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By Vidya Prakashan Mandir P Ltd. 2021
Vidya Samajik Vigyan Question Bank Class 10 माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा निर्धारित NCERT पाठ्यक्रम, अंक-विभाजन एवं प्रश्न-पत्र की…
योजना पर आधारित सर्वोत्कृष्ट परीक्षा मार्गदर्शक। 1. विगत 10 वर्षों की बोर्ड परीक्षाओं के प्रश्नोत्तर का अध्यायवार संकलन 2. परीक्षोपयोगी प्रश्नों का निर्धारित शब्द-सीमा एवं तथ्यपरक उत्तरों सहित संकलन 3. बोर्ड परीक्षा की दृष्टि से चयनित परीक्षोपयोगी प्रश्नों के सम्पूर्ण हल की प्रस्तुति 4. NCERT की पाठ्य-पुस्तक से चयनित परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तरों का संकलन 5. प्रत्येक अध्याय के प्रारम्भ में ही पाठ-सार के रूप में याद रखने योग्य मुख्य बिन्दु, महत्त्वपूर्ण शब्दावली, महत्त्वपूर्ण तिथियाँ तथा फ्लोचार्ट का संकलन 6.विद्यार्थियों की सुविधा के लिए नवीनतम पाठ्यक्रम एवं अंक-विभाजन तथा प्रश्न-पत्र की योजना का संकलन 7. 2021 की परीक्षा हेतु 3 प्रतिदर्श प्रश्न-पत्र (3 Model Papers) 8. For other NCERT guides you can search bookshare website.By Vidya Prakashan Mandir P Ltd. 2021
Vidya Samaj Shastra Question Bank Class 12 माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा निर्धारित NCERT पाठ्यक्रम, अंक-विभाजन एवं प्रश्न-पत्र की…
योजना पर आधारित सर्वोत्कृष्ट परीक्षा मार्गदर्शक। 1. विगत 10 वर्षों की बोर्ड परीक्षाओं के प्रश्नोत्तर का अध्यायवार संकलन 2. परीक्षोपयोगी प्रश्नों का निर्धारित शब्द-सीमा एवं तथ्यपरक उत्तरों सहित संकलन 3. बोर्ड परीक्षा की दृष्टि से चयनित परीक्षोपयोगी प्रश्नों के सम्पूर्ण हल की प्रस्तुति 4. NCERT की पाठ्य-पुस्तक से चयनित परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तरों का संकलन 5.विद्यार्थियों की सुविधा के लिए नवीनतम पाठ्यक्रम एवं अंक-विभाजन तथा प्रश्न-पत्र की योजना का संकलन 6. 2021 की परीक्षा हेतु 3 प्रतिदर्श प्रश्न-पत्र (3 Model Papers) 7. For other NCERT guides you can search bookshare website.By Vidya Prakashan Mandir P Ltd. 2021
Vidya Bhugol Question Bank Class 12 माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा निर्धारित NCERT पाठ्यक्रम, अंक-विभाजन एवं प्रश्न-पत्र की योजना…
पर आधारित सर्वोत्कृष्ट परीक्षा मार्गदर्शक। 1. विगत 10 वर्षों की बोर्ड परीक्षाओं के प्रश्नोत्तर का अध्यायवार संकलन 2. परीक्षोपयोगी प्रश्नों का निर्धारित शब्द-सीमा एवं तथ्यपरक उत्तरों सहित संकलन 3. बोर्ड परीक्षा की दृष्टि से चयनित परीक्षोपयोगी प्रश्नों के सम्पूर्ण हल की प्रस्तुति 4. NCERT की पाठ्य-पुस्तक से चयनित परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तरों का संकलन 5.विद्यार्थियों की सुविधा के लिए नवीनतम पाठ्यक्रम एवं अंक-विभाजन तथा प्रश्न-पत्र की योजना का संकलन 6. 2021 की परीक्षा हेतु 3 प्रतिदर्श प्रश्न-पत्र (3 Model Papers) 7. For other NCERT guides you can search bookshare website.By Raipur, C. G., Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad. 2019
गणित पाठ्यपुस्तक कक्षा 9वी का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया…
है, इस पाठ्यपुस्तक में सात इकाई दी गई है उसमें गणित का इतिहास, बीजगणित, वाणिज्य गणित, त्रिकोणमिति, ज्यामिति, क्षेत्रमिति और साख्यिकी के बारे में बताया गया है। इस पाठ्यक्रम में संख्याकों से आगे संख्या पद्धति को अमूर्त रूप में समझना, संख्याओं के सामान्य नियम खुद से निकाल पाना, समता, चर एवं समीकरण के हल से क्या अर्थ है ऐसे कुछ उदाहरण हैं, तर्कों को गढ़ना, प्रत्येक चरण को तार्किक एवं संक्षिप्त रूप में दर्शा पाना ऐसी क्षमताएं हैं, वृहद रूप में माध्यमिक स्तर के गणित का उद्देश्य अवधारणात्मक ढाँचे को समझना, अपनी बात का तार्किक आधार दे पाने की योग्यता हासिल करना, सटीक एवं संक्षिप्त रूप से अपने विचारों को व्यक्त कर पाना एवं सिद्ध करने व सामान्यीकरण की गणितीय प्रक्रिया व नियमों को समझ पाना है।By Vidya Prakashan Mandir P Ltd. 2021
Vidya Samanya Hindi Question Bank Class 12 माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा निर्धारित NCERT पाठ्यक्रम, अंक-विभाजन एवं प्रश्न-पत्र की…
योजना पर आधारित सर्वोत्कृष्ट परीक्षा मार्गदर्शक। 1. विगत 10 वर्षों की बोर्ड परीक्षाओं के प्रश्नोत्तर का अध्यायवार संकलन 2. परीक्षोपयोगी प्रश्नों का निर्धारित शब्द-सीमा एवं तथ्यपरक उत्तरों सहित संकलन 3. बोर्ड परीक्षा की दृष्टि से चयनित परीक्षोपयोगी प्रश्नों के सम्पूर्ण हल की प्रस्तुति 4. NCERT की पाठ्य-पुस्तक से चयनित परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तरों का संकलन 5.विद्यार्थियों की सुविधा के लिए नवीनतम पाठ्यक्रम एवं अंक-विभाजन तथा प्रश्न-पत्र की योजना का संकलन 6. 2021 की परीक्षा हेतु 3 प्रतिदर्श प्रश्न-पत्र (3 Model Papers) 7. For other NCERT guides you can search bookshare website.By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2020
कला सिद्धान्त एवं भारतीय मूर्तिकला कक्षा 11वीं यह पुस्तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर ने संस्कृत भाषा में प्रकाशित किया…
गया है, प्रस्तुत पुस्तक राजस्थान शिक्षा मण्डल, अजमेर के प्राकृत भाषा एवं साहित्य के 11 वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए तैयार की गई है। कला कल्याण की जननी है। प्रथम कलाकार सृष्टि का रचियिता ईश्वर है। यही कारण है कि सृष्टि के सभी पदार्थों में कला का वास है। कला शब्द की उत्पति संस्कृत भाषा की 'कल्' धातु से हुई है। जिसका अर्थ है शब्द करना या प्रेरित करना। जिस प्रकार कल् कल् शब्द से एक गतिपूर्ण ध्वनि आती है उसी प्रकार कला भी लयपूर्ण अभिव्यक्ति है। कला का अर्थ मात्र भोग-विलास न होकर सौन्दर्य की अभिव्यक्ति द्वारा सुख या आनन्द प्रदान करना है। भारतीय विद्वानों ने कला को अनेक रूपों में परिभाषित किया है।By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2020
जीव विज्ञान प्रायोगिक 1 कक्षा 11वीं यह पुस्तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर ने संस्कृत भाषा में प्रकाशित किया गया…
है, प्रस्तुत पुस्तक राजस्थान शिक्षा मण्डल, अजमेर के प्राकृत भाषा एवं साहित्य के 11 वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए तैयार की गई है। कक्षा 11 की पुस्तक में विद्यार्थियों के लिए स्तरीय, प्रासंगिक, रोचक, सहज व सरल सामग्री सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है । आशा है कि इस पाठ्यपुस्तक के माध्यम से वर्तमान परिवेश में पर्यावरण विज्ञान के विभिन्न आयामों को समझने में सहायता मिलेगी ।By Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur. 2016
इस पाठ्यपुस्तक के निर्माण की प्रक्रिया का प्रमुख आधार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 (NCF-2005) एवं शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009…
के मार्गदर्शक के सिद्धान्त है। इस पाठ्यपुस्तक के निर्माण की प्रक्रिया में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, नई दिल्ली (एन.सी.ई.आर.टी.) व अन्य राज्यों के पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन कर उनमें उपस्थित महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक विषय वस्तु एवं मूल्यपरक बिन्दुओं को राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में समाहित किया गया है। पाठ्यपुस्तक में अवधारणाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है तथा अधिक संख्या में चित्रों के माध्यम से समझाया गया है। उदाहरण और अभ्यास सम्मिलित किए गए हैं, ताकि विद्यार्थियों में अवधारणाओं को अपने स्तर पर समझ कर प्रश्नों को बेहतर ढंग से हल करने की दक्षता में वृद्धि हो सके तथा समस्याओं को हल करने में उनकी भागीदारी बढ़ सके । बालकों में गणितीय सोच विकसित करने, गणितीय तथ्यों की पुनः खोज करने, आरेखण एवं मापन के लिए उपयुक्त दक्षता के विकास हेतु अनेक गतिविधियाँ दी गई हैं जिन्हें 'करो और सीखो' का नाम दिया गया है। बालकों को यह गतिविधियाँ इसी भावना जिम्मेदारी, सहिष्णुता एंव सहयोग के अनुरुप करवाया जाना अपेक्षित है । अध्यापक अपनी सुविधानुसार कक्षा के बालकों को छोटे - छोटे समूह एवं उपसमूह बनाकर उन्हें गतिविधि करने का मौका दें ताकि स्व-अध्ययन कि प्रवृत्ति को बढ़ाकर एक सहयोगी के रूप में अपनी जिम्मेदारी तय कर सके । पाठ्यपुस्तक में विद्यार्थियों के अवबोधन एवं परिपक्वता के स्तर के अनुरूप शब्दावली एवं पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग किया गया है। प्रत्येक अध्याय के अंत में महत्त्वपूर्ण संकल्पनाओं एवं परिणामों को "हमने सीखा" के रूप में स्थान दिया गया है ।By Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur. 2016
प्रस्तुत पुस्तक का निर्माण एन.सी.एफ. 2005 के मार्गदर्शक सिद्धान्त, एन.सी.ई.आर.टी एवं अन्य राज्यों के पाठ्यक्रम व पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन कर…
किया गया है। इसके अनुसार विद्यार्थी में ज्ञान निर्माण हेतु अनुभवों के विश्लेषण करने, स्वयं करके सीखने, समझने, व्याख्या करने, सूचनाएँ एकत्र कर स्वयं से संवाद स्थापित करने में सक्षम बन सकेगा।। शिक्षक का दायित्व होगा कि वह यह समझे कि विद्यार्थियों को कब, कहाँ और क्या मार्गदर्शन देना है। शिक्षक सुविधादाता/सहयोगकर्ता के रूप में अपनी भूमिका पुख्ता करें ताकि बच्चों को सोचने, समझने, और स्वयं निष्कर्ष तक पहुँचने में सहायता मिल सके। समाज में जिन मूल्यों को महत्त्व दिया जा रहा है, उन मूल्यों को वे आत्मसात कर अपने व्यवहार में ला सकें। इस कार्य हेतु पर्यावरण अध्ययन की पुस्तक "अपना परिवेश" के शिक्षण में शिक्षकों को निम्नांकित बिंदुओं पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि इन्हीं बातों का पुस्तक लेखन में भी ध्यान रखा गया है।By Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur. 2016
इस पाठ्यपुस्तक के निर्माण की प्रक्रिया का प्रमुख आधार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 (NCF-2005) एवं शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009…
के मार्गदर्शक के सिद्धान्त हैं । इस पाठ्यपुस्तक के निर्माण की प्रक्रिया में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, नई दिल्ली (एन.सी.ई.आर.टी.) व अन्य राज्यों के पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन कर उनमें उपस्थित महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक विषय वस्तु एवं मूल्यपरक बिन्दुओं को राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में समाहित किया गया है । विज्ञान की प्रमुख विषय वस्तुओं को प्रयोगाधारित, क्रियाविधि आधारित एवं संवाद के रूप में तैयार किया गया है । विज्ञान की विषयवस्तु को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है जिसमें अवलोकन, जिज्ञासा, वर्गीकरण, विभेदीकरण, विश्लेषण, निष्कर्ष प्रतिपादन आदि विभिन्न चरणों को यथास्थान सम्मिलित किया गया है ताकि विद्यार्थी स्वयं गतिविधियाँ संपादित करके ज्ञान का सृजन कर सकें । विषयवस्तु के अन्तर्गत राजस्थान, भारत एवं विश्व के परिप्रेक्ष्य एवं संदर्भित बिन्दुओं को समाहित करने का प्रयास किया गया है ताकि बालकों को स्थानीय परिवेश, संस्कृति एवं मूल्यों के साथ-साथ अपने देश एवं विश्व से संदर्भित तथ्यों एवं मूल्यों को जानने का अवसर प्राप्त हो सके । इस पाठ्यपुस्तक के माध्यम से विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण, समता एवं समभाव, स्वास्थ्य पोषण, वैज्ञानिक दृष्टिकोण आदि के प्रति जागरुकता के साथ-साथ स्वच्छता रखने की भावना के प्रति संवेदनशील बनाने का भी प्रयास किया गया है ।By Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur. 2016
राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर द्वारा सामाजिक विज्ञान शिक्षण हेतु तैयार की गई पाठ्यपुस्तक में उन सभी…
भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक तथ्यों एवं घटनाओं का समावेश किया गया है, जिनकी वर्तमान में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए महती आवश्यकता है । इससे बालक का सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन किया जा सकेगा । पाठ्यपुस्तक को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है । भूगोल, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन तथा इतिहास । साथ ही शिक्षकों से अपेक्षा है कि अध्यायों को इकाई वार विभाजित कर क्रमानुसार सभी भागों को नियमित रूप से सम्मिलित करते हुए अध्ययन कार्य करावें । पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित चित्रों, मानचित्रों, घटनाओं का भरपुर उपयोग करें, ताकि छात्रों की तार्किकता में वृद्धि हो सके । यथा संभव बालकों को शैक्षिक भ्रमण पर ले जावें और वहाँ की वस्तु स्थिति से अवगत करावें । भ्रमण के बाद विद्यालय में आकर समूह परिचर्चा करते हुए प्रतिवेदन तैयार करें । अध्याय में दी गई गतिविधियों को करवाते हुए छात्रों का भरपूर सहयोग लें तथा उन्हें सीखने का अवसर प्रदान करें । बालकों को रटने की प्रवृति की जगह अपने विवेक का प्रयोग करते हुए आगे बढने के अवसर प्रदान करें । अध्याय के अंत में दिए गए प्रश्नों के उत्तर भी वह अपने विवेकानुसार लिखने का प्रयास करें । छात्रों को ध्यान में रखते हुए बहुचयनात्मक, रिक्त स्थान पूर्ति, अतिलघुत्तरात्मक, निबंधात्मक प्रश्नों का समावेश किया गया है ।By Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur. 2016
इस पाठ्यपुस्तक के निर्माण की प्रक्रिया का प्रमुख आधार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 (NCF-2005) एवं शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009…
के मार्गदर्शक के सिद्धान्त हैं । इस पाठ्यपुस्तक के निर्माण की प्रक्रिया में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, नई दिल्ली (एन.सी.ई.आर.टी.) व अन्य राज्यों के पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन कर उनमें उपस्थित महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक विषय वस्तु एवं मूल्यपरक बिन्दुओं को राजस्थान के परिप्रेक्ष्य में समाहित किया गया है । विज्ञान की प्रमुख विषय वस्तुओं को प्रयोगाधारित, क्रियाविधि आधारित एवं संवाद के रूप में तैयार किया गया है । विज्ञान की विषयवस्तु को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है जिसमें अवलोकन, जिज्ञासा, वर्गीकरण, विभेदीकरण, विश्लेषण, निष्कर्ष प्रतिपादन आदि विभिन्न चरणों को यथास्थान सम्मिलित किया गया है ताकि विद्यार्थी स्वयं गतिविधियाँ संपादित करके ज्ञान का सृजन कर सकें । विषयवस्तु के अन्तर्गत राजस्थान, भारत एवं विश्व के परिप्रेक्ष्य एवं संदर्भित बिन्दुओं को समाहित करने का प्रयास किया गया है ताकि बालकों को स्थानीय परिवेश, संस्कृति एवं मूल्यों के साथ-साथ अपने देश एवं विश्व से संदर्भित तथ्यों एवं मूल्यों को जानने का अवसर प्राप्त हो सके । इस पाठ्यपुस्तक के माध्यम से विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण, समता एवं समभाव, स्वास्थ्य पोषण, वैज्ञानिक दृष्टिकोण आदि के प्रति जागरुकता के साथ-साथ स्वच्छता रखने की भावना के प्रति संवेदनशील बनाने का भी प्रयास किया गया है ।By एडिडास विल्सन. 2020
म्यूचुअल फंड निवेशकों के बीच लोकप्रिय हो गए हैं और उन्हें समझना आसान है। वे सीमित धन, समय या ज्ञान…
के साथ निवेशकों को लाभ और सरलता प्रदान करते हैं। यदि आप अभी भी इस बारे में अनिच्छुक हैं कि क्या म्यूचुअल फंड आपके लिए बहुत अच्छा है, तो इन लाभों को देखें। परिसंपत्ति की विविधता छोटे निवेशकों और बड़े लोगों के लिए निवेश का एक प्रमुख नियम है। विविधता एक पोर्टफोलियो के भीतर विभिन्न प्रकार के परिसंपत्ति वर्गों और निवेशों का संयोजन है। यह जोखिम को प्रबंधित करने में मदद करता है। एक विविध पोर्टफोलियो के लिए, ऐसे शेयरों को खरीदना बुद्धिमानी है जो विभिन्न उद्योगों से अलग-अलग पूंजीकरण के साथ-साथ अन्य जारीकर्ताओं से अलग-अलग परिपक्वता वाले बांडों के लिए हैं। यह रणनीति एक व्यक्तिगत निवेशक के लिए महंगी हो सकती है। जब आप म्यूचुअल फंड खरीदते हैं, तो आपको उच्च परिसंपत्ति के बि�By Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur. 2016
इस पाठ्यपुस्तक की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है- विद्यार्थियों को विषय से परिचय उनके आसपास से संबंधित उदाहरणों से कराया गया…
हैं। इसमें यह भी ध्यान रखा गया है कि अधिगम हेतु आवश्यक सामग्री कम लागत या आसपास के परिवेश से उपलब्ध हो सके ताकि कक्षा शिक्षण में अध्यापक उन सामग्रियों का उपयोग कर, गतिविधि के माध्यम से बालकों की सहभागिता के साथ अधिगम को प्रभावी बना सके। बालक को केंद्र बिन्दु मानकर सीखने की प्रक्रिया में बालक का भागीदारी सुनिश्चित कर उन्हें स्वयं करके देखने अपनी गलतियों को स्वयं ठीक करने के लिए समुचित अवसर उपलब्धा करवाने एवं उनमें समझ विकसित करने के लिए कार्य किया जाए। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम-2009 के प्रावधानानुसार सतत् एंव व्यापक मूल्यांकन के अनुसार विषयवस्तु निर्मित की गई है। अतः बालकों को स्तरानुसार समूह में बाँटकर समूह शिक्षण पर बल देकर बालकों में दक्षताएँ विकसित की जाए। पाठ्यपुस्तक में अवधारणाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है तथा अधिक संख्या में चित्रों के माध्यम से समझाया गया है। उदाहरण और अभ्यास सम्मिलित किए गए हैं, ताकि विद्यार्थियों में अवधारणाओं को अपने स्तर पर समझ कर प्रश्नों को बेहतर ढंग से हल करने की दक्षता में वृद्धि हो सके तथा समस्याओं को हल करने में उनकी भागीदारी बढ़ सके । बालकों में गणितीय सोच विकसित करने, गणितीय तथ्यों की पुनः खोज करने, आरेखण एवं मापन के लिए उपयुक्त दक्षता के विकास हेतु अनेक गतिविधियाँ दी गई हैं जिन्हें 'करो और सीखो' का नाम दिया गया है। बालकों को यह गतिविधियाँ इसी भावना जिम्मेदारी, सहिष्णुता एवं सहयोग के अनुरुप करवाया जाना अपेक्षित है। पाठ्यपुस्तक में राष्ट्रीय सरोकार यथा पर्यावरण संरक्षण, सड़क सुरक्षा, जेण्डर संवेदनशीलता, बेटी बचाओBy Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur. 2016
पाठ्यपुस्तक में पाठ्यसामग्री चयन में राजस्थानी परिवेश को प्रधानता दी गई है। सामग्री चयन करते समय संवैधानिक मूल्यों, जेंडर संवेदनशीलता,…
विशेष योग्यजन, स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि मुद्दों को भी ध्यान में रखा गया है। पाठों के माध्यम से देश भक्ति, जीवदया, जल संरक्षण, प्रकृति प्रेम, मानवीय संवेदना, स्वावलंबन, नैतिक मूल्यों, पर्यावरण संरक्षण आदि को विकसित करने की कोशिश की गई, जिनसे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके । पाठ्यपुस्तक में हिंदी की कविता, कहानी, प्रेरक प्रसंग, यात्रा वृत्तांत, संस्मरण, निबंध, व्यंग्य, जीवनी, एकांकी, पत्र, आत्मकथा आदि विधाओं का समावेश किया गया है। बच्चों के स्तर व रुचि को ध्यान में रखते हुए प्रसिद्ध लेखकों-कवियों की स्थापित रचनाएँ ली गई हैं। पाठ्यपुस्तक के प्रति विद्यार्थी के अपनेपन को और सघन बनाने के लिए पाठों के अतिरिक्त रोचक सामग्रियाँ भी दी गई हैं जो बच्चों में पढ़ने के प्रति ललक, पुस्तकालय से जुड़ाव, विद्यार्थी की जानकारी और जिज्ञासा को बढ़ाने वाली हैं जो केवल पढ़ने के लिए' शीर्षक से दी गई हैं।By Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur. 2016
प्रस्तुत पुस्तक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 की रूपरेखा को आधार मानते हुए बच्चों के बौद्धिक, शैक्षणिक, सामाजिक सद्भाव, शारीरिक विकास, जीवन…
मूल्यों एवं राष्ट्रीय भावनाओं को विकसित करने सहित भाषा के माध्यम से बालक / बालिकाओं के सर्वांगीण विकास हेतु कक्षा 3, 4 व 5 के लिए समृद्ध सामग्री का चयन किया गया है। पाठ्यसामग्री में विशेष रूप से प्रकृति प्रेम, देशप्रेम, भावनात्मक एकता, सामाजिक चेतना, संवेदनशीलता, महिला सशक्तीकरण, जेंडर संवेदनशीलता, सांस्कृतिक गौरव, पर्यावरण संरक्षण, आपसी प्रेम, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, श्रम व कार्य के प्रति सम्मान, लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास, सामाजिक सरोकारों के प्रति सजगता, शिष्टाचार आदि को सम्मिलित किया गया है। विविधताओं को समेटने हेतु विषयगत एवं विधागत दोनों ही रूपों के समावेश का प्रयास है। इसमें कहानी, कविता, संवाद, आत्मकथा, खेल, वृतांत, निबंध आदि विधाओं को सम्मिलित करने हेतु जीवंत चित्रों के माध्यम से पाठ्यसामग्री को सुरुचिपूर्ण बनाने का प्रयास किया गया है।By Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur. 2016
पाठ्यपुस्तक में पाठ्यसामग्री चयन में राजस्थानी परिवेश को प्रधानता दी गई है। सामग्री चयन करते समय संवैधानिक मूल्यों, जेंडर संवेदनशीलता,…
विशेष योग्यजन, स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि मुद्दों को भी ध्यान में रखा गया है। पाठों के माध्यम से देश भक्ति, जीवदया, जल संरक्षण, प्रकृति प्रेम, मानवीय संवेदना, स्वावलंबन, नैतिक मूल्यों, पर्यावरण संरक्षण आदि को विकसित करने की कोशिश की गई, जिनसे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके । पाठ्यपुस्तक में हिंदी की कविता, कहानी, प्रेरक प्रसंग, यात्रा वृत्तांत, संस्मरण, निबंध, व्यंग्य, जीवनी, एकांकी, पत्र, आत्मकथा आदि विधाओं का समावेश किया गया है। बच्चों के स्तर व रुचि को ध्यान में रखते हुए प्रसिद्ध लेखकों-कवियों की स्थापित रचनाएँ ली गई हैं। पाठ्यपुस्तक के प्रति विद्यार्थी के अपनेपन को और सघन बनाने के लिए पाठों के अतिरिक्त रोचक सामग्रियाँ भी दी गई हैं जो बच्चों में पढ़ने के प्रति ललक, पुस्तकालय से जुड़ाव, विद्यार्थी की जानकारी और जिज्ञासा को बढ़ाने वाली हैं जो केवल पढ़ने के लिए' शीर्षक से दी गई हैं।By Vinayak Damodar Savarkar. 2000
वीर सावरकर रचित ‘१८५७ का स्वातंत्र्य समर’ विश्व की पहली इतिहास पुस्तक है, जिसे प्रकाशन के पूर्व ही प्रतिबंधित होने…
का गौरव प्राप्त हुआ। इस पुस्तक को ही यह गौरव प्राप्त है कि सन् १९०९ में इसके प्रथम गुप्त संस्करण के प्रकाशन से १९४७ में इसके प्रथम खुले प्रकाशन तक के अड़तीस वर्ष लंबे कालखंड में इसके कितने ही गुप्त संस्करण अनेक भाषाओं में छपकर देश-विदेश में वितरित होते रहे। इस पुस्तक को छिपाकर भारत में लाना एक साहसपूर्ण क्रांति-कर्म बन गया। यह देशभक्त क्रांतिकारियों की ‘गीता’ बन गई। इसकी अलभ्य प्रति को कहीं से खोज पाना सौभाग्य माना जाता था। इसकी एक-एक प्रति गुप्त रूप से एक हाथ से दूसरे हाथ होती हुई अनेक अंतःकरणों में क्रांति की ज्वाला सुलगा जाती थी। पुस्तक के लेखन से पूर्व सावरकर के मन में अनेक प्रश्न थे—सन् १८५७ का यथार्थ क्या है?क्या वह मात्र एक आकस्मिक सिपाही विद्रोह था? क्या उसके नेता अपने तुच्छ स्वार्थों की रक्षा के लिए अलग-अलग इस विद्रोह में कूद पड़े थे, या वे किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक सुनियोजित प्रयास था? यदि हाँ, तो उस योजना में किस-किसका मस्तिष्क कार्य कर रहा था?योजना का स्वरूप क्या था?क्या सन् १८५७ एक बीता हुआ बंद अध्याय है या भविष्य के लिए प्रेरणादायी जीवंत यात्रा?भारत की भावी पीढि़यों के लिए १८५७ का संदेश क्या है? आदि-आदि। और उन्हीं ज्वलंत प्रश्नों की परिणति है प्रस्तुत ग्रंथ—‘१८५७ का स्वातंत्र्य समर’! इसमें तत्कालीन संपूर्ण भारत की सामाजिक व राजनीतिक स्थिति के वर्णन के साथ ही हाहाकार मचा देनेवाले रण-तांडव का भी सिलसिलेवार, हृदय-द्रावक व सप्रमाण वर्णन है। प्रत्येक देशभक्त भारतीय हेतु पठनीय व संग्रहणीय, अलभ्य कृति!By Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer. 2016
'अर्थशास्त्र' माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान हेतु कक्षा नवमी के हिन्दी विषय हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की गई है।…
'हिन्दी भाषा' अपने सामर्थ्य में वृद्धि करते हुए विश्व में सम्पर्क भाषा के रूप मे तीव्रता से प्रसारित हो रही है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक है कि अपने प्रदेश के विद्यालयों के विद्यार्थी हिन्दी भाषा के व्यवहार में विशेष दक्षता अर्जित करें। इस पाठ्यपुस्तक में चार खंड और दिए गए है। पाठ्यपुस्तक में चार अध्याय दिए है - अध्याय एक पालमपूर गाँव की कहानी, अध्याय दो संसाधन के रुप में लोग, अध्याय तीन निर्धनताः एक चुनौती और अध्याय चार भारत मे खाद्य सुरक्षा आदी के विषय पर चर्चा की गई है।By Divya Prakash Dubey. 2016
हम सभी के जीवन में एक या दूसरी सूचियाँ होती हैं। मुसाफिर कैफे जीवन और इन सभी सूचियों के बारे…
में है। यह जीवन में एक ठहराव की तरह है, जब हम कोशिश करते हैं और अपने आप को धीमा करते हैं कि हम कहाँ हैं, और हम यहाँ से कहाँ जाना चाहते हैं? मुसाफिर कैफे दो युवा और आधुनिक व्यक्तियों, सुधा और चंदर की कहानी है। सुधा जो पेशे से वकील है और व्यक्ति में एक मजबूत मुक्त उत्साही लड़की है। वह देश की शीर्ष वकील बनना चाहती है जबकि चंदर एक भ्रमित सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। हालाँकि उन दोनों को यकीन है कि वे शादी नहीं करना चाहते हैं और किसी के साथ घर बसाना चाहते हैं, लेकिन वे माता-पिता की खातिर हर सप्ताहांत इस मीटिंग गेम को खेलते हैं। घटनाएँ उन्हें एक सप्ताह के लिए एक साथ रहने के लिए प्रेरित करती हैं, लेकिन वे एक-दूसरे की उपस्थिति और जीवन में हस्तक्षेप करने के लिए अभ्यस्त हो जाते हैं, यह एक अनियोजित लिव-इन संबंध बन जाता है। मुसाफिर कैफे केवल सुधा और चंदर की कहानी नहीं है, यह हम सभी की कहानी है, जो बकेट लिस्ट पर टिकने की कोशिश कर रहे हैं और एक आदर्श जीवन की तलाश कर रहे हैं।