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By Vinayak Damodar Savarkar. 2000
वीर सावरकर रचित ‘१८५७ का स्वातंत्र्य समर’ विश्व की पहली इतिहास पुस्तक है, जिसे प्रकाशन के पूर्व ही प्रतिबंधित होने…
का गौरव प्राप्त हुआ। इस पुस्तक को ही यह गौरव प्राप्त है कि सन् १९०९ में इसके प्रथम गुप्त संस्करण के प्रकाशन से १९४७ में इसके प्रथम खुले प्रकाशन तक के अड़तीस वर्ष लंबे कालखंड में इसके कितने ही गुप्त संस्करण अनेक भाषाओं में छपकर देश-विदेश में वितरित होते रहे। इस पुस्तक को छिपाकर भारत में लाना एक साहसपूर्ण क्रांति-कर्म बन गया। यह देशभक्त क्रांतिकारियों की ‘गीता’ बन गई। इसकी अलभ्य प्रति को कहीं से खोज पाना सौभाग्य माना जाता था। इसकी एक-एक प्रति गुप्त रूप से एक हाथ से दूसरे हाथ होती हुई अनेक अंतःकरणों में क्रांति की ज्वाला सुलगा जाती थी। पुस्तक के लेखन से पूर्व सावरकर के मन में अनेक प्रश्न थे—सन् १८५७ का यथार्थ क्या है?क्या वह मात्र एक आकस्मिक सिपाही विद्रोह था? क्या उसके नेता अपने तुच्छ स्वार्थों की रक्षा के लिए अलग-अलग इस विद्रोह में कूद पड़े थे, या वे किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक सुनियोजित प्रयास था? यदि हाँ, तो उस योजना में किस-किसका मस्तिष्क कार्य कर रहा था?योजना का स्वरूप क्या था?क्या सन् १८५७ एक बीता हुआ बंद अध्याय है या भविष्य के लिए प्रेरणादायी जीवंत यात्रा?भारत की भावी पीढि़यों के लिए १८५७ का संदेश क्या है? आदि-आदि। और उन्हीं ज्वलंत प्रश्नों की परिणति है प्रस्तुत ग्रंथ—‘१८५७ का स्वातंत्र्य समर’! इसमें तत्कालीन संपूर्ण भारत की सामाजिक व राजनीतिक स्थिति के वर्णन के साथ ही हाहाकार मचा देनेवाले रण-तांडव का भी सिलसिलेवार, हृदय-द्रावक व सप्रमाण वर्णन है। प्रत्येक देशभक्त भारतीय हेतु पठनीय व संग्रहणीय, अलभ्य कृति!By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2016
'अर्थशास्त्र' माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान हेतु कक्षा नवमी के हिन्दी विषय हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की गई है।…
'हिन्दी भाषा' अपने सामर्थ्य में वृद्धि करते हुए विश्व में सम्पर्क भाषा के रूप मे तीव्रता से प्रसारित हो रही है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक है कि अपने प्रदेश के विद्यालयों के विद्यार्थी हिन्दी भाषा के व्यवहार में विशेष दक्षता अर्जित करें। इस पाठ्यपुस्तक में चार खंड और दिए गए है। पाठ्यपुस्तक में चार अध्याय दिए है - अध्याय एक पालमपूर गाँव की कहानी, अध्याय दो संसाधन के रुप में लोग, अध्याय तीन निर्धनताः एक चुनौती और अध्याय चार भारत मे खाद्य सुरक्षा आदी के विषय पर चर्चा की गई है।By Divya Prakash Dubey. 2016
हम सभी के जीवन में एक या दूसरी सूचियाँ होती हैं। मुसाफिर कैफे जीवन और इन सभी सूचियों के बारे…
में है। यह जीवन में एक ठहराव की तरह है, जब हम कोशिश करते हैं और अपने आप को धीमा करते हैं कि हम कहाँ हैं, और हम यहाँ से कहाँ जाना चाहते हैं? मुसाफिर कैफे दो युवा और आधुनिक व्यक्तियों, सुधा और चंदर की कहानी है। सुधा जो पेशे से वकील है और व्यक्ति में एक मजबूत मुक्त उत्साही लड़की है। वह देश की शीर्ष वकील बनना चाहती है जबकि चंदर एक भ्रमित सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। हालाँकि उन दोनों को यकीन है कि वे शादी नहीं करना चाहते हैं और किसी के साथ घर बसाना चाहते हैं, लेकिन वे माता-पिता की खातिर हर सप्ताहांत इस मीटिंग गेम को खेलते हैं। घटनाएँ उन्हें एक सप्ताह के लिए एक साथ रहने के लिए प्रेरित करती हैं, लेकिन वे एक-दूसरे की उपस्थिति और जीवन में हस्तक्षेप करने के लिए अभ्यस्त हो जाते हैं, यह एक अनियोजित लिव-इन संबंध बन जाता है। मुसाफिर कैफे केवल सुधा और चंदर की कहानी नहीं है, यह हम सभी की कहानी है, जो बकेट लिस्ट पर टिकने की कोशिश कर रहे हैं और एक आदर्श जीवन की तलाश कर रहे हैं।By Premchand. 1936
मुंशी प्रेमचंद ने जो कुछ भी लिखा है, वह आम आदमी की व्यथा कथा है, चाहे वह ग्रामीण हो या…
शहरी। गांवों की अव्यवस्था, किसान की तड़प, ग्रामीण समाज की विसंगतियां, अंधविश्वास, उत्पीड़न और पीड़ा की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करता है - गोदान। मुंशी प्रेमचंद की चिर-परिचित शैली का जीता-जागता उदाहरण है गोदान, जो जमीन से जुड़ी हकीकतों को बेनकाब करता है। विश्व की सर्वाधिक भाषाओं में अनुवाद होकर बिकने का गौरव केवल गोदान को ही प्राप्त है। ‘गोदान’ का सर्वाधिक प्रमाणिक संस्करण एक संपूर्ण उपन्यास।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2020
कथा धारा कक्षा 11 के विद्यार्थियों के लिखी गई पाठ्यपुस्तक प्रस्तुत करते हुए अत्यंत प्रसन्नता है । पुस्तक लेखन पाठ्यसामग्री…
संकलन में यह ध्यान रखा गया है कि हिंदी साहित्य की समृद्ध संपदा के राष्ट्रीय फलक से विद्यार्थियों को परिचित करवाते समय राजस्थान के आदर्श नायकों तथा रचनाकारों का व्यक्तित्व एवं कृतित्व भी विद्यार्थियों के समक्ष आए ताकि हमारे विद्यार्थी हिंदी की मुख्यधारा में राजस्थान के योगदान को रेखांकित करने में समर्थ बनें। छोटे कलेवर वाली इस पुस्तक में संकलित सामग्री एक संकेत मात्र है, जिसके माध्यम से विद्यार्थी इस दिशा में सोचना तथा इस राह पर अग्रसर होना शुरु करेंगे। निर्धारित पाठ्यक्रमानुसार पुस्तक के संपादन का गुरुत्तर दायित्व प्रदान करने हेतु माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर का आभार । यद्यपि इस पुस्तक में मानक हिंदी का अनुसरण किया गया है तथापि कहीं-कहीं पाठ की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए पुरानी वर्णमाला का प्रयोग किया गया है।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2020
भूगोल का प्रभाव मानव, पेड-पौधों और जीव-जन्तुओं पर जन्म से मृत्युपर्यन्त बना रहता है। हमारे जीवन का प्रत्येक पहलू भौगोलिक…
घटकों से जुड़ा होता है। बहुआयामी ब्रह्माण्ड अनेकानेक रहस्यों से भरा है, जिनका अध्ययन भूगोल रूपी विज्ञान में किया जाता है। पृथ्वी 'मानव गृह' है, जिसके तल, नभ, जल, भूगर्भ, जैव एवं अजैव पहलूओं के विविधतारूपी लक्षणों का वैज्ञानिक अध्ययन इस विषय के अन्तर्गत किया जाता है। इसमें मानव एवं प्रकृति तथा उनके पारस्परिक संबंधों के अध्ययन पर विशेष जोर दिया जाता है। इसके फलस्वरूप भूगोल में 'भौतिक भूगोल' एवं 'मानव भूगोल' दो प्रमुख शाखाएँ तथा कालान्तर में इनकी अनेक विशेषीकृत उपशाखाएँ विकसित हुई। प्रस्तुत पुस्तक में भौतिक भूगोल एवं भारत-राजस्थान के भौतिक एवं प्राकृतिक पहलूओं पर सभी प्रत्ययों को यथा सम्भव प्रथम बार रंगीन चित्रों, मानचित्रों एवं सारणियों आदि के माध्यम से समझाया गया है। छात्रहित में वैज्ञानिक शब्दावली का उपयोग सरल एवं बोधगम्य भाषा के रूप में किया गया है।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2016
लोकतांत्रिक राजनीति 1 माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान हेतु कक्षा नवमी के हिन्दी विषय हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की…
गई है। इस पुस्तक में कुल पाँच अध्याय है। इस किताब में अध्याय की सामग्री को सहलियत से पढाने में खंड और उप-खंड आपके लिए मददगार साबित होंगे। इससे आप अध्याय की बातों को एक-एक करके उठा सकेंगे। अमूमन हर अध्याय को चार खंडों में बाँटा गया है। एक खंड को आप तीन 'पीरियड' में पूरा कर सकते हैं। खंड के शीर्षक के साथ संख्या दी गई है। शीर्षक इस बात का इशारा है कि अध्याय के भीतर अब नई बात शुरू होने जा रही है। उप-खंडों के शीर्षक के सहारे किसी बात को बिंदुवार बताने में आपको सहूलियत होगी। मुख्य बात को ज़्यादा स्पष्ट करने वाली अतिरिक्त सूचनाओं अथवा विश्लेषण को बॉक्स में डाला गया है। 'बॉक्स' मुख्य पाठ का ज़रूरी हिस्सा है और इसे भी पढ़ना है।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2016
समकालीन भारत 1 माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान हेतु कक्षा नवमी के हिन्दी विषय हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की…
गई है। 'हिन्दी भाषा' अपने सामर्थ्य में वृद्धि करते हुए विश्व में सम्पर्क भाषा के रूप मे तीव्रता से प्रसारित हो रही है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक है कि अपने प्रदेश के विद्यालयों के विद्यार्थी हिन्दी भाषा के व्यवहार में विशेष दक्षता अर्जित करें। इस पुस्तक में कुल छह अध्याय है। भारत-आकार और स्थिती, भारत का भौतिक स्वरुप, अपवाह, जलवायू, प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी, जनसंख्या आदी के बारे जानकारी दी गई है। छात्रें में भू-स्थानिक कौशल विकसित करने के उद्देश्य से एनसीईआरटी तथा इसरो ने मिलकर ऑनलाइन वेब आधारित भू-स्थानिक पोर्टल स्कूल-भुवन-एनसीईआरटी बनाया है। इस भू-स्थानिक पोर्टल पर भूगोल की पाठ्यपुस्तकों में दिए गए मानचित्र उपलब्ध हैं। यह पोर्टल छात्रें में भू-स्थानिक तकनीक के उपयोग द्वारा भूगोल की विभिन्न संकल्पनाओं को समझने में मदद करता है।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2020
गृह विज्ञान व्यवहारिक शिक्षा होने के साथ-साथ व्यवसायिक एवं पारिवारिक शिक्षा का विषय भी है। इस विषय के विद्यार्थी अपनी…
दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु विविध क्रियाकलापों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति का प्रदर्शन भी कर सकते है जिससे शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से स्वस्थ एवं सम्पन्न व्यक्ति, परिवार, समाज तथा राष्ट्र का निर्माण कर सके। राज्य सरकार के निर्देशानुसार नये पाठ्यक्रम के अनुसार कक्षा 11 की पुस्तक लिखी गई है।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2020
भौतिकी भाग 2 पाठ्यपुस्तक में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अन्य क्षेत्रों अथवा दैनिक जीवन में कुछ अनुप्रयोगों को दर्शाना, सरल…
प्रयोग सुझाना, भौतिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अभिधारणाओं में संबंध, एकरसता अथवा नीरसता को तोड़कर पुस्तक को सजीव बनाना है। पुस्तक के प्रत्येक अध्याय के अंत में सारांश, विचारणीय विषय, अभ्यास तथा अतिरिक्त अभ्यास एवं उदाहरण जैसे विशिष्ट लक्षणों को बनाए रखा गया है। संकल्पनाओं पर आधारित कई अभ्यासों को अध्यायों के अंत में दिए गए अभ्यासों से 'उदाहरण एवं उनके हल' के रूप में पाठ्य सामग्री में स्थानांतरित किया गया है। यह आशा की जाती है कि ऐसा करने से अध्याय में दी गई संकल्पनाएँ अधिक बोधगम्य बन जाएँगी।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2020
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर द्वारा सामाजिक विज्ञान शिक्षण हेतु तैयार की गई पाठ्यपुस्तक में उन सभी भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक,…
राजनीतिक तथा ऐतिहासिक तथ्यों एवं घटनाओं का समावेश किया गया है, जिनकी वर्तमान में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए महती आवश्यकता है । इससे बालक का सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन किया जा सकेगा । पाठ्यपुस्तक को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है । भूगोल, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन तथा इतिहास । पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित चित्रों, मानचित्रों, घटनाओं का भरपुर उपयोग किया गया है, ताकि छात्रों की तार्किकता में वृद्धि हो सके । यथा संभव बालकों को शैक्षिक भ्रमण पर ले जावें और वहाँ की वस्तु स्थिति से अवगत करावें । भ्रमण के बाद विद्यालय में आकर समूह परिचर्चा करते हुए प्रतिवेदन तैयार करें । बालकों को रटने की प्रवृति की जगह अपने विवेक का प्रयोग करते हुए आगे बढने के अवसर प्रदान करें । अध्याय के अंत में दिए गए प्रश्नों के उत्तर भी वह अपने विवेकानुसार लिखने का प्रयास करें । छात्रों को ध्यान में रखते हुए बहुचयनात्मक, रिक्त स्थान पूर्ति, अतिलघुत्तरात्मक, निबंधात्मक प्रश्नों का समावेश किया गया है ।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2020
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान द्वारा कक्षा 10 के लिए निर्धारित नवीन पाठ्यक्रम के अनुसार ही इस पुस्तक का लेखन किया…
गया है । राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, तथा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के परिप्रेक्ष्य में भी इस पुस्तक का अद्यतन किया गया है । मानक शब्दावली का प्रयोग किया गया है । सरलता एवं बोधगम्यता का विशेष ध्यान रखा गया है । प्रश्नों को हल करने की विधियाँ सरल एवं सहज बने इस हेतु पर्याप्त संख्या में दृष्टांतीय उदाहरण एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न भी हर अध्याय में सम्मिलित किये गये हैं । विद्यार्थियों, अध्यापकों एवं अन्य पाठकों से निवेदन है कि इस पुस्तक के अध्ययन / अध्यापन के परिणामस्वरूप जो अनुभूति हों अथवा किसी भी प्रकार की न्यूनता ध्यान में आए तो उससे लेखकगण, संयोजक को अवगत करवाने का कष्ट करें जिससे कि पुस्तक के स्तर में वांछित सुधार किया जा सके ।By Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur. 2016
गणित 8वीं कक्षा में पाठ्यपुस्तक की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है- विद्यार्थियों को विषय से परिचय उनके आसपास से संबंधित उदाहरणों…
से कराया गया हैं । इसमें यह भी ध्यान रखा गया है कि अधिगम हेतु आवश्यक सामग्री कम लागत या आसपास के परिवेश से उपलब्ध हो सके ताकि कक्षा शिक्षण में अध्यापक उन सामग्रियों का उपयोग कर, गतिविधि के माध्यम से बालकों की सहभागिता के साथ अधिगम को प्रभावी बना सके । निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम-2009 के प्रावधानानुसार सतत् एंव व्यापक मूल्यांकन के अनुसार विषयवस्तु निर्मित की गई है । अतः बालकों को स्तरानुसार समूह में बाँटकर समूह शिक्षण पर बल देकर बालकों में दक्षताएँ विकसित की जाए । पाठ्यपुस्तक में अवधारणाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है तथा अधिक संख्या में चित्रों के माध्यम से समझाया गया है । उदाहरण और अभ्यास सम्मिलित किए गए हैं, ताकि विद्यार्थियों में अवधारणाओं को अपने स्तर पर समझ कर प्रश्नों को बेहतर ढंग से हल करने की दक्षता में वृद्धि हो सके तथा समस्याओं को हल करने में उनकी भागीदारी बढ़ सके । बालकों में गणितीय सोच विकसित करने, गणितीय तथ्यों की पुनः खोज करने, आरेखण एवं मापन के लिए उपयुक्त दक्षता के विकास हेतु अनेक गतिविधियाँ दी गई हैं जिन्हें ‘करो और सीखो’ का नाम दिया गया है । बालकों को यह गतिविधियाँ इसी भावना जिम्मेदारी, सहिष्णुता एंव सहयोग के अनुरुप करवाया जाना अपेक्षित है ।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2020
व्यवसाय अध्ययन 11वीं कक्षा का माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, यह…
पाठ्यपुस्तक व्यावसायिक वातावरण की एक अच्छी जानकारी देने की अपेक्षा करती है। एक प्रबन्धक को व्यवसाय की जटिल, गतिशील स्थितियों का विश्लेषण करना पड़ता है। विषय-वस्तु को अधिक समृद्ध बनाने के लिए व्यावसायिक पत्र-पत्रिकाओं और लेखों के उद्धरणों को अतिरिक्त रूप से कोष्ठकों में जोड़ा गया है। इससे विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिलता है कि वें व्यवसाय की प्रतिक्रियाओं का अवलोकन करें एवं स्वयं खोज करने का प्रयास करें कि व्यावसायिक संगठनों में क्या हो रहा है। यह भी अपेक्षा की जाती है कि इस दौरान वे पुस्तकालय, समाचार-पत्रों, व्यवसायोन्मुख दूरदर्शन कार्यक्रमों और इन्टरनेट के द्वारा आधुनिक जानकारी प्राप्त करेंगे। विभिन्न प्रकार के प्रश्न एवं केस समस्याएँ प्रस्तावित की गई हैं जिससे वे विषय के ज्ञान प्रयोग द्वारा वास्तविक व्यावसायिक स्थितियों को जान सकें।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2016
क्षितिज भाग 1 माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान हेतु कक्षा नवमी के हिन्दी विषय हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की…
गई है। इस पुस्तक में दो खंड (गद्य-खंड और काव्य खंड) दिए है, काव्य खंड में हिंदी कविता के विभिन्न कालों का प्रतिनिधित्व करने वाले नौ कवियों की कविताओं को यहाँ संकलित किया गया है। हिंदी कविता के ऐतिहासिक विकास से भी वे वाकिफ़ हो सकें इसलिए संकलित कवियों की कविताओं को काल-क्रमानुसार रखा गया है। गद्य विधाओं के चयन में कहानी, यात्रा-वृत्तांत, निबंध, डायरी, व्यंग्य, आत्मकथा आदि विधाओं की कुल आठ गद्य रचनाएँ पुस्तक में रखी गई हैं। पुस्तक में गद्य और काव्य खंड के रचनाओं को 'सरलता से कठिनता की ओर' के शैक्षणिक सूत्र को ध्यान में रखकर संकलित किया गया है।By Anurag Pathak. 2019
अनुराग पाठकलोक व्याहार (हिंदी) डेल कार्नेगी की 12 वीं फेल बुक बताती है कि आप अपने जैसे लोगों को कैसे…
बना सकते हैं, अपने सोचने के तरीके से लोगों को जीत सकते हैं और लोगों को अपमान या आक्रोश पैदा किए बिना बदल सकते हैं। उन्होंने लोगों को बिना किसी हेर-फेर के महसूस करने के लिए बुनियादी तकनीकों पर जोर दिया। कार्नेगी ऐतिहासिक आंकड़ों, व्यापारिक दुनिया के नेताओं और रोजमर्रा के लोगों के उपाख्यानों के साथ अपने बिंदुओं को दिखाता है।By Nilotpal Mrinal. 2019
‘औघड़’ भारतीय ग्रामीण जीवन और परिवेश की जटिलता पर लिखा गया उपन्यास है जिसमें अपने समय के भारतीय ग्रामीण-कस्बाई समाज…
और राजनीति की गहरी पड़ताल की गई है। एक युवा लेखक द्वारा इसमें उन पहलुओं पर बहुत बेबाकी से कलम चलाया गया है जिन पर पिछले दशक के लेखन में युवाओं की ओर से कम ही लिखा गया। ‘औघड़’ नई सदी के गाँव को नई पीढ़ी के नजरिये से देखने का गहरा प्रयास है। महानगरों में निवासते हुए ग्रामीण जीवन की ऊपरी सतह को उभारने और भदेस का छौंका मारकर लिखने की चालू शैली से अलग, ‘औघड़’ गाँव पर गाँव में रहकर, गाँव का होकर लिखा गया उपन्यास है। ग्रामीण जीवन की कई परतों की तह उघाड़ता यह उपन्यास पाठकों के समक्ष कई विमर्श भी प्रस्तुत करता है। इस उपन्यास में भारतीय ग्राम्य व्यवस्था के सामाजिक-राजनितिक ढाँचे की विसंगतियों को बेहद ह तरीके से उजागर किया गया है। ‘औघड़’ धार्मिक पाखंड, जात-पात, छुआछूत, महिला की दशा, राजनीति, अपराध और प्रसाशन के त्रियक गठजोड़, सामाजिक व्यवस्था की सड़न, संस्कृति की टूटन, ग्रामीण मध्य वर्ग की चेतना के उलझन इत्यादि विषयों से गुरेज करने के बजाय, इनपर बहुत ठहरकर विचारता और प्रचार करता चलता है। व्यंग्य और गंभीर संवेदना के संतुलन को साधने की अपनी चिर-परिचित शैली में नीलोत्पल मृणाल ने इस उपन्यास को लिखते हुए हिंदी साहित्य की चलती आ रही सामाजिक सरोकार वाली लेखन को थोड़ा और आगे बढ़ाया है।.By Surender Mohan Pathak. 1971
चीनी एजेंटों के चंगुल में फंसी दस स्पाई एजेंटों की एक भारतीय टीम जैसे-तैसे करके आजाद तो हो गयी लेकिन…
इसके लिये उनको भारी कीमत चुकानी पड़ी । टीम के सदस्यों का मानना था कि टॉर्चर से बचने हेतु उन्हीं की टीम का एक सदस्य चीनियों से जा मिला था और वही अब अपने राज को राज रखने के लिये एक-एक करके उनको खत्म करता जा रहा था । क्या सुनील गद्दार को अपने आखिरी शिकार तक पहुंचने से रोक पाया ?By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2016
'भारतीय आर्थिक विकास' पर इस पुस्तक की रचना का मुख्य ध्येय पाठक को भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष मुख्य समस्याओं और…
मुद्दों से परिचित कराना है। इसी प्रक्रिया में नव युवाओं को इन विषयों के प्रति संवेदनशील बनाने के साथ-साथ उन्हें विभिन्न आर्थिक क्रियाओं में सरकार की भूमिका की समालोचना कर पाने में सक्षम बनाना भी है। यह पुस्तक देश के आर्थिक संसाधनों और विभिन्न क्षेत्रकों में उनके प्रयोग के विषय में भी जानकारी प्रदान कर रही है। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न आयामों से जुड़े आँकड़ों द्वारा परिमाणात्मक जानकारी के साथ-साथ देश की आर्थिक नीतियों की भी एक झलक इसमें समाहित है। इन सबके आधार पर आशा की जा रही है कि पाठक अपनी विश्लेषण क्षमताओं को विकसित कर आर्थिक घटनाक्रम को समझने और भारत के आर्थिक भविष्य के विषय में अपना एक दृष्टिकोण विकसित कर पाने में सफल होंगे। फिर भी, हमारा प्रयास रहा है कि पाठक पर अवधारणाओं ओर आँकड़ों का अधिक बोझ न होने पाए।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2020
रसायन भाग 2 11वीं कक्षा का माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है।…
इस पाठ्यपुस्तक के सात अध्याय एकक हैं। विभिन्न एककों के शीर्षक देखने से लगता है कि विषयवस्तु भौतिक, अकार्बनिक एवं कार्बनिक रसायन में विभाजित है परंतु पाठक यह पाएँगे कि इन उपविषयों में जहाँ तक संभव हो सका, परस्पर संबंध स्थापित किया गया है जिससे विषय की एकीकृत पहुँच बनी रहे। वास्तव में विषय को रसायन के नियमों एवं सिद्धांतों के चारों ओर संघटित किया गया है। मूल-पाठ को परिवेश से उदाहरण देते हुए भली प्रकार समझाया गया है जिससे अवधारणा के गुणात्मक और मात्रात्मक पक्षों को समझना सुसाध्य तथा आसान हो जाएगा।