यह चिंता नहीं करनी कि आप इसमें सफल होंगे या नहीं। केवल दृढ निश्चय करना है। फिर आज या कल, जीवन में शांति आकर ही रहेगी। हो सकता है कि इसमें कुछ साल भी लग जाएँ। क्योंकि आपके बहुत चीकने कर्म हैं। यदि बीवी-बच्चों के साथ बहुत उलझे हुए कर्म हों तो निकाल करने में अधिक समय लग जाता है। करीबी लोगों के साथ उलझने क्रमशः ही समाप्त होती हैं। यदि आप एक बार समभाव से निकाल करने का दृढ निश्चय कर लेंगे तो आपके सभी क्लेशों का अंत आएगा। चिकने कर्मों का निकाल करते वक्त आपको अत्यंत जागृत रहना होगा। साँप चाहे कितना भी छोटा हो, आपको सावधानी रहते हुए आगे बढ़ना होगा। अगर आपने लापरवाही और सुस्ती दिखाई तो इन मामलों को सुलझाने में असफल होंगे। व्यवहार में सभी के साथ समभाव से निकाल करने के दृढ़ निश्चय के बाद, यदि कोई आपको कटु वाणी बोल दे और आपकी भी कटु वाणी निकल जाए, तो आपके बाहरी व्यवहार का कोई महत्व नहीं, क्योकि आपकी घृणा समाप्त हो चुकी है। और आपने समभाव से निकाल का दृढ़ निश्चय कर रखा है। घृणा अहंकार का भाव है और वाणी शरीर का भाव है। अगर आपने समभाव से निकाल करने का दृढ़ निश्चय किया है, तो आप अवश्य सफल होंगे तथा आपके सभी कर्म भी समाप्त होंगे। आज अगर आप किसी का लोन नहीं चुका पाते, तो भविष्य में ज़रूर चुकता कर पाएँगे। आपके ऋण दाता आपसे आखिरकर आपसे उगाही कर ही लेंगे। “प्रतिशोध के सभी भावनाओं से मुक्त होने के लिए आपको परम पूज्य दादाश्री के पास आकर ज्ञान ले लेना चाहिए। मैं आपको इसी जीवन में प्रतिशोध की सभी भावनाओं से मुक्त होने का रास्ता दिखाऊँगBy Dada Bhagwan. 2016
लौकिक जगत् में बाप-बेटा, माँ-बेटी, पति-पत्नी, वगैरह संबंध होते हैं। उनमें गुरु-शिष्य भी एक नाजुक संबंध है। गुरु को समर्पित…
होने के बाद पूरी ज़िंदगी उसके प्रति ही वफादार होकर, परम विनय तक पहुँचकर, गुरु की आज्ञा के अनुसार साधना करके, सिद्धि प्राप्त करनी होती है। लेकिन सच्चे गुरु के लक्षण और सच्चे शिष्य के लक्षण कैसे होते हैं ? उसका सुंदर विवेचन इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है। गुरुजनों के लिए इस जगत् में विविध मान्यताएँ प्रवर्तमान है। तब ऐसे काल में यथार्थ गुरु बनाने के लिए लोग उलझन में पड़ जाते हैं। यहाँ पर ऐसी ही उलझनों के समाधान दादाश्री ने प्रश्नकर्ताओं को दिए है। सामान्य समझ से गुरु, सदगुरु और ज्ञानीपुरुष –तीनों को एक साथ मिला दिया जाता है। जब कि परम पूज्य दादाश्री ने इन तीनों के बीच का एक्ज़ेक्ट स्पष्टीकरण किया है। गुरु और शिष्य –दोनों ही कल्याण के मार्ग पर आगे चल सके, उसके लिए तमाम दृष्टीकोणों से गुरु-शिष्य के सभी संबंधों की समझ, लघुतम फिर भी अभेद, ऐसे ग़ज़ब के ज्ञानी की वाणी यहाँ संकलित की गई है।By Dada Bhagwan. 2016
कभी ज्ञानीपुरुष मिल जाए, जो मुक्त पुरुष हैं, परमेनन्ट मुक्तिहै, ऐसा कोई मिल जाए तो अपना काम हो जाता है।…
शास्त्रों के ज्ञानी तो बहुत है, मगर उससे तो कोई काम नहीं चलेगा। सच्चा ज्ञानी चाहिए, मोक्ष का दान देनेवाला चाहिए।By Dada Bhagwan. 2016
आज के युग में जहाँ विज्ञान ने इतनी प्रगति की है वहाँ लोगो के बीच अभी भी बहुत सारी चमत्कार…
और जादू-टोना संबंधित भ्रामक मान्यताएँ है| चमत्कार का मतलब है हमारी समझ से परे किसी अद्वितीय शक्ति का अस्तित्व होना| हमारे भारत देश में लोगो को धर्म और चमत्कार के नाम पर गुमराह करना बहुत ही आसान है क्योंकि किसी अवांछित घटना से बचने के लिए लोग इन बातों पर आसानी से भरोसा कर लेते है| ज्ञानी पुरुष दादा भगवान हमें इन चमत्कारों में छुपी हुई सच्चाई से वाकिफ कराते हुए चमत्कार और सिद्धि के बीच का अंतर बताते है| सामान्यतः लोगो में खड़े होने वाले प्रश्न जैसे- चमत्कार कौन करता है? किस तरह वह हमारे जीवन को प्रभावित करता है? क्या हम कोई चमत्कार करके भगवान को प्रसन्न कर सकते है?||इत्यादि के उत्तर हमें इस पुस्तक में मिलते है| दादाश्री स्पष्टतौर पर यही बताना चाहते है कि आत्मा इन सभी बातों से परे हैं और आत्म-साक्षात्कार मोक्ष प्राप्त करने का एकमात्र सरल उपाय है| आध्यात्मिकता और चमत्कार के बीच का सही अंतर जानने के लिए यह किताब अवश्य पढ़े|By Shekhar Bandhyopadhyay. 2006
This is the history of India under British rule. It is more concerned with the people rather than the rulers.…
It gives a beautiful description as to how a nation was emerging even in the presence of lots of contradiction. The writer has adopted innovative way of writing history and most of the time he is on middle path. This is an authentic description of ups and down of Indian nationalismBy Dada Bhagwan. 2016
हममें से ज्यादातर लोग हमेशा एक समस्याका सामना कर रहें हैं | जिसमे एक तरफ व्यव्हारमें हरेक क्षण बाहरी प्रश्न…
खड़े होते हैं, और दूसरी तरफ अंदरूनी संघर्षमे भी फँसे हुए रहते हैं और अकेले हाथों से उनको हल करना होता है | हम जानते है की कभी - कभी हमारी वाणी के प्रश्न खड़े किये होते है, या हमको किसीने कुछ कहा इसलिए हम दुखी होते है, या तो हम दूसरेका बूरा सोचते है या फिर हमें लगता है हमारे साथ अन्याय हुआ है अथवा हम खुद ही अंदरसे शांतिका अनुभव नहीं कर सकते | सांसारिक जीवन व्यवहार वह समस्याओं का संग्रह्स्थान है | एक समस्या का हल आता है की पीछे और समस्या खड़ी हो जाती है | क्यूँ हमें ऐसी समस्याओंका सामना करना पड़ता है? क्यूँ हम अनंत जन्मोंसे भटकते रहते है? ‘अटकण’ की वजह से! हकीकतमे खुदके पास आत्माका परम आनंद था ही, परंतु खुद दैहिक सुखोंकी अटकणों में डूब गए थे | यह अटकण ज्ञानीपुरुषकी कृपा से और उसके बाद अपने पराक्रमसे टूट सकती है | एक बार आपको आत्मज्ञान होगा, तो जगत शांत हो जायेगा | यह जीवन दूसरों की व्यर्थ चर्चा मे व्यय करने के लिए नहीं है | यह जगत जैसा है वैसा है | उसमे आपको आपकी ‘खुद’की सेफ साइड ढूँढ निकालनी है | तो चलो, हम डूब की लगायें और जाने की यह अक्रम विज्ञान कैसे बंधन, कर्म, वाणी, प्रतिक्रमण, कुदरत के नियम ईत्यादि का विज्ञान समझने में उपयोगी है जिससे सर्व सांसारिक समस्याओं के तूफानो का डटकर सामना करना आसान हो जाए |By Dada Bhagwan. 2016
व्यवस्थित शक्ति के द्वारा हमारे जीवन का समस्त सांसारिक व्यवहार डिस्चार्ज हो रहा है। हमारी पाँचों इन्द्रियाँ कर्म के अधीन…
हैं। कर्मों के बंधन का कारण क्या है? यह धारणा की कि ‘मैं चंदुलाल हूँ’ वह कर्म बंधन का मूल कारण है। सिर्फ सच (तथ्य) जानने की आवश्यकता है। यह एक विज्ञान है। इस पुस्तक में परम पूज्य दादाश्री ने पाँच ज्ञान इन्द्रियों तथा उनके कार्यों की प्रणाली के बारे में बताया है। मन-बुद्धि-चित्त-अहंकार, यह सब इन्द्रियों के अलग-अलग कार्य हैं। फिर अपना कार्य करने में कौन असफल रहा? ‘स्व’ रहा। ‘स्व’ का कार्य है जानना, देखना और हमेंशा आनंदमय स्थिति में रहना। हर इन्सान ज़िंदगी के बहाव के साथ आगे बह रहा है। यहाँ कोई भी कर्ता नहीं है। अगर कोई स्वतंत्र कर्ता होता तो वह हमेंशा बंधन में ही रहता। जो नैमित्तिक कर्ता है वह कभी भी बंधन में नहीं रहता। संसार प्राकृतिक परिस्थितियों के प्रभाव से उत्त्पन्न परिणाम पर ही चलता है। ऐसी परिस्थिति में ‘मैं कर्ता हूँ’ की गलत धारणा की उत्पत्ति होती है। इस कर्तापन की गलत धारणा की वजह से अगले जन्म के बीज बोए जाते हैं। इस संकलन में परम पूज्य दादाश्री ने कर्म के विज्ञान, कर्तापन, पाँच इन्द्रियों, अहंकार, मनुष्यों का स्वभाव, ज्ञानियों के प्रति विनय, पापों का प्रतिक्रमण, प्रायश्चित इत्यादि विषयों के बारे में बताया है। यह समझ साधकों को स्वयं के बारे में व संसार में दूसरों से कैसे शांतिपूर्वक व्यवहार करें, इस बारे में मदद करती है।By Dada Bhagwan. 2016
जो आप स्वयं हैं उसमे इतनी क्षमता है कि वह पूरी दुनिया को प्रकाशित कर सके। स्वयं में अनंत ऊर्जा…
है, फिर भी हम बहुत दुःख, कष्ट, मजबूरी और असुरक्षा का अनुभव करते हैं। यह बात कितनी विरोधाभासी हैं। हमें अपने स्वरूप की शक्ति और सत्ता का सही ज्ञान नहीं है। जब हम स्वयं जागृत हो जाते हैं तो हमें सारी सृष्टि के मालिक होने का एहसास होता है। आम तौर पर जिसे जागना कहा जाता है, ज्ञानी उसे निद्रा कहते हैं। सारा विश्व भावनिद्रा में डूबा हुआ है। जागृति या समझ की कमी की वजह से हम यह नहीं जान पाते कि इस दुनिया में और दूसरी दुनिया में हमारे लिए क्या लाभदायक है और क्या हानिकारक है। इस समय भावनिद्रा के कारण, अहंकार, मान, क्रोध, छलकपट, लोभ तथा अलग-अलग मान्यताओं और चिंता के कारण सब लोग मतभेद महसूस करते हैं। जिसे यह जागरूकता है कि ‘मैं जागृत हूँ’ और मन के विचार ‘स्व’से बिल्कुल अलग है, जिसे आत्मा के विज्ञान की अनुभूति हो गई, वह संसार में रहकर ही जीवन मुक्त हो जाता है। इस पुस्तक में ज्ञानीपुरुष परम पूज्य दादाश्री ने यह ज्ञान दिया है कि हम स्वयं के प्रति कैसे जागृत रहें, ध्यान, प्रारब्ध और स्वतंत्र इच्छा, घृणा तिरस्कार, अनादर स्वयं का सांसारिक धर्म, जीवनमुक्ति का लक्ष्य तथा कर्म का विज्ञान आदि के बारे में ज्ञान दिया है। जो लोग स्वयं का सही अर्थ जानने के उत्सुक हैं उन्हें यह पढ़ने से मुक्ति के पंथ पर आगे बढ़ने में मदद मिलेगी और यह पढ़ाई उनकी जागृति बढ़ाएगी।By Dada Bhagwan. 2016
ज़िंदगी में लोगों के बहुत से लक्ष्य और उद्देश होते हैं, लेकिन वे सबसे बुनियादी सवाल का जवाब नहीं दे…
पाते कि ‘मैं कौन हूँ’। बल्कि हममें से अधिकतर लोग यह नहीं जानते। अनंत समय से लोग संसार के भौतिक साधनों के पीछे भागते रहे हैं। सिर्फ ज्ञानीपुरुष ही आत्म साक्षात्कार करवा सकते हैं और आपको संसार के भौतिक बंधनों से मुक्ति दिलवा सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में परम पूज्य दादाश्री ने आत्मा के गुणों और अन्य अनेकों विषयों जैसे ‘स्वयं’के ज्ञान, दर्शन तथा शक्तियों के बारे में बताया है। सुख, स्वसत्ता, परसत्ता, स्वपरिणाम, परपरिणाम, व्यवहार आत्मा, निश्चय आत्मा तथा अनेक विषयों के बारे मे भी बताया है। पुस्तक के दुसरे भाग में परम पूज्य दादाश्री ने ‘क्लेश रहित जीवन कैसे जीएँ’इसकी चाबी दी है तथा यह भी बताया है कि सही सोच से परिवार में बिना दुखी हुए कैसे व्यव्हार करें जैसे-बच्चों से व्यव्हार, दूसरों को सुधारने के बजाय खुद को सुधारना, दूसरों के साथ तालमेल बिठाना, सांसारिक संबंधों को कैसे निभाएँ, परिवार, मेहमान, बड़ों के साथ, अलग-अलग व्यक्तित्ववाले सदस्यों से कैसे व्यवहार करें, रिश्तों को सामान्य कैसे करें इत्यादि... इस पुस्तक का अध्ययन करके जीवन में उतारने से जीवन हमेशा के लिए शांति और आनंदमय हो जाएगा।By Dada Bhagwan. 2016
जिसे छूटना ही है उसे कोई बाँध नहीं सकता और जिसे बंधना ही है उसे कोई छुड़वा नहीं सकता! -…
परम पूज्य दादाश्री| यह ज्ञान ग्रंथ या धर्म ग्रंथ नहीं है, लेकिन विज्ञान ग्रंथ है| इसमें आंतरिक विज्ञान का, वीतराग विज्ञान का ज्ञानार्क जो कि परम पूज्य दादाश्री के श्रीमुख से प्रकट हुआ है, उसे प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है| यह ज्ञानग्रंथ तत्व चिंतकों, विचारकों तथा सच्चे जिज्ञासुओं के लिए अत्यंत उपयोगी रहेगा| भाषा सादी और एकदम सरल होने के कारण सामान्य जन को भी वह पूरा-पूरा फल दे सकेगी| सुज्ञ पाठक गहराई से इस महान ग्रंथ का चिंतन मनन करेंगे तो अवश्य समकित प्राप्त करेंगे|By Dada Bhagwan. 2016
यह संसार किसने बनाया? क्या यह संसार आपके लिए परेशानी का कारण है? क्या आपको आश्चर्य होता है कि यहाँ…
सबकुछ कैसे होता है? कैसे हम अनगिनित जन्मों में भटक रहे हैं। यह सब करनेवाला कौन है? धर्म क्या है? मोक्ष क्या है? आध्यात्मिकता और धर्म में क्या फर्क है? शुद्ध आत्मा क्या है? मन, शरीर और वाणी के क्या कार्य हैं? लौकिक रिश्तों को कैसे निभाएँ? भाग्य और कर्म का अंतर कैसे समझें? अहंकार क्या है? क्रोध-लोभ-मोह, क्या वे अहंकार के कारण हैं? जिन्हें मोक्ष पाने की इच्छा है या जो मोक्ष चाहते हैं, उनकी ज़िंदगी में ऐसे अनेक प्रश्न व समस्याएँ होगीं। ‘स्वयं’का ज्ञान या ‘मैं कौन हूँ’यह सब का अंतिम लक्ष्य है। ‘मैं कौन हूँ’के ज्ञान बगैर मोक्ष नहीं मिल सकता। यह ज्ञान केवल ज्ञानीपुरुष से ही प्राप्त हो सकता है। इस पुस्तक में ज्ञानीपुरुष परम पूज्य दादाश्री द्वारा दिए गए बहुत सी समस्याओं के उत्तर संकलित हैं। इस दिव्य पुस्तक का ज्ञान उन लोगों के लिए हैं जिनकी वैज्ञानिक सोच है, जिन्हें आत्मिक शांति चाहिए और जो संसार की परेशानियों से मुक्त होना चाहते हैं।डॉ. सन्तोष कुमार दांगी द्वारा लिखित 'जैव-भूगोल' झारखण्ड स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय के बी. ए. सेमेस्टर-III, कोल्हान विश्वविद्यालय के बी.…
ए. सेमेस्टर VI और राँची विश्वविद्यालय के बी. ए. सेमेस्टर VI-DSE-4 के पाठ्यक्रम के अनुरूप लिखी गई पुस्तक है। जैव-भूगोल में जैविक तत्वों की विस्तृत विवेचना की गई है। जैसे-जैव भूगोल की परिभाषा, महत्व, जलचक्र, पारिस्थितिकी तन्त्र, ऊर्जा प्रवाह, पादप प्राणियों का विसरण, जीवोम, राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य, जैव-विविधता, मिट्टी निर्माण, बंजर भूमि का विकास तथा प्रबन्ध इत्यादि को इस पुस्तक में स्थान दिया गया है। विनोबा भावे विश्वविद्यालय के अतिरिक्त झारखण्ड के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के लिए यह पुस्तक अति उपयोगी होगी।By Dr Savita Paiwal Raghav Prakash. 2021
“व्यावहारिक सामान्य हिंदी” यह पुस्तक अखिल भारतीय प्रतियोगिता परीक्षाओं, सभी हिंदी प्रदेशों के लोक सेवा आयोगों की विभिन्न परीक्षाओं तथा…
विश्वविद्यालयों के लिए, विशेष रूप से IAS, RAS, PSI, HM, Lecturer, Teacher, LDC, Patwar आदि परीक्षाओं के लिए एक मानक पुस्तक । व्यावहारिक सामान्य हिंदी यह पुस्तक पिछले 26 वर्षों से सभी हिंदी प्रदेशों में हिंदी व्याकरण की अब तक की सबसे अधिक पढ़ी जानेवाली व्याकरण की प्रतियोगी-प्रिय पुस्तक रही है। अब इस नए संस्करण के बाद तो यह हिंदी की प्रत्येक परीक्षा के लिए उच्च स्तरीय तैयारी करवानेवाली, अशुद्धियों से रहित और परीक्षा में संभावित प्रश्नों का उत्तर देनेवाली पुस्तक बनेगी इसलिए हिंदी व्याकरण का हर जागरूक पाठक इस नए संस्करण को अधिक गंभीरता से पढ़ने का प्रयास करेगा। सन् 2002 के बाद विभिन्न राज्यों के बोडों, केंद्र के CBSE बोर्ड, महाविद्यालय स्तर के पाठ्यक्रमों एवं प्रादेशिक स्तर की विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के पाठ्यक्रमों में हुए परिवर्तन के आधार पर संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय, लिंग, वचन, कारक, काल, वृत्ति, पक्ष, पद-परिचय, शब्द-शक्ति, शब्दकोश-पठन, अलंकार, अनुच्छेद-लेखन, अपठित गद्यांश आदि नए विषयों पर सामग्री जोड़कर इसे एक परिपूर्ण मानक व्याकरण के रूप में समृद्ध करने का प्रयास किया गया है।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2020
प्रस्तुत पुस्तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान अजमेर की नई शिक्षा नीति के अर्न्तगत कक्षा-11 हेतु कृषि रसायन विज्ञान विषय के…
निर्धारित नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार लिखी गई है । पुस्तक में विषय वस्तु को सरल हिंदी भाषा में लिखने का पूर्ण प्रयास किया गया है जिससे यह पुस्तक विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बन सकें । विषय को यथास्थान चित्रों एवं सारणियों के माध्यम से अधिक स्पष्ट एवं रूचिकर बनाया गया है । पुस्तक में कक्षा-11के कृषि रसायन के स्तर, विषय की आवश्यकताएँ एवं समानान्तर प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए विषय सामग्री समायोजित की गई है । पुस्तक में तकनीकी शब्दावली को सरल बनाने के लिए हिंदी के साथ-साथ उनको अंग्रेजी में भी कोष्ठक में लिख दिया गया है जिससे विद्यार्थियों को समझने में सुविधा रहें । प्रत्येक अध्याय के अर्न्तगत यथास्थान विषयानुकूल पर्याप्त आंकिक प्रश्नों को उदाहरण के रूप में देकर विषय वस्तु को स्पष्ट किया गया है । सभी अध्यायों के अंत में महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं, वस्तुनिष्ठ, अतिलघुत्तरात्मक, लघुत्तरात्मक एवं निबन्धात्मक प्रश्नों का समावेश किया गया है ।By Dr J. P. Mishra. 2021
कृषि अर्थशास्त्र इस पुस्तक में विषय-वस्तु को सरल, सुबोध एवं सारगर्भित भाषा में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है…
ताकि विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थी, प्रतियोगी परीक्षा में सम्मिलित होने वाले परीक्षार्थी तथा अन्य पाटक इसका अध्ययन कर भारतीय कृषि के स्वरूप एवं संरचना, उसकी समस्याओं, तत्सम्बन्धी सरकारी नीतियों एवं विकास से सम्बन्धित अन्य आवश्यक एवं तथ्यपरक जानकारी प्राप्त कर सकें। पुस्तक में अद्यतन सूचनाओं एवं नवीनतम् उपलब्ध आंकड़ों का समावेश करते हुए पाठ्य-सामग्री को तर्कसंगत, सुसम्बद्ध एवं व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत किया गया है।By Shikshan Sanchalnalay Panaji Goa. 2012
दूर्वा भाग-2 कक्षा 7 के लिए हिंदी की पाठ्यपुस्तक है। यह किताब राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (2005) के आधार पर…
तैयार किए गए पाठ्यक्रम पर आधारित है। यह पारंपरिक भाषा-शिक्षण की सभी सीमाओं से आगे जाती है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की नयी रूपरेखा भाषा को बच्चे के व्यक्तित्व का सबसे समृद्ध संसाधन मानते हुए उसे पाठ्यक्रम के हर विषय से जोड़कर देखती है। भाषा की शिक्षा मातृभाषा से प्रभावित मात्र ही नहीं होती बल्कि वह द्वितीय भाषा कौशल की समृद्धि में भी लाभप्रद और सहायक सिद्ध होती है। इसी को ध्यान में रखकर विद्यार्थियों के हिंदी की सामान्य संरचनाओं की जानकारी को धीरे-धीरे उसकी विशिष्ट और विपुल संरचनाओं की जानकारी से जोड़ने की कोशिश इसमें की गई है। इसमें यथासंभव सहज और सरल भाषिक संरचनाओं वाले सरस और रोचक पाठों का चयन किया गया है। पाठों के चयन में हिंदी के महत्त्वपूर्ण रचनाकारों की बाल रचनाओं को शामिल कर द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी पढ़ने-पढ़ानेवालों को हिंदी की समृद्ध साहित्य परंपरा के प्रति रुचि बढ़ाने की भी कोशिश है। पाठों की भाषा और विषयवस्तु न, केवल महत्त्वपूर्ण है बल्कि अन्य विषयों के ज्ञान को भी अपने में समेटे हुए है, जो विद्यार्थियों की भाषा और साहित्य को पढ़ने-समझने और जानने-बताने की रुचि को बढ़ाने में सहायक होगी।By Vandana Dharmadhikari. 2014
सौ वंदना धर्माधिकारी द्वारा लिखित "मित्रता बैंकिंग से" पुस्तक का यह पहला संस्करण 2014 में प्रकाशित हुआ है। आम जनता…
बैंकिंग के बारे में इस पुस्तक से सरल और आसान तरीके से सीखती है। बैंकिंग की तकनीकीताओं के बावजूद, यह पुस्तक पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी प्रतीत होती है। हालांकि बैंकिंग का कॉन्सेप्ट हर जगह एक जैसा है, लेकिन आज के ऑनलाइन सिस्टम ने बैंकिंग की पूरी परिभाषा ही बदल दी है। वास्तविक बैंकों में जाने की जरूरत नहीं रह गई है। ऐसे प्रतिस्पर्धी और परिष्कृत युग में, बैंकिंग की अवधारणा लगातार बदल रही है। इसलिए, विवरणों को समझकर जानकारी को अद्यतन रखने की आवश्यकता है। हालांकि बुनियादी बैंकिंग सभी प्रकार के बैंकों और सहकारी ऋण समितियों जैसे राष्ट्रीयकृत, निजी, सहकारी, विदेशी, लघु वित्त में समान है, प्रत्येक प्रकार के नियमों और लेनदेन में परिवर्तन को समझना आवश्यक है, और इसका विवरण इस पुस्तक में दिया गया है। बैंकिंग क्षेत्र में वर्तमान में बड़ी संख्या में नई भर्तियां हो रही हैं। यह पुस्तक ऐसे उम्मीदवारों के लिए भी एक उपयुक्त मार्गदर्शिका है जो बैंकिंग करियर का चयन कर रहे हैं। भारत के सभी प्रकार के बैंकों में हिंदी में कामकाज हो इस उद्देश्य से राजभाषा विभाग कार्यरत हैं। उनकी सहायता यह पुस्तक करेगी। इसलिए मेरी 'मित्रता बैंकिंग से' यह पुस्तक उन्हीं राजभाषा कक्षों को सविनय समर्पित किया गया है।By Dada Bhagwan. 2016
प्रत्येक मनुष्य में आत्मा को पहचानकर अपना आत्यंतिक कल्याण (मोक्ष प्राप्ति) करने की शक्ति होती है| लेकिन, इस मार्ग में…
विषय सब से बड़ा बाधक कारण बन सकता है| सिर्फ प्रत्यक्ष ज्ञानीपुरुष ही विषय आकर्षण के पीछे रहे विज्ञान को समझाकर उसमें से निकलने में हमारी सहायता कर सकते हैं| प्रस्तुत पुस्तक में पूज्य दादाश्री ने विपरीत लिंग के प्रति होते आकर्षण के इफेक्ट और कॉज़ का वर्णन किया हैं | उन्होंने यह बताया है कि विषय–विकार किस प्रकार से जोखमी हैं - वे मन और शरीर पर किस तरह विपरित असर डालते हैं और कर्म बंधन करवाते हैं| प्रस्तुत पुस्तक के खंड-१ में मूल रूप से आकर्षण- विकर्षण के सिद्धांत का वर्णन किया गया है और साथ ही यह आत्मानुभव में किस प्रकार से बाधक है और ब्रम्हचर्य के माहात्मय के प्रति समर्पित है| प्रस्तुत पुस्तक खंड- २ में ब्रम्हचर्य पालन करनेवाले निश्चयी के लिए सत्संग संकलित हुआ है | ज्ञानीपुरुष के श्रीमुख से ब्रम्हचर्य का परिणाम जानने के बाद उसके प्रति आफरीन हुए साधक में उस तरफ कदम बढ़ाने की हिम्मत आती है। ज्ञानी के संयोग से, सत्संग व सानिध्य प्राप्त करके, मन-वचन-काया से अखंड ब्रम्हचर्य में रहने का दृढ़- निश्चयी बनता है| ब्रम्हचर्य पथ पर प्रयाण करने हेतु और विषय के वट-वृक्ष को जड़-मूल से उखाड़कर निर्मूल करने हेतु इस मार्ग में बिछे हुए पत्थरों से लेकर पहाड़ जैसे विघ्नों के सामने, डगमगाते हुए निश्चय से लेकर ब्रम्हचर्य व्रत से च्युत होने के बावजूद ज्ञानीपुरुष उसे जागृति की सर्वोत्कृत श्रेणियाँ पार करवाकर निर्ग्रंथाता की प्राप्ति करवाए, उस हद तक की विज्ञान- दृष्टी खोल देते हैं और विकसित करते हैं| तो यह पुस्तक पढ़कर शुद्ध ब्रम्हचर्य किस तरह उपकारी है, ऐसी समझ प्राप्त करें|