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By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
प्रस्तुत पुस्तक गणित ८वीं कक्षा उच्चतर प्राथमिक शृंखला की अंतिम पुस्तक है। गणित अधिगमन को भिन्न प्रकार से परिभाषित करना…
एक रोचक यात्रा रही है। ऐसी सामग्री की रचना करते समय, जो इस स्तर के शिक्षार्थियों की रुचि को संबोधित करे तथा उनके लिए एक पर्याप्त और सुगम्य चुनौती हो, गणित की प्रकृति को सुरक्षित करने और यह प्रश्न कि गणित क्यों पढ़ें, को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है। गणित के उद्देश्य पर अनेक दृष्टिकोण रहे हैं। ये दृष्टिकोण पूर्णतया उपयोगी से संपूर्णतया सौंदर्यपूर्ण या सुरुचिपूर्ण अवबोधनों तक विचरित हैं। इन दोनों का ही अंतत: सार है कि अवधारणों में न उलझना तथा जीवन में प्रतिभागी बनने के लिए शिक्षार्थी को उपलब्ध उपकरणों में संवर्धन करना। NCF में विचारों और शायद अनुभवों के भी गणितीयकरण की क्षमता विकसित करने पर बल दिया गया है। वह क्षमता जिससे एक समृद्ध जीवन और आसपास के परिवेश से अर्थपूर्ण संबंध ज्ञात करने के संघर्ष में गणित द्वारा प्रदान किए गए विचारों और रूपरेखा को समझने में सहायता होती है।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
यह पुस्तकमाला कक्षा छह से आठ तक के स्तरों पर द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण करने वाले हिंदीतर…
क्षेत्रों के जवाहर नवोदय विद्यालय सहित सभी विद्यालयों के लिए निर्मित की गई है। कक्षा छह के लिए तैयार की गई दूर्वा भाग-1 की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं- इस पुस्तक में भाषा शिक्षण के लिए सर्वप्रथम चित्र के माध्यम से शब्द परिचय करवाया गया है। इसी के साथ लिपि की संरचना और शब्द के उच्चारण को भी विद्यार्थी जान सकता है। इससे सुनने, बोलने और पढ़ने की क्षमता विकसित हो सकेगी। विद्यार्थियों में सुनने, समझने और बोलने की क्षमता को सशक्त बनाने के लिए प्रारंभ में मौखिक पाठों के साथ ग्यारह पाठ दिए गए हैं। इनमें बारंबारता (फ्रीक्वेंसी) की प्रक्रिया अपनाई गई है, ताकि सिखाई जानेवाली भाषा से विद्यार्थी का परिचय उत्तरोत्तर बढ़ सके। बलाघात, अनुतान आदि उच्चारण संबंधी विशेषताओं को सिखलाने के लिए पाठों में वार्तालाप अधिक रखे गए हैं। पाठों की संरचनाएँ पूर्वनिर्धारित और अभिक्रमिक हैं। जिन पाठों में जो संरचनाएँ शिक्षण बिंदु के रूप में प्रमुखतः निर्धारित की गई हैं, उन्हें ही पाठ में स्वभाविक ढंग से उभारने का प्रयास किया गया है, ताकि विद्यार्थी हिंदी भाषा की संरचना से परिचित हो सके, साथ ही अपनी ज्ञात भाषा और हिंदी की संरचनाओं की समानता तथा उनके अंतर की पहचान भी कर सके।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
भारत और समकालीन विश्व भाग 1 कक्षा 9वीं का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में…
प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में दो खंड है, खंड 1 में कुछ ऐसी घटनाओं और प्रक्रियाओं पर ध्यान दिया गया है जो आधुनिक विश्व को समझने की दृष्टि से काफ़ी महत्त्वपूर्ण हैं। खंड 2 में नाटकीय घटनाओं पर दृष्टिपात करते हुए हम लोगों के जीवन की सामान्य बातों - उनकी आर्थिक गतिविधियों और आजीविका के स्वरूप - तक जाएंगे। इस हिस्से में आप देखेंगे कि जनजातीय समुदायों और चरवाहों के लिए समकालीन विश्व का क्या मतलब रहा है; उन्होंने इन बदलावों का सामना किस तरह किया और उन्हें किस तरह प्रभावित किया। अगले साल आप औद्योगीकरण और शहरीकरण, पूँजीवाद और उपनिवेशाद के बारे में और विस्तार से जानेंगे।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
आस-पास ४थी कक्षा पुस्तक में विषय-वस्तु बाल-केंद्रित रखी गई है, जिससे बच्चों को स्वयं खोजकर पता करने का अवसर मिले।…
पाठ्यपुस्तक में यह प्रयास किया गया है कि रटने की प्रवृत्ति कम हो। अतः परिभाषाएँ, वर्णन, अमूर्त्त प्रत्यय आदि को स्थान नहीं दिया गया है। पाठ्यपुस्तक में जानकारी देना बहुत ही सरल कार्य है। वास्तविक चुनौती है कि बच्चों को मौका दिया जाए, जिससे वे अपने विचार प्रकट करें, उत्सुकता को बढ़ा सकें, करके सीखें, प्रश्न करें तथा प्रयोग कर सकें। बच्चे पाठ्यपुस्तक से खुशी-खुशी जुड़े, इसके लिए पाठों का प्रस्तुतीकरण विविध तरीकों से किया गया है, जैसे- किस्से-कहानियाँ, संवाद, कविताएँ, पहेलियाँ, हास्य खंड, नाटक, क्रियाकलाप आदि। बच्चों में कुछ बातों के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने के लिए अकसर किस्से-कहानियों का इस्तेमाल महत्त्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि बच्चे कहानी के पात्रों से अपने को आसानी से जोड़ सकते हैं। पुस्तक में प्रयुक्त भाषा भी ‘औपचारिक’ नहीं है, बल्कि बच्चों की बोल-चाल की भाषा है।By Romila Thapar. 2004
The book contains lectures of Heras Memorial lecture series on state and dynasties in ancient india. The lectures were given…
by Romila Thapar in February 1980 at St Xaviers college. In these lectures the nature of Indian society in the first millenium BC has been highlighted.By Yojana. 2023
By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2023
सारंगी भाग 2 किताब का निर्माण करते हुए मुख्य रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा-निर्देशों को ध्यान में…
रखा गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में विकसित बुनियादी स्तर की पाठ्यचर्या की अनुशंसाओं को भी इस पाठ्यपुस्तक में समाहित किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अनुशंसाओं के अनुसार यह पाठ्यपुस्तक राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने तथा न्यायपूर्ण समाज को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस नीति में बच्चों की शिक्षा में भाषा और साक्षरता विकास को बहुत महत्व दिया गया है। भाषा और साक्षरता की ठोस नींव अन्य विषयों को भी दक्षतापूर्वक सीखने में सहायक होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बुनियादी स्तर (फाउंडेशनल स्टेज) पर बच्चों में भाषा के विकास के साथ-साथ सतत सीखने की कला, समस्या समाधान, तार्किक और रचनात्मक चिंतन के विकास पर भी बहुत बल देती है। इस स्तर पर भाषा के साथ-साथ अन्य विषयों और गतिविधियों में भारतीय परंपरा, सांस्कृतिक मूल्य, राष्ट्रप्रेम, चरित्र-निर्माण, नैतिकता, करुणा, जेंडर संवेदनशीलता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को भी समेकित रूप में सम्मिलित करने की अनुशंसा करती है।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2023
सारंगी भाग 1 किताब का निर्माण करते हुए मुख्य रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार भाषा राष्ट्रीय विकास…
को बढ़ावा देने और न्यायप्रिय समाज को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस नीति में बच्चों की शिक्षा में भाषा और साक्षरता के विकास को बहुत महत्व दिया गया है। यह माना जाता है कि भाषा और साक्षरता की ठोस नींव बच्चों के लिए अन्य विषयों को सीखने में बहुत सहायक होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बुनियादी स्तर (फाउंडेशनल स्टेज) पर बच्चों में भाषा के विकास के साथ-साथ सतत सीखने की कला, समस्या-समाधान, तार्किक और रचनात्मक सोच के विकास पर भी बहुत बल दिया गया है। इस स्तर पर भाषा के साथ-साथ अन्य विषयों और गतिविधियों में भारतीय परंपरा, सांस्कृतिक मूल्य, चरित्र निर्माण, नैतिकता, करुणा और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को समेकित रूप में सम्मिलित करने की भी अनुशंसा की गई है।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (2005) सुझाती है कि बच्चों के स्कूली जीवन को बाहर के जीवन से जोड़ा जाना चाहिए।…
यह सिद्धांत किताबी ज्ञान की उस विरासत के विपरीत है जिसके प्रभाववश हमारी व्यवस्था आज तक स्कूल और घर के बीच अंतराल बनाए हुए है। नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या पर आधारित पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें इस बुनियादी विचार पर अमल करने का प्रयास है। बच्चों के हाथ में जैसे ही कोई नई किताब आती है, वे झट से उसे उलटना-पलटना शुरू कर देते हैं। उनमें एक स्वाभाविक उतावलापन होता है- चित्र निहारने का, कविता और कहानियों के बारे में जानने का या स्वयं उन्हें पढ़ डालने का। इस पाठ्यपुस्तक ने उनकी इस स्वाभाविक प्रवृत्ति का भरपूर फ़ायदा उठाने की कोशिश की है। किताब के लिए ऐसी कविताओं और कहानियों को चुना गया है, जिनमें बच्चों की बातचीत, उनकी आदतें, उनके नखरे, जिद, उनके सवाल साफ़-साफ़ झलकते हैं। इसलिए बच्चे ऐसी कविताओं या कहानियों से विचार और भावनाओं के स्तर पर एक जुड़ाव महसूस करेंगे।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
यह पुस्तक कक्षा VI में प्रारंभ की गई प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करते हुए उसे आगे जारी रखती है। राष्ट्रीय…
पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 (NCF- 2005) में निहित मुख्य मुद्दों पर चर्चा की थी। इन मुद्दों में शामिल थे, गणित को बच्चों की क्षमताओं के विकास से जोड़ना तथा जटिल परिकलनों और एल्गोरिथ्मों के अनुसरण समझ एवं समझ की रूपरेखा का निर्माण करना। बच्चों के मस्तिष्क में गणितीय विचार केवल बताने या व्याख्याएँ देने से विकसित नहीं होते हैं। बच्चों को गणित सीखने, गणित में आत्मविश्वास जागृत करने तथा उसके मूलभूत विचारों को समझने के लिए उन्हें अवधारणाओं की अपनी स्वयं की एक रूपरेखा बनानी चाहिए। इसके लिए उन्हें एक ऐसी कक्षा की आवश्यकता होगी जिसमें वे विचार विमर्श कर सकें, समस्याओं के हल खोजें, नए प्रश्न बनाकर केवल उनको हल करने की विधियाँ विकसित करके उन्हें हल ही न करें, अपितु स्वयं को समझ में आने वाली अपनी भाषा में परिभाषाएँ भी बना सकें। जरूरी नहीं है कि ये परिभाषाएँ, आदर्श परिभाषाओं की तरह व्यापक और परिपूर्ण हों।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
बाल राम कथा के अध्यायों में भगवान राम के जीवन में घटित सभी महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण दिया गया है,…
जिसमें उनके वन निष्कासन से लेकर रावण के साथ युद्ध और अयोध्या में उनके राज्याभिषेक तक शामिल हैं। छात्र इन महत्वपूर्ण प्रश्नों से भगवान राम के बारे में बहुत सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। प्रश्न और उत्तर उन्हें अध्यायों की गहरी और अधिक विस्तृत समझ प्रदान करते हैं। वे प्रश्नों का अभ्यास कर सकते हैं और अपनी तैयारी की रणनीति को बढ़ावा दे सकते हैं। चूंकि बाल राम कथा पुस्तक में 12 अध्याय हैं, इसलिए छात्रों के लिए सभी अध्यायों पर समान ध्यान देना महत्वपूर्ण है। वेदांतु के महत्वपूर्ण प्रश्न छात्रों को पूरी किताब को बार-बार पढ़े बिना अभ्यास करने की अनुमति देकर मदद करते हैं। वे अपनी अंतिम परीक्षाओं में आमतौर पर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्नों का पता लगाने के लिए प्रश्नों का अध्ययन भी कर सकते हैं। जब परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने की बात आती है तो यह कुछ ऐसा है जो उन्हें बहुत मदद करेगा।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2023
आनंदमय गणित कक्षा 1 पाठ्यपुस्तक का निर्माण करते हुए मुख्य रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने प्रारंभिक विकासात्मक चरण…
(3 से 8 वर्ष) के दौरान सीखने की एक मज़बूत नींव विकसित करने के महत्व को मान्यता दी है। इसमें बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता पर ज़ोर देने के साथ-साथ बच्चों का संज्ञानात्मक विकास शामिल है। पाठ्यचर्या के लक्ष्यों, दक्षताओं और सीखने के परिणामों को बुनियादी स्तर की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2022 में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। बच्चों के समग्र विकास के नीतिगत परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए बुनियादी स्तर के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (आधारभूत स्तर) शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक, नैतिक, संज्ञानात्मक, भाषा, साक्षरता, सौंदर्य और सांस्कृतिक और सकारात्मक सीखने की आदतें, जैसे-विकासात्मक डोमेन से जुड़े पाठ्यचर्या लक्ष्यों, दक्षताओं और सीखने के परिणामों की अनुशंसा करती है। इसके अनुवर्ती के रूप में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् द्वारा विकसित आधारभूत स्तर के पाठ्यक्रम में संज्ञानात्मक डोमेन के तहत गणित और संख्यात्मकता सम्मिलित है। पाठ्यपुस्तकों सहित गणित के लिए अधिगम शिक्षण सामग्री विकसित करते समय अन्य सभी डोमेन के एकीकरण पर भी बल दिया गया है।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
आस-पास ३री कक्षा पुस्तक में विषय-वस्तु बाल-केंद्रित रखी गई है, जिससे बच्चों को स्वयं खोजकर पता करने का अवसर मिले।…
पाठ्यपुस्तक में यह प्रयास किया गया है कि रटने की प्रवृत्ति कम हो। अतः परिभाषाएँ, वर्णन, अमूर्त्त प्रत्यय आदि को स्थान नहीं दिया गया है। पाठ्यपुस्तक में जानकारी देना बहुत ही सरल कार्य है। वास्तविक चुनौती है कि बच्चों को मौका दिया जाए, जिससे वे अपने विचार प्रकट करें, उत्सुकता को बढ़ा सकें, करके सीखें, प्रश्न करें तथा प्रयोग कर सकें। बच्चे पाठ्यपुस्तक से खुशी-खुशी जुड़े, इसके लिए पाठों का प्रस्तुतीकरण विविध तरीकों से किया गया है, जैसे- किस्से-कहानियाँ, संवाद, कविताएँ, पहेलियाँ, हास्य खंड, नाटक, क्रियाकलाप आदि। बच्चों में कुछ बातों के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने के लिए अकसर किस्से-कहानियों का इस्तेमाल महत्त्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि बच्चे कहानी के पात्रों से अपने को आसानी से जोड़ सकते हैं। पुस्तक में प्रयुक्त भाषा भी ‘औपचारिक’ नहीं है, बल्कि बच्चों की बोल-चाल की भाषा है।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
समकालीन भारत 1 9वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया…
है, इस पुस्तक में कुल छह अध्याय है। भारत-आकार और स्थिती, भारत का भौतिक स्वरुप, अपवाह, जलवायू, प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी, जनसंख्या आदी के बारे जानकारी दी गई है। छात्रें में भू-स्थानिक कौशल विकसित करने के उद्देश्य से एनसीईआरटी तथा इसरो ने मिलकर ऑनलाइन वेब आधारित भू-स्थानिक पोर्टल स्कूल-भुवन-एनसीईआरटी बनाया है। इस भू-स्थानिक पोर्टल पर भूगोल की पाठ्यपुस्तकों में दिए गए मानचित्र उपलब्ध हैं। यह पोर्टल छात्रें में भू-स्थानिक तकनीक के उपयोग द्वारा भूगोल की विभिन्न संकल्पनाओं को समझने में मदद करता है।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
यह पुस्तक कक्षा V में प्रारंभ की गई प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करते हुए उसे आगे जारी रखती है। राष्ट्रीय…
पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 में निहित मुख्य मुद्दों पर चर्चा की थी। इन मुद्दों में शामिल थे, गणित को बच्चों की क्षमताओं के विकास से जोड़ना तथा जटिल परिकलनों के अनुसरण समझ एवं समझ की रूपरेखा का निर्माण करना। बच्चों के मस्तिष्क में गणितीय विचार केवल बताने या व्याख्याएँ देने से विकसित नहीं होते हैं। बच्चों को गणित सीखने, गणित में आत्मविश्वास जागृत करने तथा उसके मूलभूत विचारों को समझने के लिए उन्हें अवधारणाओं की अपनी स्वयं की एक रूपरेखा बनानी चाहिए। इसके लिए उन्हें एक ऐसी कक्षा की आवश्यकता होगी जिसमें वे विचार विमर्श कर सकें, समस्याओं के हल खोजें, नए प्रश्न बनाकर केवल उनको हल करने की विधियाँ विकसित करके उन्हें हल ही न करें, अपितु स्वयं को समझ में आने वाली अपनी भाषा में परिभाषाएँ भी बना सकें। जरूरी नहीं है कि ये परिभाषाएँ, आदर्श परिभाषाओं की तरह व्यापक और परिपूर्ण हों। बोझ की समस्या से निपटने के लिए पाठ्यक्रम निर्माताओं ने विभिन्न चरणों में ज्ञान का पुनर्निर्धारण करते समय बच्चों के मनोविज्ञान एवं अध्यापन के लिए उपलब्ध समय का ध्यान रखने की पहले से अधिक सचेत कोशिश की है। इस कोशिश को और गहराने के यत्न में यह पाठ्यपुस्तक सोच-विचार और विस्मय, छोटे समूहों में बातचीत एवं बहस और हाथ से की जाने वाली गतिविधियों को प्राथमिकता देती है।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
यह पुस्तक ३रीं कक्षा में प्रारंभ की गई प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करते हुए उसे आगे जारी रखती है। राष्ट्रीय…
पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 में निहित मुख्य मुद्दों पर चर्चा की थी। इन मुद्दों में शामिल थे, गणित को बच्चों की क्षमताओं के विकास से जोड़ना तथा जटिल परिकलनों के अनुसरण समझ एवं समझ की रूपरेखा का निर्माण करना। बच्चों के मस्तिष्क में गणितीय विचार केवल बताने या व्याख्याएँ देने से विकसित नहीं होते हैं। बच्चों को गणित सीखने, गणित में आत्मविश्वास जागृत करने तथा उसके मूलभूत विचारों को समझने के लिए उन्हें अवधारणाओं की अपनी स्वयं की एक रूपरेखा बनानी चाहिए। दैनिक समय-सारणी में लचीलापन उतना ही जरूरी है जितना वार्षिक कैलेंडर के अमल में चुस्ती, जिससे शिक्षण के लिए नियत दिनों की संख्या हकीकत बन सके। शिक्षण और मूल्यांकन की विधियाँ भी इस बात को तय करेंगी कि यह पाठ्यपुस्तक स्कूल में बच्चों के जीवन को मानसिक दबाव तथा बोरियत की जगह खुशी का अनुभव बनाने में कितनी प्रभावी सिद्ध होती है। बोझ की समस्या से निपटने के लिए पाठ्यक्रम निर्माताओं ने विभिन्न चरणों में ज्ञान का पुनर्निर्धारण करते समय बच्चों के मनोविज्ञान एवं अध्यापन के लिए उपलब्ध समय का ध्यान रखने की पहले से अधिक सचेत कोशिश की है। इस कोशिश को और गहराने के यत्न में यह पाठ्यपुस्तक सोच-विचार और विस्मय, छोटे समूहों में बातचीत एवं बहस और हाथ से की जाने वाली गतिविधियों को प्राथमिकता देती है।By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2022
यह पुस्तक कक्षा IV में प्रारंभ की गई प्रक्रिया को मजबूती प्रदान करते हुए उसे आगे जारी रखती है। राष्ट्रीय…
पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 (NCF- 2005) में निहित मुख्य मुद्दों पर चर्चा की थी। इन मुद्दों में शामिल थे, गणित को बच्चों की क्षमताओं के विकास से जोड़ना तथा जटिल परिकलनों के अनुसरण समझ एवं समझ की रूपरेखा का निर्माण करना। बच्चों के मस्तिष्क में गणितीय विचार केवल बताने या व्याख्याएँ देने से विकसित नहीं होते हैं। बच्चों को गणित सीखने, गणित में आत्मविश्वास जागृत करने तथा उसके मूलभूत विचारों को समझने के लिए उन्हें अवधारणाओं की अपनी स्वयं की एक रूपरेखा बनानी चाहिए। इसके लिए उन्हें एक ऐसी कक्षा की आवश्यकता होगी जिसमें वे विचार विमर्श कर सकें, समस्याओं के हल खोजें, नए प्रश्न बनाकर केवल उनको हल करने की विधियाँ विकसित करके उन्हें हल ही न करें, अपितु स्वयं को समझ में आने वाली अपनी भाषा में परिभाषाएँ भी बना सकें। जरूरी नहीं है कि ये परिभाषाएँ, आदर्श परिभाषाओं की तरह व्यापक और परिपूर्ण हों।By Subhash Chandra Bose. 2023
1857 की क्रांति के बाद गोरों को समझ आ गया कि वे केवल बर्बर बल प्रयोग के आधार पर लंबे…
समय तक भारत में नहीं टिक पाएँगे, इसलिए उन्होंने देश को निहत्था करना शुरू कर दिया। हमारे पूर्वजों की दूसरी सबसे बड़ी मूर्खता और गलती यह रही कि उन्होंने अंग्रेजों की इस करतूत को सिर झुकाकर स्वीकार कर लिया। अगर उन्होंने अपने हथियार इतनी आसानी से नहीं सौंपे होते तो 1857 के बाद से भारत का इतिहास संभवत आज के इतिहास से भिन्न होता। भारत में युवा पीढ़ी पिछले 20 सालों के अनुभव से यह सीख चुकी है कि सविनय अवज्ञा आंदोलन एक विदेशी प्रशासन को बंधक बना सकता है या पंगु तो कर सकता है, लेकिन बिना भौतिक बल के यह उसे उखाड़कर नहीं फेंक सकता या निष्कासित नहीं कर सकता। एक अंतिम चरण आएगा, जब सक्रिय प्रतिरोध सशस्त्र क्रांति में विकसित हो जाएगा, तब भारत में ब्रिटिश शासन का अंत होगा। इसी पुस्तक से यह पुस्तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख राजनीतिक अध्ययन है, जिसमें उनकी स्वयं अपनी एक प्रमुख भूमिका थी। यह पुस्तक असहयोग और खिलाफत आंदोलनों के घुमड़ते बादलों से लेकर तूफान का रूप लेनेवाले 'भारत छोड़ो' तथा आजाद हिंद आंदोलनों तक का विशद और विश्लेषणात्मक विमर्श उपलब्ध कराती है। नेताजी की दूरदर्शिता, चिंतन और राष्ट्रीय भाव को रेखांकित करती एक पठनीय कृति।By Paulo Coelho. 2021
ज़ाहिर का कथाकार एक बेस्टसेलिंग उपन्यासकार है, जो पेरिस में रहता है और संपन्नता तथा सेलिब्रिटी जैसे रुतबे का आनंद…
ले रहा है। एस्तर दस वर्षों से उसकी पत्नी है और एक युद्ध संवाददाता है, जो अपने मित्र मिखाइल के साथ ग़ायब हो जाती है। यह व्यक्ति उसका प्रेमी हो सकता है या नहीं भी। क्या एस्तर का अपहरण हुआ था, हत्या हुई थी या वह केवल उस विवाह से बचना चाहती थी जिससे वह असंतुष्ट थी? कथाकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है, लेकिन उसके पास कई सवाल हैं। एक दिन मिखाइल कथाकार को ढूंढ़ लेता है और उसे उसकी पत्नी से पुन मिलाने का वादा करता है। अपने खोए हुए प्रेम को पाने की कोशिशों में कथाकार को स्वयं के बारे में अनपेक्षित बात पता चलती है। जुनून पर आधारित एक रहस्य से घिरी कहानी, ज़ाहिर हमारे सपनों को पूरा करने और साथ ही उन्हें मिटा देने की संभावनाओं को तलाशती है।By Sunil Khanduri. 2022
हिमालय की बर्फीली चोटियों के मध्य स्थित एक शांत और मनोरम गांव, जिसकी सुन्दर छटा के बीच एक साधक –…
देवदास, अपने उज्जवल भविष्य के स्वप्न संजोए है। वह स्वयं को भविष्य के एक श्रद्धेय, सम्मानित और गणमान्य साधु के रूप मे देखता है। एक प्रतिभाशाली विद्वान और आश्रम के सभी कार्यों में निपुण इस साधक की यात्रा के साथ कई ज़िन्दगियों का ताना बाना बुना हुआ है। देवदास के देखते-देखते, उससे भी अल्पज्ञानी और कनिष्ठ साधक अपने सपनों का भविष्य संजोने आश्रम छोड़कर जा चुके हैं जबकि ज्ञान से परिपूर्ण, और सक्षम होने के बाद भी आश्रम के संचालक उसकी भविष्य की योजनाओं की ओर घ्यान नहीं दे रहे हैं। यह देवदास को कुछ संदेहास्पद लग रहा है। उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि उसे अपना भविष्य चुनने की स्वतंत्रता क्यों नहीं दी जा रही है? वह स्वयं को अलग-थलग एवं अकेला महसूस करता है। आश्रम छोड़ने के वर्षों बाद भी उसका जीवन केवल अव्यवस्थाओं से परिपूर्ण है और दिन-प्रतिदिन परिस्थितियां चुनौतिपूर्ण होती जा रही हैं। देवदास घोर आश्चर्य में है कि उसे बाहरी रूप से तो अपना जीवन सामान्य और सम्पन्न लग रहा है परन्तु अवचेतना में वह एक भयानक नरक से गुजर रहा है। जब कभी वह दुविधा में होता है तो उसके मस्तिष्क की अवचेतना की ध्वनि जीवन्त हो उठती है। वह ध्वनि उसके लिए परिस्थितियों को पहले से दुष्कर बना देती है। फलस्वरूप देवदास भी पहले से अधिक भ्रमित और भयाक्रांत हो जाता है। गुरूदेव उसे अपने निर्णयानुसार, अपने सपनों को मूर्त रूप देने की दिशा में आगे बढ़ने से क्यों रोक रहे थे? क्या देवदास अपनी नित्य-प्रति की परेशानियों का कारण जान पाएगा? भिक्षुक रचना त्रयी की पहली पुस्तक “वृंदावन का भिक्षुक” जीवन की यात्राओं को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए आवश्यक, मूलभूत बातों पर प्रकाश ड़ालती है।