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Kavitavali: कवितावली
By Indradev Narayan. 1994
गोस्वामी श्री तुलसीदासजी द्वारा विरचित तथा श्री इन्द्रदेव नारायण जी द्वारा अनुवादित यह पुस्तक भावुक भक्तों को प्राणों के समान…
प्रिय है। इसमें भगवान श्रीराम के बालकाण्डसे लेकर उत्तरकाण्ड पर्यन्त लीलाओं का बड़ा ही मनोहारी चित्रण है।Aansu: आँसू
By Jaishankar Prasad. 1933
आँसू जयशंकर प्रसाद की एक विशिष्ट रचना है। इसका प्रथम संस्करण में साहित्य-सदन, चिरगाँव, झाँसी से प्रकाशित हुआ था। द्वितीय…
संस्करण 1933 ई. में भारती भण्डार, प्रयाग से प्रकाशित हुआ। रचनाकाल 'आँसू' का रचनाकाल लगभग 1923 - 24 ई. है। कहा जाता है पहले कवि का विचार इसे 'कामायनी' के अंतर्गत ही प्रस्तुत करने का था, किंतु अधिक गीतिमयता के कारण तथा प्रबन्ध काव्य के अधिक अनुरूप न होने के कारण उसने यह विचार त्याग दिया। संस्करणों में अंतर 'आँसू' के दोनों संस्करणों में पर्याप्त अंतर है। प्रथम संस्करण में केवल 126 छन्द थे। उसका स्वर अतिशय निराशापूर्ण था। उसे एक दु:खान्त रचना कहा जायगा। नवीन संस्करण में कवि ने कई संशोधन किये। छन्दों की संख्या 190 हो गयी और उसमें एक आशा-विश्वास का स्वर प्रतिपादित किया गया। कतिपय छन्दों की रूप रेखा में भी कवि ने परिवर्तन किया और छन्दों को इस क्रम से रखा गया कि उससे एक कथा का आभास मिल सके। कथा तत्व 'आँसू' एक श्रेष्ठ गीतसृष्टि है, जिसमें प्रसाद की व्यक्तिगत जीवनानुभूति का प्रकाशन हुआ है। अनेक प्रयत्नों के बावजूद इस काव्य की प्रेरणा के विषय में निश्चित रूप से कहना कठिन है, किंतु इतना निर्विवाद है कि इसके मूल में कोई प्रेम-कथा अवश्य है। 'आँसू' में प्रत्यक्ष रीति से कवि ने अपने प्रिय के समक्ष निवेदन किया है। कवि के व्यक्तित्व का जितना मार्मिक प्रकाशन इस काव्य में हुआ है उतना अन्यन्न नहीं दिखाई देता। अनेक स्थलों पर वेदना में डूबा हुआ कवि अपनी अनुभूति को उसके चरम ताप में अंकित करता है। काव्य के अंत में वेदना को एक चिंतन की भूमिका प्रदान की गयी है। इसे वियोग और पीड़ा का प्रसार कह सकते हैं। कवि के व्यक्तित्व की असाधारण विजय और क्षमता इसी अवसर पर प्रकट होती है।Vyaktitva Ka Vighatan: व्यक्तित्व का विघटन
By Shivdan Singh Chauhan, Mrs Vijay Chauhan. 1969
प्रस्तुत पुस्तक "व्यक्तित्व का विघटन" मैक्सिम गोर्की द्वारा लिखा हुआ साहत्यिक निबन्ध शिवदानसिंह चौहान और श्रीमती विजय चौहानजीने हिंदी में…
अनुवाद किया है। गोर्की के जिन पाँच महत्वपूर्ण साहित्य-सम्बन्धी निबन्धों का अनुवाद हम यहाँ हिन्दी पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं, उनके बारे में कुछ भी कहकर हम व्यर्थ ही गोर्की की बात को संक्षिप्त रूप में दोहराना आवश्यक नहीं समझते। निबन्ध भारत में ही नहीं, बल्कि सारे संसार के साहित्यों में भी प्रगतिशील आन्दोलन के लिए पिछले तीस-पैंतीस साल से प्रेरणा और मार्ग-दर्शन का काम करते आये हैं। आजकल जब शीत-युद्ध के परिणामस्वरूप सभी साहित्यिक मूल्यों का जैसे अवमूल्यन हो गया दीखता है, और कुछ उत्साही प्रगतिशील आलोचक भी इस रौ में बहकर और साहित्य में 'अहम्-केन्द्रित व्यक्तिवाद' का दर्शन अपनाकर मात्र रूसवादी प्रतिमानों को आज के 'सन्दर्भो' का तकाजा बताते हुए उन्हें 'नये प्रतिमानों के नाम से प्रतिष्ठित करने की कोशिश कर रहे हैं, हमारे पाठकों के लिए गोर्की के इन निबन्धों की रेलिवेन्स और भी अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि सोवियत क्रान्ति और प्रथम महायुद्ध के पहले के रूस में भी ऐसे ही मात्र रूपवादी प्रतिमानों को 'उस युग के सन्दर्भो' का तकाज़ा बताया गया था। गोर्की ने अपने निबन्धों में उन सन्दर्भो और मनःस्थितियों का जो गहरा विश्लेषण किया है, वह हमारे लिए विशेष रूप से उपयोगी है।Hindi Sahitya ka Adhunik yug: हिन्दी साहित्य का आधुनिक युग
By Acharya Nand Dulare Vajpeyee. 1976
किसी भी जीवित और जागृत साहित्य की रचना और विवरण, उसके निर्माण और चिन्तन, अटूट हुआ करते हैं; वे एक-दूसरे…
से नितान्त दूर रखकर नहीं देखे जा सकते । वे प्रकृति से ही सहजता और समीपी होते हैं, दोनों ही दोनों को प्रेरित और प्रभावित करते हैं। कदाचित इसीलिए वे हिन्दी साहित्य का आधुनिक युग पुस्तक में अनायास एक साथ स्थान पा गये हैं।Gandhijiki Sankshipt Aatmakatha: गांधीजीकी संक्षिप्त आत्मकथा
By Kashinath Trivedi. 1951
बापूकी 'आत्मकथा' एक बड़ा ग्रंथ है। इस पुस्तकमें उसका सार तैयार किया गया है। ऐसा करते समय बापूके लेखन-क्रम, भाषा…
इत्यादिको प्रायः मूलके जैसा ही रखा गया है। केवल विषयको संक्षिप्त करने और सिलसिला जोड़नेके लिए कहीं-कहीं नयी भाषाका प्रयोग किया गया है। अतः सहज रूपसे यह कहा जा सकता है कि इस संक्षिप्त आत्मकथा' का ९९.९९ से भी अधिक भाग मूलका अवतरण ही है। इस 'संक्षिप्त आत्मकथा' को नये ढंगसे विभक्त किया गया है और कुछ अध्यायोंको उन विषयों के अनुरूप नये नाम दिये गये हैं। अध्यायों की गिनती प्रत्येक खण्डकी अलग-अलग न करके समूची पुस्तककी एक ही रखी गई है। बापूकी 'आत्मकथा' एक ऐसा ग्रंथ है, जो बापूको समझने में बहुत सहायक होता है। इसका संक्षिप्त संस्करण तैयार करनेका यह प्रयास इस अभिलाषासे किया गया है कि यह विशिष्ट व्यक्तियोंको और खासकर नयी पीढ़ीको बापूका अभ्यास करनेके लिए प्रेरित करे।Hindi class 10 Guide book - GSTB: हिंदी कक्षा 10 - जी एस टी बी
By Navneet. 2020
जिंदगी में कभी-कभी ऐसा दौर आता है जब तकलीफ गुनगुनाहट के रास्ते बाहर आना चाहती है ! उसमे फंसकर गेम-जाना…
और गेम-दौरां तक एक हो जाते हैं ! ये गजलें दरअसल ऐसे ही एक दौर की देन हैं ! यहाँ मैं साफ़ कर दूँ कि गजल मुझ पर नाजिल नहीं हुई ! मैं पिछले पच्चीस वर्षों से इसे सुनता और पसंद करता आया हूँ और मैंने कभी चोरी-छिपे इसमें हाथ भी आजमाया है ! लेकिन गजल लिखने या कहने के पीछे एक जिज्ञासा अक्सर मुझे तंग करती रही है और वह है कि भारतीय कवियों में सबसे प्रखर अनुभूति के कवि मिर्जा ग़ालिब ने अपनी पीड़ा की अभिव्यक्ति के लिए गजल का माध्यम ही क्यों चुना ? और अगर गजल के माध्यम से ग़ालिब अपनी निजी तकलीफ को इतना सार्वजानिक बना सकते हैं तो मेरी दुहरी तकलीफ (जो व्यक्तिगत भी है और सामाजिक भी) इस माध्यम के सहारे एक अपेक्षाकृत व्यापक पाठक वर्ग तक क्यों नहीं पहुँच सकती ? मुझे अपने बारे में कभी मुगालते नहीं रहे ! मैं मानता हूँ, मैं ग़ालिब नहीं हूँ ! उस प्रतिभा का शतांश भी शायद मुझमें नहीं है ! लेकिन मैं यह नहीं मानता कि मेरी तकलीफ ग़ालिब से कम हैं या मैंने उसे कम शिद्दत से महसूस किया है ! हो सकता है, अपनी-अपनी पीड़ा को लेकर हर आदमी को यह वहम होता हो..लेकिन इतिहास मुझसे जुडी हुई मेरे समय की तकलीफ का गवाह खुद है ! बस..अनुभूति की इसी जरा-सी पूँजी के सहारे मैं उस्तादों और महारथियों के अखाड़े में उतर पड़ा !Ramchandra Shukla Sanchayan
By Namwar Singh. 2009
Kahanikar Prasad: कहानीकार प्रसाद
By Dr Ram Avtar Sharma. 1993
“कहानीकार प्रसाद” एक साथ ही मौलिक आलोचना ग्रंथ भी है, मानक शोधग्रंथ भी। इस ग्रंथ में प्रसाद की सारी 60…
कहानियों का सर्वांगीण अनुशीलन किया गया है। संख्या में अधिक न होने पर भी प्रसाद की कहानियों के आयाम अत्यंत स्फीत हैं: प्रागैतिहातिक कहानी, ऐतिहासिक कहानी, सामाजिक कहानी, मनोवैज्ञानिक कहानी प्रभृति की दृष्टियों से प्रसाद एक महान् कहानीकार सिद्ध होते हैं। उन्होंने विविध युगों एवं विविध वर्गों की मानवता का बहुत ही विदग्धतापूर्ण चित्रण किया है। हर्ष का विषय है कि इस ग्रन्थ में समग्र उपलब्ध सामग्री के प्रयोग के साथ मौलिकता एवं स्थापना-शक्ति के प्रभावी एवं उपयोगी दर्शन हो जाते हैं। निस्संदेह, यह अपने विषय का श्रेष्ठतम ग्रंथ है।Rag Virag Ek Vivechan: राग-विराग एक विवेचन
By Dr Ramvilas Sharma. 1974
'राग-विराग' निराला की 130 महत्त्वपूर्ण एवं सर्वश्रेष्ठ कविताओं का प्रामाणिक संकलन है, जिसे हिंदी साहित्य के सुविख्यात विद्वान् डॉ. रामविलास…
शर्मा ने संकलित एवं संपादित किया है। निश्चय ही यह संकलन निराला के संपूर्ण काव्य-साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है। प्रस्तुत पुस्तक 'राग-विराग: एक विवेचन' में इन्हीं कविताओं की सर्वांगीण समीक्षा व विशद व्याख्या प्रस्तुत की गई है। 'राग-विराग: एक विवेचन' नाम्नी प्रस्तुत पुस्तक दो भागों में विभक्त है- आलोचना भाग व व्याख्या भाग। 'आलोचना भाग' में निराला से संबद्ध सभी महत्त्वपूर्ण विषयों पर वैज्ञानिक ढंग से शोधपूर्ण विवेचन प्रस्तुत किया गया है। साथ ही उनकी तीन कालजयी कविताओं से संबंधित समीक्षात्मक विषयों का भी समावेश किया गया है। 'व्याख्या भाग' में विभिन्न विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रम में निर्धारित कविताओं की प्रामाणिक व्याख्या प्रस्तुत की गई है। प्रस्तुत संशोधित/परिवर्धित संस्करण में पुस्तक को और अधिक उपयोगी बनाने की चेष्टा की गई है।Vyavsay Adhyan TBC class 11 - MP Board: व्यापाय अधयन टीबीसी कक्षा 11 - एमपी बोर्ड
By Madhyamik Shiksha Mandal Madhya Pradesh Bhopal. 2013
Vyavsayik Arthashastra class 11 - MP Board: व्यवासायिक अर्थशास्त्र कक्षा 11 - एमपी बोर्ड
By Madhyamik Shiksha Mandal Madhya Pradesh Bhopal. 2013
Yojana June 2022: योजना जून 2022
By Yojana. 2022
योजना जून 2022 पत्रिका का संस्करण नए जमाने की तकनीक, नई प्रौद्योगिकियाँ पर केंद्रित है। पत्रिका में जिन विषयों पर…
चर्चा की गई है उनमें- प्रमुख आलेख, फोकस और विशेष आलेख हैं।Kurukshetra June 2022: कुरुक्षेत्र जून 2022
By Publications Division. 2022
कुरुक्षेत्र जून 2022 पत्रिका का संस्करण ग्रामीण विकास पर केंद्रित है। पत्रिका में प्रमुख बिंदु ग्रामीण पर्यटन, भारत में सांस्कृतिक…
पर्यटन का विकास हैं। पत्रिका भारत के विभिन्न हिस्सों में पर्यटकों के आकर्षण पर प्रकाश डालती है।Shor Macha Jungle men
By Jagdeesh Joshi. 2013
जगदीश जोशी दवारा रचित पुस्तक 'शोर मचा जंगल में' जंगल की कहानी पर आधारित है। जिसमें जंगल में तरह-तरह के…
जानवर खुशी से रहते है और शेर के आने पर जानवरों में भगदड़ मच जाती है। The book ‘Shor Macha Jungle Men‘ Published by Jagdish Joshi, is based on the story of the forest. In which the animals lived happily in the forest, and a stampede in the animals when the lion arrives.Bharat ka Samvidhan Sidhant aur Vavhar class 11 - NCERT: भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार 11वीं कक्षा - एनसीईआरटी
By Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2019
भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार 11वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में…
प्रकाशित किया गया है। इस किताब में संविधान के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने के बजाय संविधान के बुनियादी तर्क और वास्तविक जीवन में इसकी परिणतियों पर तोर दिया गया है। यह किताब आपका परिचय संविधान की धारणा से करायेगी, संविधान के बनने और इसके कामकाज की कथा सुनाएगी। यह तो निश्चित है ही कि हम इस किताब में संविधान के विभिन्न मुख्य प्रावधानों की चर्चा करेंगे।Ghananand Aur Sawchhand Kavya Dhara: घनानंद और स्वच्छंद काव्यधारा
By Manoharlal Gaud. 2015
प्रस्तुत पुस्तक 'घनानंद और स्वच्छंद काव्यधारा' आगरा विश्वविद्यालय में पी- एच. डी. उपाधि के लिये स्वीकृत हुए मेरे निबंध का…
मुद्रित स्वरूप है, निबंध में इसके अतिरिक्त रसखान, आलम, बोधा और ठाकुर का भी स्वच्छंद प्रवृत्ति की दृष्टि से अध्ययन किया गया था । इस काल में रीतिबद्ध काव्यधारा के अतिरिक्त जो रीतिमुक्त या स्वछंद काव्यधारा बही, उसकी अनेक विशेषताएं हैं, अनेकविध महत्व है। इसके विशद पर्यालोचन के बिना रीतिकाल का अध्ययन अधूरा हो रह जाता है- यह सभी को मान्य है। आदरणीय पंडित विश्वनाथप्रसाद मिश्र ने इस धारा का उन्नयन घनानंद की कृतियाँ संपादित कर उनको भूमिकामों में तथा अपनी 'बिहारी' पुस्तक में किया है। इसके कवियों की विशद कलात्मक समीक्षा अपेक्षित थी। इस ओर श्रीयुत मिश्र जी ने स्वयं संकेत किया है। प्रस्तुत प्रयास उस अपेक्षा की पूर्ति की दृष्टि से ही किया गया है।Pratiyogita Darpan Hindi January 2022: प्रतियोगिता दर्पण हिंदी जनवरी 2022
By Pratiyogita Darpan. 2022
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी बनाने की दृष्टि से ‘प्रतियोगिता दर्पण’ इस अंक में अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर सारगर्भित…
एवं विश्लेषणात्मक लेख दिए गए हैं. इनमें से कुछ लेख इस प्रकार हैं- क्षेत्रीय विषमताओं के बीच जनांकिकीय उपलब्धियाँ: पाँचवाँ राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-20, आपदारोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (सीडीआरआई), हरित पथ की ओर अग्रसर भारत, भारतीय बैंकिंग उद्योग की अद्यतन प्रवृत्तियाँ, भारत में सम्पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य और चुनौतियाँ, भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है?. वर्तमान में लैंगिक भेदभाव मिटाने की चुनौती, कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान ग्रामीण भारत में सरकारी विद्यालयों को प्राथमिकता आदि. पत्रिका के सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के चयनित हल प्रश्न-पत्र आवश्यक व्याख्या एवं संकेतों के साथ दिए गए हैं. इनमें से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग पी.सी.एस./ आर एफ.ओ. (प्रा.) परीक्षा, 2021, हरियाणा सिविल सेवा (प्रा.) परीक्षा, 2021, एस एस सी.स्नातक स्तरीय परीक्षा, 2020, राजस्थान पी. एस. सी. सब-इंस्पेक्टर पुलिस परीक्षा, 2021 आदि प्रश्न-पत्र दिए गए हैं.Kamayani Mulyankan Aur Mulyankan: कामायनी [मूल्यांकन और मूल्यांकन]
By Dr Indranath Madan. 1990
प्रसाद सुख और दुख को तात्विक वस्तु मानने के विरोधी हैं । समस्त द्वैतों का परिहार इसी आनन्द के अन्तर्गत…
किया है। यह आख्यान इतना प्राचीन है कि इतिहास में रूपक का भी अद्भुत मिश्रण हो गया है। इसलिए मनु, श्रद्धा और इड़ा, इत्यादि अपना ऐतिहासिक अस्तित्व रखते हुए, सांकेतिक अर्थ की भी अभिव्यक्ति करें तो कोई आपत्ति नहीं। मनु अर्थात मन के दोनों पक्ष; हृदय और मस्तिष्क का सम्बन्ध क्रमशः श्रद्धा और इड़ा से भी सरलता से लग जाता है। इन्हीं सब के आधार पर कामायनी की कथा-सृष्टि हुई है ।Bhartiya Samajshastra ke Pathpradarshak- Competitive Exam
By M. L. Gupta, D. D. Sharma. 2019
इस पुस्तक में भारतीय समाजशास्त्रियों के सामाजिक चिन्तन, उनके विचारों की व्याख्या प्रस्तुत की गयी है। भारतीय समाजशास्त्रियों में राधाकमल…
मुकर्जी, डी.पी. मुकर्जी, आन्द्रे बिताई, जी. एस. घुरिये, इरावती कर्वे, एम. एम. श्रीनिवास, एस सी दुबे और योगेन्द्र सिंह प्रमुख है। समाज संरचना तथा सामाजिक पारिस्थितिकी, सांस्कृतिक विविधाएं, सामाजिक स्तरीकरण, कृषक समाज की समस्या समाज की लोक संस्कृति, जाति भेद उनके सम्बन्ध, भारत में सामाजिक तनाव, भारतीय ग्राम की सामाजिक संरचना, आनुनिकीकरण आदि के बारे में सरल भाषा में लिखा गया है। जिससे छात्रों को भारत में होने वाले विभिन्न परिवर्तन, समस्याओं उन्नति, संस्कृति का ज्ञान होता है और वह इन विचारों को अपने भावी जीवन में उपयोग कर सके।